भारतीय ज्ञान अपनी श्रेष्ठता, महत्व का लोहा पुरे विश्व में निरंतर ही लम्बे समय से बनाया हूए है , आज आधुनिक वैज्ञानिक एस बात को मान रहे है | इस की समृद्ध विरासत को समाज के सामने एक बहुत बदसूरत और विकृत रूप में प्रस्तुत किया गया | स्वार्थी हितो के लिए इस ज्ञान का दुरूपयोग किया गया | जिस से मंत्र और तंत्र जैसे शब्द आम लोगो के लिए भय का पर्यायवाची शब्द बन गया । इस प्रकार अज्ञान की वजह से तंत्र समाज में ज्यादा खतरनाक शब्द बन गया है | लोगों को अभी इसके बारे में सुनने से डर लगने लगा और, जो एक आम व्यक्ति सोचता हैं एक तांत्रिक शराब पीता है, अफीम खाता है , गालियाँ देता है , हमेशा धूम्रपान करता है, जो बड़े लाल सुखी आँखें, लिए भयानक दीखता है ,
यह सम्पूर्ण विश्व भगवान का स्वरुप है दूसरे शब्दों में कहा जाये तो भगवान ही है परन्तु स्वार्थ के कारण कुछ व्यक्ति राक्षस बन गये है | जगत का मूल कारण शब्द है, प्रत्येक शब्द एक विशेष प्रकार का कम्पन निर्माण करता है, विज्ञानं मानता है की सृष्टि के सब पदार्थ कम्पन से बनते - बिगड़ते है| इसलिये "मंत्रो का शक्ति" सहज ही समझ सकते है | शब्दों में क्या शक्ति है यह हमारे विद्वान ऋषि मुनि जानते थे, उन्होंने समाज के हित हेतु शब्दों के ज्ञान को समझा और शब्दों को एकत्रित करके मंत्रो का रचना कि गई ताकि मंत्रो के जाप करने माध्यम से अभीष्ट फल की प्राप्ति हो जाती है , वेद पुराण और तंत्रो के अधिकांश मन्त्र ऐसे है जिनके प्रयोग में सावधानी की आवश्यकता होती है और पूर्ण विधि विधान करने पर ही वे फल प्रदान करते है, क़िन्तु शाबर मंत्र उच्चारण मात्र से अपना प्रभाव प्रकट करते है केवल उन्हें प्रभावी रखने के लिये थोड़ा - बहुत क्रिया आवश्यक है| यह क्रिया आपको सीखनी पड़ती है ताकि आपको जीवन मे शाबर मंत्रो मे सफलता प्राप्त हो जाये और आप जो भी मंत्र सिद्ध करे वह मंत्र चैतन्य रहे | ऐसा हो ही नही सकता की आपको योग्य मार्गदर्शन मिले और फ़िर भी आपको शाबर मंत्रो मे सफलता ना मिले, ये संभव नहीं है यह नाथ सम्प्रदाय है | नाथ सम्प्रदाय एक परंपरा के हिसाब से प्राचीन काल से चलता आ रहा है , जिसके बारे मे मै यहा हमारे गुरुओ के नाम और परंपरा की शुरुवात कहा से हूआ था यह बता रहा हू.
यह हमारी नाथ परंपरा है-
1. चैतन्य श्री आदिनाथ
2. चैतन्य भगवान दत्तात्रेय
3. चैतन्य श्री मच्छिंद्रनाथ
4. चैतन्य श्री गोरक्षनाथ
5. चैतन्य श्री गहनीनाथ
6. चैतन्य श्री निवृत्तीनाथ
7. चैतन्यश्री ज्ञाननाथ (ज्ञानेश्वर महाराज)
8. चैतन्य श्री सत्यमलनाथ
9. चैतन्य श्री गुप्तनाथ
10. चैतन्य श्री परमहंसजी
11. चैतन्य श्री ब्रम्हानंद
12. चैतन्य श्री परमानंद
13. चैतन्य श्री काशीनाथ
14. चैतन्य श्री विठ्ठलनाथ
15. चैतन्य श्री चंदननाथ
16. चैतन्य श्री गोविंदनाथ (1854 ते 1935 )
17. चैतन्य श्री शम्भूनाथ (1935 ते 1998 )
18. गुरू सेवा और कार्य.....
आदेश......