Charity Donation मंत्र तंत्र यन्त्र विश्व विद्यालय के निर्माण और आश्रम निर्माण के लिए योगदान दे

Charity Donation Support meaningful change with Dr. Narayan Dutt Shrimali's charity donations. Join us in making a difference in the lives of those in need today.Support education through charity donations. Help provide essential resources for classes and empower students to achieve their dreams. Join us today!.

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दान कराए पार वैतरणी
कहा गया है कि जीवन के उपरान्त आत्मा वैतरणी नदी पार करती है। वैतरणी अर्थात् वितरण की नदी। एक बात तो निश्‍चित है कि जीवन एक क्रमशः चलने वाली श्रृंखला है।

न त्वेवाह जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिषाः 02/12

श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि किस काल में में नहीं था, तुम नहीं था या वे राजा लोग नहीं थे। अर्थात् इस दुनिया के पार भी एक अन्य जगत है, और उसमें जाने के लिए वैतरणी पार करनी पड़ती है। जिस व्यक्ति ने संग्रह और अपरिग्रह के बीच तालमेल बिठाया है, यानि दान की भावना से ओतप्रोत रहा है उसने वैतरणी नदी के माध्यम से अच्छे कर्मों का खाता या पुण्य बैंक उस लोक में खोल लिया है क्योंकि उसके द्वारा किए गए दान का रिकॉर्ड वहां पर रखा गया है। जैसे जब हम एक घर से दूसरे घर में रहने के लिए जातो है तो हमारे लिए यह स्थानान्तरण सहज बन जाता हे अगर हम जरूरत के सामान वहां पहले पहुंचा दें। इस लोक और परलोक यानि दूसरा संसार के बीच वैतरणी का प्रवाह निरंतर हो रहा है और दान के द्वारा आप अपने पुण्यों को उस संसार में भेज सकते हैं एवं इस जगत में अपने लिए ऐश्‍वर्य भी सुलभ कर सकते हैं क्योंकि जिस मनुष्य की प्रवृत्ति दान की ओर उन्मुख हो जाती है उसके ऐश्‍वर्य प्राप्ति के द्वार स्वयं खुल जाते हैं। हो गया न चित्त भी आपका और पट्ट भी आपका।

यज्ञ दान तपः कर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत्। यज्ञो दानं तपश्‍चैवपावनानि मनीषिणाम्। (18-5)

दान-धर्म, धर्म-कर्म, धर्म-मोक्ष जैसे शब्द युग्मों में धर्म विद्यमान है और धर्म यहां पर रिलीजन नहीं हैं, संप्रदाय या संकुचित मानसिकता नहीं है, वरन् जीवन का अकाटय सत्य है। जीवन यज्ञ में कर्म की आहुति हर व्यक्ति को देना है, चाहे वह चाहे या फिर नहीं चाहे। जब तक कर्म की आहुति कर्त्तापन के अहंकार से युक्त होती है कर्म कष्ट का कारण बन जाता है, मतलब फल भरमाता रहता है।

धन सम्पत्ति से चाहे कितना भी मोह कर लें वह आपके साथ नहीं जाता है परन्तु दान किया गया धन आपके साथ जाता है। इसलिए दान को जीवन का अनिवार्य अंग बनाएं। गुरु कार्य में सहयोग दक्षिणा है और दान-दक्षिणा के बाद ही सफल होता है।

