तंत्र क्या है, तंत्र विज्ञान के फायदे, What is Tantra in hindi - तंत्र को ज्यादातर लोग या तो अंधविश्वास मानकर नकार देते हैं, या फिर कोई डरावनी चीज़ मानकर उससे दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन यह एक विज|्ञान है, जीवन की प्रत्येक क्रिया तन्त्रोक्त क्रिया है॰यह प्रकृति,यह तारा मण्डल,मनुष्य का संबंध,चरित्र,विचार,भावनाये सब कुछ तो तंत्र से ही चल रहा है;जिसे हम जीवन तंत्र कहेते है॰जीवन मे कोई घटना आपको सूचना देकर नहीं आता है,क्योके सामान्य व्यक्ति मे इतना अधिक सामर्थ्य नहीं होता है के वह काल के गति को पहेचान सके,भविष्य का उसको ज्ञान हो,समय चक्र उसके अधीन हो ये बाते संभव ही नहीं,इसलिये हमे तंत्र की शक्ति को समजना आवश्यक है यही इस ब्लॉग का उद्देश्य है.
MTYV Sadhna Kendra
Friday 17th of April 2015 03:19:56 PM
give me faith and devotion, and i will give you fulfilment & completeness -
parampujya pratahsamaraniya gurudev dr. narayan dutt shrimaliji
चेतना मंत्र ......
साधनाओ के महासागर मे कुछ हीरे , कुछ मोती हम सब के पास हैं ही. पर हम अन्य चमकीले पत्थर की खोज मे लगे रहते हैं क्योंकि इन हीरे मोती को प्राप्त करने मे हमने कोई संघर्ष किया ही नही .
और एक ऐसे ही अन...
Friday 17th of April 2015 03:08:39 PM
॥प्राण प्रतिष्ठा विधानम्॥
ये विधान सदगुरुदेव की पुस्तक ऐश्वर्य महा लक्ष्मी से लिया है
इस विधान के अंत मे "ॐ" के आगे 15 लिखा है इस प्रकार सूक्ष्म रूप से विग्रह के पंच दस संस्कार सम्पन्न किया जा रहा है। इसका मतलब है की आपको ॐ को कुल 15 बार बोलना है। कृपया ज्यादा दिमाग ...
Friday 17th of April 2015 03:04:02 PM
पूर्ण शिष्यत्व प्राप्ति साधना.
यह साधना गुरुपूर्णिमा कि अवसर पे कि जा सकती है,साधना पूर्णता दुर्लभ और गोपनीय है और मेरी जीवन कि सबसे महत्वपूर्ण साधना है . जिस तरहा गुरु-शिष्य क सम्बध है उसी तरहा इस साधना का सम्बध मेरी प्राणो से जुडा हुआ है . यह साधना हमारे पिताश्र...
Friday 17th of April 2015 02:59:13 PM
मानस सिद्धि : दिव्य चेतना का प्रथम द्वार
तत् सृष्टित्व तद् इव नु प्रविश्तात्
“ ब्रह्मांड की रचना करने के पश्चात ब्रहमा जी इसी में समा गए “
हम ही ब्रह्म है और हमें स्वयं को समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त समझते हुए स्वयं के निर्माण का कार्य करना है “
कुछ द...
Friday 17th of April 2015 02:52:13 PM
aadi shankracharya has been the one of the greatest personality and gem of knowledge. the level of knowledge accomplished by him is beyond imagination, it was all due to his dedication and highest thirst for attainment of knowledge. he attained knowledge in such a way that he becomes established as the best personality, a role model in this knowledge field. his life was definitely full of struggles, at every step he faced criticism and tyranny but he had aim in his mind, his life’s basic aim, intense desire to attain knowledge and complete dedication. but was all this enough? no, every era of dynamism of time is witness to the fact that as darkness had been present in all the times so w...
Friday 17th of April 2015 02:48:42 PM
"मंजिल के तो मै बिलकुल करीब ही थी.......पर तुने एक नजर क्या देखा मंजिल ही बदल गई"..........सदगुरुदेव बिन और कोन होय.....
इस् जीवन की उहापोह में हम अक्सर हर दूसरे दिन किसी न किसी नयी उलझन में फसते रहते है. भूल जाते हे की जिस उर्जा कों हम साधना के द्वारा एकत्रित करते हे उसे ह...
Friday 17th of April 2015 02:43:56 PM
तब क्या फायदा होय जब चिड़िया चुग गई खेत...
लेकिन ये तो ना भूले की गुरु बिना गतिर्नास्ती... गुरु हे तो सब है नहीं तो कुछ नहीं...
जीवन बहुत ही आसान हो जाता है जब आप उन अनगिनत विचारों के भंवर में से खास कर उस विचार कों चुन ले जो आपको अपने लक्ष्य की तरफ बढाता हो. हर बा...
Friday 17th of April 2015 02:21:35 PM
-- तांत्रोक्त गुरु पूजन --
इस साधना के लिए प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर, स्नानादि करके, पीले या सफ़ेद आसन पर पूर्वाभिमुखी होकर बैठें| बाजोट पर पीला कपड़ा बिछा कर उसपर केसर से “ॐ” लिखी ताम्बे या स्टील की प्लेट रखें| उस पर पंचामृत से स्नान कराके “गुरु यन्त्र” व “कुण्...
Friday 17th of April 2015 12:32:48 PM
निखिल जन्मोत्सव चौसठ कलायुक्त गुरु ह्र्दय रक्त बिंदु स्थापन, ब्रम्हांड जागरण प्रोयोग
मनुष्य के जीवन का वह सब से स्वर्णिम क्षण होता है जब उसे सद्गुरु की प्राप्ति होती है. क्यों की बिना सद्गुरु के मनुष्य सिर्फ अपनी धारणाओं के सहारे मात्र से जीता है लेकिन उसे यह ज्ञा...
Monday 13th of April 2015 06:42:30 PM
" परम पूज्य सदगुरुदेव द्वारा प्रदत गुरु मंत्र का क्या अर्थ है ?" मैंने बीच में ही टोकते हुए पूछा ।
गुरु मंत्र - मूल तत्त्व दुर्लभ स्तोत्र - त्रिजटा अघोरी
"गुरु मंत्र का अर्थ " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः
एक लम्बी खामोसी.........जो इतनी लम्बी हो गयी थी, कि खलने लगी थी.....