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vaartaalee vaaraahi mahaamantra # वार्ताळि वाराहि महामंत्र◆ ●श्री वार्ताळि वाराह vaartaalee vaaraahi mahaamantra # वार्ताळि वाराहि महामंत्र◆ ●श्री वार्ताळि वाराहि मूलमंत्र-

MTYV Sadhana Kendra -
Thursday 15th of August 2024 03:05:11 PM


# वार्ताळि वाराहि महामंत्र◆
●श्री वार्ताळि वाराहि मूलमंत्र-
ॐ ऐंं ग्लौंं ऐंं नमो भगवति वार्ताळि वार्ताळि वाराहि वाराहि वराहमुखि वराहमुखि ऐं ग्लौं ऐं अन्धे अन्धिनि नमो, रुन्धे रुन्धिनि नमो,जम्भे जम्भिनि नमो, मोहे मोहिनि नमो,स्तंभे स्तंभिनि नमः ऐं ग्लौंं ऐं सर्वदुष्टप्रदुष्टानां सर्वेषां सर्ववाक्पदचित्त चक्षुर्मुखगति जिह्वाम् स्तंभनं कुरु कुरु शीघ्रं वश्यं कुरु कुरु ऐं ग्लौं ठः ठः ठः ठः हुं फट् स्वाहा।
विधि:-
यह मंत्र का 21000 जाप से सिद्ध होता है।फिर इसके निरंतर अभ्यास से त्रिकाल ज्ञान प्राप्त होता है।देवी उसे सभी प्रश्नों का उत्तर कान में बताती है।
#वार्ताळि वाराही शाबरमंत्र●
ओंम नमो आदेश गुरू को । वाराही माता। भैसी का वाहन । हाथ में काल दंड दृष्टो पे शासन। तारे धरती माता मनभावन। वराह वाराही दंड धारे। राखे पिंड काया प्राण । वराह बली चलते साथ। मैली विद्या मैला मेल । बंधी महवारी । बंधी कोक । असर कसर । भूत चुडेल टोना टूमण तंत्र मंत्र निवारो । राखो लाज । सत शब्द सत की शक्ती । दुहाई जगदंबे की। माई कामाख्या की । शब्द साच्या पिंड काच्या फुरो मंत्र ईश्वरी वाच्या।।
विधि :-रात्रि काल में 21 दिन तक रोज एक माला जप करें।मंगलवार या शनिवार से। साधना से पहले भगवान लक्ष्मी नारायण या शिव दुर्गा कै मंदिर जाकर पूजा करे प्रसाद चढ़ाकर यह वाराही साधना के लिए अनुमति मांगे और मंदिर में 21 बार मंत्र जपे। फिर घर में रात्रि में साधना करें । पीतल के दीपक में घी का दीपक जलाएं। साधना करते समय रोज थोड़े से कच्चे आलू या शकरकंद रखें,और दूध और केले का प्रसाद रखें । दूसरे दिन सुबह आलू या शकरकंद किसी सूअर को खिला दें। दूध और केले का प्रसाद स्वयं ले और घर के लोगों को दे।
माला रूद्राक्ष रक्तचंदन या कमलगट्टे की ले। इस तरह 21 दिन की साधना से यह मंत्र सिद्ध होता है।
किस कार्य में उपयोग किया जाता है??
जैसे नजर उतारना,झाड़ा लगाने और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने में सक्षम है। जल या बताशे को मंत्र से अभिमंत्रित कर खिलाने से मैली विद्या का प्रभाव दूर होता है।
3.ॐ ह्रीं श्रीं नमो भगवती वाराही वैष्णवी सर्व तंत्रानुतंत्रम् छिन्द छिन्द भिंद भिंद सुआरोग्यम सुऐश्वर्यम सुबुद्धिम् देहि देहि परमेश्वरी चक्रधारिणीये श्रीं ह्रीं स्वाहा ।
4.ॐ व्हीं र्थीं वाराही देव्यै नमः
5.ॐ नमो भगवत्यै वाराहरूपिण्यै चतुर्दशभुवनाधिपायै वाराहियै भूपतित्वं में देही दापय स्वाहा।
6.ॐ ह्रीं नमो वाराही शत्रु स्तंभय ठः ठः फट्।।
7.ओम ह्रीं नमो वाराहि अघौरे स्वप्न दर्शय दर्शय ठ: ठ: स्वाहा ll
8.ॐ वाराहमुख्यै विदमहे दण्डनाथायै धीमहि तन्नौ वाराही देवी प्रचोदयात।
9.ॐ वाराहमुखी विदमहे आन्त्रासनी च धीमहि तन्नौ देवी प्रचोदयात
10.ॐ महिषध्वजायै विदमहे दंडनाथाय धीमहि तन्नौ वाराही देवी प्रचोदयात।


::करालं महाँकाल कालं कृपालं::


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