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पीताम्बरा:-नवग्रह दोष निवारण साधना Pitambra Navgrah Dos Nivaran Sadhana

पीताम्बरा:-नवग्रह दोष निवारण साधना Pitambra Navgrah Dos Nivaran Sadhana

पीताम्बरा:-नवग्रह दोष निवारण साधना


बगलामुखी जी को ही पीताम्बरा कहा जाता है,यह साधना नवरात्रि मे कियी जाने वाली साधना है और अपना प्रभाव तुरंत ही साधक के जीवन मे देखने मिलता है,साधना की यह विशेषता है के माँ पीताम्बरा नक्षत्र स्तंभीनी है और जब नक्षत्र स्तंभीनी से हम प्रार्थना करते है तो हमारे सभी प्रकार के कार्य सहज ही सम्पन्न हो जाते है,अभी तक आपने पीताम्बरा जी की कई साधना ये सम्पन्न की होगी परंतु यह साधना आज के युग मे अत्यंत आवश्यक साधना मानी गयी है,इस साधना से जहा नवग्रह देवता के दोष कम होते वैसे ही उनकी अखंड कृपा भी प्राप्त होती है और जीवन मे कई प्रकार के लाभ होते है,इसी साधना से भाग्योदय भी संभव है॰इस साधना से कालसर्प-दोष,नक्षत्र-दोष,पितृ-दोष,………………कुंडली मे जीतने भी दोष हो उनकी समाप्ती निच्छित ही होती है...............



साधना विधि-


किसी बड़ी सी स्टील के प्लेट मे माँ बगलामुखी यंत्र हल्दी के स्याही से अनार के कलम से निर्मित करे,साधना मे पीले रंग के पुष्प,आसन,वस्त्र का ही उपयोग करे अन्य रंग का उपयोग वर्जित है,मंत्र जाप हल्दी माला या पीली हकीक माला से करना है,समय रात्रिकालीन होगा जो आपको उपयुक्त है,दिशा उत्तर/पच्छिम अति उत्तम है,साधना से पूर्व नित्य गुरु और गणेश पूजन अवश्य सम्पन्न करे और साधना के प्रथम दिवस पर संकल्प अवश्य लीजिये,यह साधना तभी की जाती है जब नवरात्रि का प्रारम्भ शनिवार/मंगलवार को होता है॰



मानसिक पीताम्बरा पूजन


श्री पीताम्बरायै नम: लं पृथ्वीव्यात्मकं गंन्ध समर्पयामी ।
श्री पीताम्बरायै नम: हं  आकाशात्मकं पुष्प समर्पयामी ।
श्री पीताम्बरायै नम: यं वार्यात्मकं धुपं समर्पयामी ।
श्री पीताम्बरायै नम: रं तेजसात्मकं दीपं समर्पयामी ।
श्री पीताम्बरायै नम: वं अमृतात्मकं नैवेद्द्य समर्पयामी ।



ध्यान



मातर्भजय मदविपक्षवदनं जिव्हाचलं कीलय,ब्राम्हीं मुद्रय वदामस्ते पदाचार्या गतीं स्तंभय ।
शत्रुनचूर्णय चूर्णयाशु गदया गौरांगी पीताम्बरे,विघ्नौघं बगले हर प्रणमतां कारुण्यपूर्णेक्षणे ॥


मंत्र-


॥ ॐ नमो भगवते मंगल शनि राहू केतू चतुर्भुजे पीताम्बरे अघोर रात्रि कालरात्रि मनुष्यानां सर्व मंगल तेजस राहवे शांतये शांतये केतवे क्रूर कर्मे दुर्भिक्षता विनाशाय फट स्वाहा ॥


3 माला मंत्र जाप नित्य 9 दिन तक करे और दशमी को विजय मुहूर्त पे पीली सरसो से २७० आहुतिया अग्नि मे समर्पित करे,हो सके तो किसी शिव मंदिर जाकर किसी गरीब भूके आदमी को अन्न दान करके संतुष्ट करे,माला को जल मे विसर्जित करना आवश्यक है और प्लेट मे जो यंत्र निर्माण किया था उसमे जल डालकर प्लेट धोकर वह जल घर मे ही किसी पौधे मे डाल दे..........


श्री सदगुरुजीचरनार्पणमस्तू..................

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