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अपने प्रवचन में सदगुरुदेव ने स्पष्ट किया है कि …
प्राणप्रतिष्ठा से तात्पर्य यह है कि कोई भी मूर्ति, चित्र या यंत्र अपने आप में विशेष प्रभाव युक्त नहीं होता । मनुष्य भी अपने आप में प्रभाव युक्त नहीं होता । यदि केवल शिष्य या केवल व्यक्ति स-शरीर, स-प्राण विद्यमान है, तब भी वह प्राण प्रतिष्ठा युक्त या दीक्षा युक्त नहीं है, उसमें विशेष शक्ति का संचार नहीं हैं, तब तक उसकी ऊर्ध्वगामी प्रक्रियायें या जीवन में ऊंचा उठने की जो प्रक्रिया होनी चाहिए, वह नहीं हो पातीं
जीवन में दो स्थितियां हैं – हमारे शरीर के दो भाग हैं । नाभि से नीचे का सारा भाग गृहस्थ भाग है, निम्न भाग है और, उन अंगों का उपयोग करने से मनुष्य ज्यादा से ज्यादा गृहस्थ या ज्यादा से ज्यादा सांसारिक प्रवर्तियों में उलझता है । नाभि से ऊपर का सारा भाग ऊर्ध्व चेतना युक्त कहलाता है । और, ऊपर का भाग जाग्रत होने से व्यक्ति ऊर्ध्वमुखी बनता है, प्राणश्चेतना युक्त बनता है, ब्रह्माण्ड साधना में युक्त बनता है और ब्रह्ममय बनता है ।
व्यक्ति की दोनों प्रवर्तियां हैं । निम्न प्रवर्तियां, बिना प्रयास के संभव हैं और, नाभि से ऊपर की प्रवर्तियों के लिए विशेष ज्ञान, विशेष मार्गदर्शन, विशेष अध्ययन और विशेष अध्येता की जरुरत होती है ।
इसलिए मैंने एक कोर्स शुरू किया है 1 साल के लिए 2 साल का और 3 साल का जिसमें मैंने पहले साल में गुरु साधना से लेकर साधना सफलता प्राप्त कैसे किया जाए उसके बारे में मैंने तैयार किया है कोर्स तंत्र विद्या का और दूसरे साल में हम उच्च कोट की साधना ओं को कैसे करें उसमें क्या नियम हैं कैसे उसमें हम अपने जीवन को ऊर्ध्वगामी और उच्च कोटी बना सकते हैं । साधना करके और तीसरी चरण में हमने कुंडली जागरण कर कैसे लाभ ले ।
कैसे हम मंत्र जप करके अपने कार्यों को सफल बनाएं। उसके बारे में हमने बहुत विस्तार से कोर्स तैयार किया है जो साधकों को बहुत ही लाभ प्रदान करेगा। जिन गुरु भाइयों को मार्गदर्शन की कमी है?
। और अभी तक उन्होंने अपनी साधना ओं मे सफलता प्राप्त नहीं किया । केवल गुरु दीक्षा लेकर गुरु मंत्र जप कर रहे हैं । और उससे भी उनको कोई लाभ नहीं हुआ। उनके जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आया। और वह साधनों में भी बहुत ज्यादा सफलता नहीं प्राप्त हो पाए ।
और वह गुरुदेव को भला बुरा कह रहे है। ऐसे लोगों को मैं करारा जवाब देना चाहता हूं। गुरुदेव का ज्ञान और विज्ञान झूठा नहीं है। सही तरीका सही विधान और सही कर्मकांड करना बहुत जरूरी है तभी आप को लाभ प्राप्त हो सकता है। सिर्फ कोरी बातें बना कर झूठ बोल कर आप अपने आप को धोखा दे सकते हैं । मंत्र विज्ञान और तंत्र ज्ञान को नहीं।
और जिन लोगों को साधना करने के बाद भी nahi सफलता प्राप्त हुई और किसी वजह से उनकी साधना खंडित हो गई और उनकी साधना का जो फल है । वह प्राप्त नहीं हो पाया वह भी मार्गदर्शन गुरु गुरुकुल से प्राप्त करके अपनी साधना को फिर से जागृत कर सकते हैं ।
गुरु साधना से फिर से सफल बना सकते हैं । जिसमें आप अपने जीवन को बहुत ही अच्छे ढंग से परिवर्तित कर सकते हैं फिर वही साधक सफलता प्राप्त कर सकता है जो मन लगाकर साधना करें । और अपने रहस्य जीवन की कर्तव्यों का निर्वाह भी करता रहे क्योंकि दोनों को बैलेंस होना बहुत जरूरी है.
