Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali

kamakhya mantra sadhana vidhi

kamakhya mantra sadhana vidhi

kamakhya mantra sadhana vidhi

नूतन वर्ष की प्रथम महान् नवरात्रि पर्व दिव्य शक्ति से सम्पन्न होने का महोत्सव है। जीवन में धर्म, अर्थ, मोक्ष और प्रेम की पूर्णता प्राप्ति के लिए कामस्वरूप शक्ति का होना आवश्यक है।

शक्ति की साधना, भगवती कामाख्या की साधना सौभाग्यशाली व्यक्ति ही अपने जीवन में सम्पन्न कर पाते हैं, और फिर आपका तो वास्तव में ही पुण्योदय हुआ है, क्योंकि नवरात्रि जैसे महान् पर्व पर ऐसी महत्वपूर्ण साधना सम्पन्न करने का निश्चय करते हैं। यह साधना आप के जीवन के समस्त सन्तापों, दुःख-दारिद्रय, कष्ट, प्रभाव, पीड़ा और बाधाओं को मिटाने में सर्मथ होगी, वहीं आपको इस साधना के दौरान वे सफलताये भी मिल पायेंगी जो की जीवन में आवश्यक है।

इस साधना से जहां जीवन के समस्त द्वादश भोगों की प्राप्ति होती है, वहीं यह साधना शरीर के अन्दर के समस्त चक्रों के जागरण के लिए भी सहायक है, किसी भी प्रकार की अन्य साधनाओं में सफलता पाने के लिए भी कामाख्या शक्ति साधना का ही सहारा लिया जाता है।

इस साधना की सफलता के लिये ‘सिद्धिदायिनी कामाख्या यंत्र’ और ‘कामरूपेण माला’ एवं ‘9 मधुहारिणी कमल शक्ति बीज’ आवश्यक है। साधकों को चाहिये कि ‘दैनिक साधना विधि पुस्तक’ के अनुसार गणेश और गुरू-पूजन करें तथा 1 माला गुरू मंत्र का जप करें।

साधक अपनी दायीं ओर चावल से स्वास्तिक बनाकर उसमें कलश स्थापित करके उसको जल से पूर्ण कर दें। उसमें कुंकुम, अक्षत, पुष्प, एक सिक्का, दूब तथा एक सुपारी डाल दें तथा उसमें आम के पांच पत्ते डाल दें और उस पर मौली बंधा हुआ एक नारियल रख दें। उसके बाद कलश को स्नान कराये और मौली बांधकर चारों दिशाओं के घट पर कुंकुम से तिलक करें तथा अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करके दोनों हाथ कलश पर रख करके निम्न मंत्र का उच्चारण करें।

कलशस्यमुखे विष्णुः कण्ठे रूद्रः समाश्रितः मूलेतंत्र स्थितो ब्रह्मामध्ये मात्रिगण स्थिताः कुक्षौतु सागरा सर्वे सप्त द्वीपा वसुन्धरा ऋग्वेदोऽथ युर्जर्वेदः सामवेदोऽथर्वणः। अंगैश्च सरिता सर्वे कलशं तु समाश्रिता।

शक्ति प्रमोद आदि ग्रन्थों में भगवती दुर्गा का अष्टाक्षरी मंत्र महत्वपूर्ण माना है।

मंत्र ।। ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः ।।

विन्यास

ह्रीं – माया बीज

दुं – दुःख मिटाने व प्रतिष्ठा प्रदान करने में समर्थ

र्गा – भौतिक सम्पति, सुख और सौभाग्य प्राप्त करने में समर्थ

य – आध्यात्मिक चक्रों को जागृत करने और मारूत बीज समर्थ करने में सहायक

ऊँ – प्रणव जो पूरे मंत्र को बांधे रखता है।

नमः – हृदय बीज जिससे कि भगवती दुर्गा प्रत्यक्ष होकर सर्व सिद्धि प्रदान करती हैं।

इस प्रकार यह आठ अक्षरों का मंत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सभी प्रकार से समर्थ एवं सशक्त है।

कामाख्या यंत्र को अपने सामने थाली या किसी प्लेट में स्थापित करें। यंत्र को बायें हाथ में रखकर दाहिने से ढक कर प्राण प्रतिष्ठा हेतु निम्न मंत्र का उच्चारण करें-

ऊँ आं हीं क्रौं यं रं लं वं शं षं हं सः सोहमस्य यंत्रस्य प्राणा इह प्राणाः। ऊँ आं हीं क्रौं यं रं लं वं शं षं हं सः सोहं अस्य यन्त्रस्य जीव इह स्थितः।

यंत्र को प्लेट पर स्थापित कर दें। यंत्र का पूजन कर नैवेद्य अर्पित करें तथा 9 लाल रंग के फूल के साथ कमल बीज निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुये चढायें-

