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प्रत्येक साधना का आधार है यही साधना This sadhana is the basis of every sadhana This sadhana is the basis of every sadhana, आत्मचेतना यंत्र

MTYV Sadhana Kendra -
Friday 22nd of November 2024 04:20:56 PM



प्रत्येक साधना का आधार है यही साधना
प्रत्येक साधना का एक मर्म होता है जिसको समझे बिना उसमें प्राप्ति की संभावना न्यून होती है और स्वयं साधना का भी मर्म होती है आत्मचेतना, क्योंकि आत्मचेतना के अभाव में उत्पत्ति संभव ही नहीं उस आत्मबल की, जो सम्पूर्ण साधना में एक प्रवाह एवं बल बन सके। जीवन में तीव्रता से उन्नति करने के लिए यदि साधना का आश्रय लेने का मानस बन चुका हो, तो ऐसे | योग्य साधक को प्रयास कर अवश्यमेव 'आत्मचेतना साधना' सम्पन्न कर ही लेनी चाहिए। प्रत्यक्षतः यह किसी भौतिक अथवा आध्यात्मिक उपलब्धि की साधना नहीं है, किंतु क्या संभव है, कि किसी नींव की अनुपस्थिति में कोई मकान बन सके? और बना भी लिया तो कितना टिक सकेगा वह ?
यद्यपि प्रत्येक साधना किसी न किसी रूप में साधक की आत्म-चेतना को स्पर्श करती ही है, किंतु यदि साधक ने आत्मचेतना की यह प्रस्तुत मूल साधना सम्पन्न कर रखी होती है, तो वह किसी भी अन्य साधना के प्रभावों को अधिक तीव्रता से ग्रहण कर पाता है, क्योंकि तब उस साधना (भले ही वह किसी भी देवी-देवता, अप्सरा, यक्षिणी आदि की क्यों न हो) की ऊर्जा साधक की आत्म चेतना को स्पर्श करने के स्थान पर अपने विषय की ओर अधिक तीव्रता से केन्द्रित हो जाती है।
इस साधना को अपने जीवन की आधारभूत साधना बना कर अन्यान्य क्षेत्रों में तीव्रता से प्रगति करने के इच्छुक साधक को चाहिए कि वह ताम्र पत्र पर अंकित 'आत्मचेतना यंत्र' को प्राप्त कर उसे 03.12.2014 या किसी भी रविवार की प्रातः किसी सफेद वस्त्र पर तांबे के पात्र में स्थापित कर स्वयं पूर्व की ओर मुख करके बैठें तथा 'आत्मचेतना माला' के द्वारा निम्न मंत्र की 125 माला मंत्र जप सम्पन्न करें। साधक स्वयं भी साफ सफेद धोती पहन कर, सफेद आसन पर बैठे तथा संभव हो तो घी का दीपक भी लगा लें, यद्यपि यह अनिवार्य नहीं है।
मंत्र
॥ ॐ ह्रीं सोऽहं ह्रीं ॐ ॥
OM HREEM SOHAM HREEM OM
यथासम्भव साधक इस साधना को प्रातः पांच से छह बजे के मध्य ही सम्पन्न करें। इक्कीस दिन तक उपरोक्त क्रम बनायें | रखने के पश्चात, अंतिम दिन सभी सामग्री किसी देवालय में कुछ दक्षिणा के साथ रख दें। यह चमत्कार प्रधान साधना नहीं है किंतु | इसे सम्पन्न करने के पश्चात साधक फिर अन्य किसी साधना में प्रवृत्त होते समय स्वयं अनुभव कर सकता है, कि पहले जहां उसे आधे या एक घंटे तक मंत्र जप बैठने पर कष्ट अनुभव होता था, वहीं दो-दो घंटे या इससे भी अधिक बैठने पर भी न तो थकान आती है न ही किसी अन्य प्रकार से कोई व्यवधान उपस्थित होता है। यही इस साधना का मुख्य उद्देश्य भी है।
न्यौछावर 2240/-

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