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सदगुरू-महिमा Gurumahima by writers

MTYV Sadhana Kendra -
Friday 12th of June 2015 06:55:56 AM


सदगुरू-महिमा

गुरु बिनु भव निधि तरै न कोई | जौं बरंचि संकर सम होई ||
-संत तुलसीदासजी

हरिहर आदिक जगत में पूज्यदेव जो कोय | सदगुरू की पूजा किये सबकी पूजा होय ||
-निश्चलदासजी महाराज

सहजो कारज संसार को गुरू बिन होत नाँही | हरि तो गुरू बिन क्या मिले, समझ ले मन माँही ||
-संत कबीरजी संत

सरनि जो जनु परै सो जनु उधरनहार | संत की निंदा नानका बहुरि बहुरि अवतार ||
-गुरू नानक देवजी

"गुरूसेवा सब भाग्यों की जन्मभूमि है और वह शोकाकुल लोगों को ब्रह्ममय कर देती है | गुरुरूपी सूर्य अविद्यारूपी रात्रि का नाश करता है और ज्ञानाज्ञान रूपी सितारों का लोप करके बुद्धिमानों को आत्मबोध का सुदिन दिखाता है |"
-संत ज्ञानेश्वर महाराज

"सत्य के कंटकमय मार्ग में आपको गुरू के सिवाय और कोई मार्गदर्शन नहीं दे सकता |"
- स्वामी शिवानंद सरस्वती

"कितने ही राजा-महाराजा हो गये और होंगे, सायुज्य मुक्ति कोई नहीं दे सकता | सच्चे राजा-महाराज तो संत ही हैं | जो उनकी शरण जाता है वही सच्चा सुख और सायुज्य मुक्ति पाता है |"
-समर्थ श्री रामदास स्वामी

"मनुष्य चाहे कितना भी जप-तप करे, यम-नियमों का पालन करे परंतु जब तक सदगुरू की कृपादृष्टि नहीं मिलती तब तक सब व्यर्थ है |"
-स्वामी रामतीर्थ

प्लेटो कहते है कि : "सुकरात जैसे गुरू पाकर मैं धन्य हुआ |"

इमर्सन ने अपने गुरू थोरो से जो प्राप्त किया उसके महिमागान में वे भावविभोर हो जाते थे |

श्री रामकृष्ण परमहंस पूर्णता का अनुभव करानेवाले अपने सदगुरूदेव की प्रशंसा करते नहीं अघाते थे |
अब हम उनकी याद में कैसे होते हैं यह प्रश्न है | बहिर्मुख निगुरे लोग कुछ भी कहें, साधक को अपने सदगुरू से क्या मिलता है इसे तो साधक ही जानते हैं |

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