विनियोग

ऊँ अस्य भी दुर्गा मन्त्रस्य श्री नारद ऋषिः।

गायत्री छन्दः श्री दुर्गा देवता मम

सर्वाभीष्ट फल प्राप्त्यर्थे जपे विनियोग।।

करन्यास

ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै अंगुष्ठाभ्यां नमः

ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै तर्जनीभ्यां स्वाहा

ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै मध्यमाभ्यां वौषट्

ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै अनामिकाभ्यां हुँ

ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै कनिष्ठिाकाभ्यां वौषट्

ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै करतलकर पृष्ठाभ्यां फट्।

अंगन्यास

ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय हृदयाय नमः

ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय शिरसे स्वाहा

ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय शिखायै वषट्

ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय कवचाय हुं

ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय नेत्रयाय वौषट्

ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय अस्त्रय फट्

ध्यान

सिंह स्कन्धा समारूढ़ां नानालंकार भूषितां।

चतुर्भुजां महादेवीं नाम यज्ञोपवीतिनीम्।

रक्त वस्त्र परीधानां बालार्क सद्दशी तनुं।

नारदाद्यैर्मुनि गणैः सेवितां भव गेहिनीम्।

त्रिवली वलयोपेतद नाभि नाल सुवेशिनी।

प्रफूल्ल कमलारूढ़ां ध्यायेत् तां भव गेहिनीम।।

पीठ पूजा

आं प्रभायै नमः। ईमायायै नमः।

ऊँ जयायै नमः ऋ सूक्ष्मायै नमः।

लूं विशुद्धायै नमः।

ऊँ ऐं नन्दिन्यै नमः।

ऊँ सुप्रभायै नमः।

अं विजयायै नमः।

अः सर्व सिद्धिदायै नमः।

अष्ट शक्ति पूजन

जं जयायै नमः विं विजयायै नमः कीं कीत्यै नमः प्रीं

प्रत्यै नमः। प्रं प्रभवै नमः। शुं शुद्धायै नमः।

मैं मेधायै नमः। श्रुं श्रुत्यै नमः।

सर्व सिद्धि मातृका

दुर्गा च कौशिको चोग्रा चण्डा माहेश्वरी शिवा ।

विश्वेश्वरो जगद्धात्री स्थिति संहार-कारिणो ।।1।।

योग-निद्रा भगवती देवी स्वाहा स्वधा सुधा ।।

सृष्टिराहुतिरेवोक्ता स्वाराणां शक्तयः क्रमात् ।।2।।

कला माया रमा ज्येष्ठा स्तुतिः पुष्टिः स्थितिर्गतिः ।।

रतिः प्रीतिघृ तिर्नीतिविर्भु तिभु। तिरून्नतिं ।।3।।

क्षितिः क्षान्तिः क्षतिः कान्तिः शान्तिः क्लान्तिर्महा द्युतिः ।।

क्षुत्पिपासां स्पूहा लज्जा निद्रा चिदात्मिका ।।4।।

गिरिजा भारतीलंक्ष्मीः शचो संज्ञा विभावरी ।।

कादीनां शक्तयः प्रोक्ताः सर्व-सिद्धि-प्रदायिका ।।5।।

मंत्र जप

इसके बाद भगवती कामाख्या मंत्र की 5 माला मंत्र जप कामरूपेण माला से नित्य 9 दिनों तक सम्पन्न करें।

मंत्र ।। ऊँ ह्रीं कामाख्यै कामरूपाये कुरू कुरू नमः ।।

शीघ्र सिद्धि प्राप्ति के लिए नवार्ण मंत्र की 4 माला जप करें।

नवार्ण मंत्र ।। ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।।

कामाख्या शक्ति साधना अद्वितीय एवं श्रेष्ठतम शक्ति सम्पन्न हैं तथा तत्काल सहायता करने में सक्षम हैं। साधक इस दस महाविद्या मंत्र का प्रतिदिन 51 बार उच्चारण करें।

मंत्र इस प्रकार हैं-

काली मंत्र ।। ऊँ ह्रीं ह्रीं हूं हूं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं ।। तारा मंत्र ।। ऐं ओं ह्रीं क्रीं हुं फट् ।। षोडशी सुन्दरी मंत्र ।। ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकलह ह्रीं सकल ह्रीं ।। भुवनेश्वरी मंत्र ।। ह्रीं ।। छिन्नमस्ता मंत्र ।। ऊँ श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीय हूं हूं फट् स्वाहा ।। त्रिपुर भैरवी मंत्र ।। हसैं हसकरीं हसैं ।। धूमावती मंत्र ।। धूं धूं धूमावती ठः ठः ।। बगलामुखी मंत्र ।। ऊँ ह्लीं बगलामुखी ह्लीं ऊँ ।। मातंगी मंत्र ।। ऊँ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट स्वाहा ।। कमला महाविद्या मंत्र ।। ऊँ ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं ।।

प्रतिदिन निश्चित समय और निश्चित संख्या में मंत्र जप करें न कम न अधिक।

नवरात्रि के दिनों में अनुष्ठान पूर्ण करना अत्यन्त शुभदायक सिद्ध होता है, यह पूजन विधान नित्य प्रतिदिन करना है। और यदि किसी कारण वश नित्य प्रति पूजन नहीं कर सकें तो प्रथम दिन पूजन अवश्य करें और माला से मंत्र जप तो नित्य सम्पन्न करें।


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