कुछ लोगों को बहुत सारी जीवन में परेशानियां आती रहती हैं और वह उनका उपाय भी नहीं कर पाते हैं। और बाहर जाकर वह लाखों रुपया खर्च करते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान भी नहीं हो पाता है। तो उनके लिए भी यह विशेष साधना जीवन में सीखकर अपना जीवन में कैसे हम आगे बढ़ सके । अध्यात्म जीवन में और अपनी भौतिक जीवन को भी कैसे सुधार करके आगे बढ़ सकते हैं यह सीखना बहुत जरूरी है ।
यह कोर्स पूर्ण रूप से तैयार किया गया है। जिसमें आयुर्वेद का भी ज्ञान सम्मिलित है और होम्योपैथिक दवाइयों का कैसे इस्तेमाल करें वह भी आपकी कोर्स में सम्मिलित रहेगा जिसे आप किसी भी बीमारी से दूर रहें।
कुछ विशिष्ट प्रकार के योग भी सम्मिलित हैं। जिससे आप अपने घर की बीमारियों पर खर्च होने वाली बेहतर लाखों रुपया बचा सकते हैं।
मंत्र तंत्र विश्वविद्यालय आपके लिए गुरुदेव के ज्ञान का प्रचार प्रसार करने के लिए ग्रुप पुल का निर्माण किया है ऑनलाइन । घर बैठे आप साधनों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। और बहुत ही जल्द ही हम इसे विश्वविद्यालय का निर्माण करने के लिए भी कार्य करेंगे।
तंत्र विद्या सीखना और उसका उपयोग करना हर मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपने जीवन में उपयोग करके आगे बढ़ सके। जो लोग नहीं सीख रहे हैं उनका जीवन पशु वात आज जीवन बना हुआ है और वह दूसरों के सामने गिड़गिड़ा ही जीवन बिता रहे हैं।
मंत्र तंत्र यंत्र विज्ञान का महत्व लोगों में जाए इसलिए मैंने ऑनलाइन गुरुकुल शिक्षा पद्धति शुरू किया है। क्योंकि गुरुदेव का यह उद्देश्य था कि जीवन में सभी इस विषय पर जानकार हो और अपने जीवन को आगे बढ़ा सकें और ज्ञान का प्रचार प्रसार हो सके।
सिर्फ किताबें पढ़कर ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता । पत्रिका में बहुत कुछ आता है पर लोगों के समझ में नहीं आता कि मैं क्या करूं क्या ना करूं। लोग दीक्षा भी प्राप्त करके साधना संपन्न नहीं कर पाते हैं ।और उनको लाभ भी नहीं हो पाता है। 90 percent logon Ko eski jankari hi nahin Hoti ki ham Diksha lekar Karen kya।
दीक्षा का महत्व क्या है दीक्षा क्यों लेनी चाहिए। दीक्षा से जीवन में कैसे परिवर्तन लाया जा सकता है। यह सब बातें आप सीख सकते हैं कि कौन से दीक्षा मेरे लिए जरूरी है। कौन सी दीक्षा नहीं।
फीस busic, advance, master आधारित है। School online जैसा ज्ञान हो। सब को समझ आए।
समय देना होगा सब को पता रहे। मुक्त ज्ञानकोश का कोई महत्व नहीं। मुफ्त में बहुत कुछ मिल रहा है पर उसको लेने के लिए भी समय पर खर्च करना पड़ेगा। फिर भी लोग मुक्त का ज्ञान नहीं ले पा रहे है । अपने आप को आगे नहीं बढ़ाया पा रहे हैं।
क्योंकि अभ्यास पर आधारित है ज्ञान बिना अभ्यास के आप कुछ भी नहीं कर सकते।
जिसको समझ में आए वही संपर्क करें जिसको तर्क कुतर्क करना है वह इस में भाग नहीं ले।
तर्क कुतर्क करने के लिए मेरे पास समय भी नहीं है। मैं चाहता हूं ज्यादा से ज्यादा लोग गुरुदेव से जुड़ सके उनकी शक्तियों को अर्जित कर सकें और गुरुदेव का नाम रोशन कर सकें।
Whatapp 91 9560160184


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