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Meditation of Sadgur Swami Nikhileshwar Maharaj

Meditation of Sadgur Swami Nikhileshwar Maharaj

पौष शाकम्भरी पूर्णिमा २  साधना प्रयोग दिया जा रहा है
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सदगुर स्वामी निखिलेश्वर महाराज की साधना

*शुभ तिथि के उपलक्ष्य मे  सदगुर स्वामी निखिलेश्वर महाराज की साधना मे जो भाग लेना चाहते हैं वो अपना नामांकन करे!! आप का नाम संकल्प मे लिया जायेगा और आपके मंगलमय जीवन हेतु प्रार्थना कि जायेगी। साथ ही हवन के दर्शन की  छवि आपको भेज दी जाएगी *
साधना मे विशेष मंत्रो का जाप साथ हवन भी किया जायेगा

शुल्क 501/-

जो भी आज रात 09:11 पूर्णिमा के अवसर


पर गुरु साधना में भाग लेना चाहते है वो अपना नाम रजिस्ट्रेशन करवाए और सद्गुरु का का आशीर्वाद प्राप्त करे

इस दिन विशेष साधना सदगुर स्वामी निखिलेश्वर महाराज की साधना के लिए सम्पर्क करे स:शुल्क 501 -  

*अपना नाम एड्रेस गोत्र न्योछावर राशि के साथ जमा करें!


गुरु साधना प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण क्रिया है सबसे बड़ी बात तो ये है, कि इस क्रिया का तात्पर्य है गुरु के प्राणों से जुडना, गुरु की उर्जा का हमारे प्राणों में, मन में, रक्त के कण-कण में स्थापित होना, ललाट पे अंगूठा टिकाने से या किसी के हाथ में श्री फल देकर गुरु मानने से गुरु या दीक्षा नहीं हो जाती, गुरु की एक अत्यंत गुढ़ क्रिया है  जिसे समझने में शायद कई जन्म लग जाते हैं......

?यदि सही रूप से देखा जाए तो हमारा अब तक का बीता हुआ जीवन परेशानियों बाधाओं अड़चनों और कठिनाइयों से भरा हुआ है हमें जीवन में कुछ सुख और सफलता मिलना चाहिए थी वह हमें नहीं मिल पाई हम जीवन में जो कुछ आनंद लेना चाहते थे वह आनंद नहीं ले पाए और हम पद के लिए धन के लिए और प्रभुता के लिए बराबर परेशान होते रहे झगड़ते रहे जरूरत से ज्यादा परिश्रम करते रहे परंतु हमें जो अनुकूलता फल प्राप्त होना चाहिए था वह प्राप्त नहीं हो पाया इसका कारण यह है कि व्यक्ति उन्नति तभी कर सकता है जब उसके पास दैविक शक्ति हो... साधनाओं का बल हो... दैविक शक्ति की सहायता से ही व्यक्ति अपने जीवन में पूर्ण उन्नति एवं सफलता प्राप्त कर सकता है l

?महाभारत काल में भी जब अर्जुन को युद्ध में विजय प्राप्त करने की इच्छा हुई तो भगवान श्री कृष्ण ने उसे यही सलाह दी कि बिना दिव्य अस्त्रों के तुम्हारे लिए युद्ध में विजय प्राप्त करना असंभव है इसलिए यह जरूरी है कि पहले तो तुम शिव और इंद्र की आराधना करो उनसे दैविक अस्त्र और शस्त्र प्राप्त करो और ऐसा होने पर ही तुम जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकते हो युद्ध को जीत सकते हो
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नाभिदर्शना अप्सरा –
जो भी आज रात 11:54 से 02:44 तक पूर्णिमा के अवसर पर नाभिदर्शना अप्सरा साधना में भाग लेना चाहते है वो अपना नाम रजिस्ट्रेशन करवाए और सद्गुरु का का आशीर्वाद प्राप्त करे


सौन्दर्य की साक्षात् प्रतिमूर्ति, वय में षोडशी और कोमलता से लबालब कमनीय शरीर जो अपने यौवन से इतराया और प्रेम से सिंचित है। प्रतिपल भीनी खुशबू में नहाया तन नाभि-दर्शना के आने की सूचना देता है। इस अप्सरा की काली और लम्बी आंखें, लहराते हुए झरने की तरह केश और चन्द्रमा की तरह मुस्कुराता हुआ चेहरा, कमल नाल की तरह लम्बी बांहें और सुन्दरता से लिपटा हुआ पूरा शरीर एक अजीब सी मादकता बिखेर देता है, और इन्हें इन्द्र का वरदान प्राप्त है, कि जो इसके सम्पर्क में आता है, वह पुरुष पूर्ण रूप से रोगों से मुक्त होकर चिर यौवनमय बन जाता है, उनके शरीर का कायाकल्प हो जाता है, और पौरुष की दृष्टि से वह अत्यन्त प्रभावशाली बन जाता है।


इस दिन विशेष साधना नाभिदर्शना अप्सरा के लिए सम्पर्क करे स:शुल्क 2100 -  *अपना नाम एड्रेस गोत्र न्योछावर राशि के साथ जमा करें!

upi:-  Paytm, Phone Pay, Gpay Number 9313444700


WhatsApp mobile number +91 9560160184


विशेष मंत्र द्वारा जो केवल  ऊपर दिए गये समय तक ही प्रभावशाली रहेगा!! आप खुद करे और अनुभव करे!! मंत्र प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति संपर्क करे!!*अपना नाम एड्रेस गोत्र न्योछावर राशि के साथ जमा करें


सेवा भाव से की गयी कोई भी क्रिया समर्पण ही कहलाती है । और हमारा ये समर्पण हमारे गुरु के प्रति होता है, उस परमात्मा के प्रति होता है । यहां हमारी आसक्ति खत्म होने लग जाती है और साधना की क्रिया भी उस गुरु से जुड़ने की क्रिया बन जाती है ।


और जब समर्पण होता है, तब ही इस बात की समझ आती है कि जब भी हम अपने गुरु का चिंतन करते हैं तो आंखों से आंसू क्यों बहने लग जाते हैं । आंखों से आंसू बहने लगते हैं तब ही पता चलता है कि प्रेम क्या होता है, समर्पण क्या होता है और गुरु से जुड़ाव क्या होता है ।


अगर आपको अपने जीवन में जीवित जाग्रत गुरु मिल जायें तो आपका सौभाग्य है । और उसमें भी सदगुरु मिल जायें तो सौभाग्य की उपमा की ही नहीं जा सकती है । अगर मिलें तो फिर पैर पकड़ लेना उनके । अगर न मिलें तब भी कोई बात नहीं, क्योंकि गुरु तो अंदर ही बैठे हैं । वैसे भी आप उनको नहीं खोज सकते, गुरु ही आपको खोजते हैं ।


अगर कोई सद्गुरु न मिले तब भी अपने ह्रदय में बैठे सद्गुरु से ही मार्गदर्शन लीजिए, उनके प्रति ही समर्पण कीजिए । अगर इतना भी नहीं कर सकते तो राम, कृष्ण, बुध, महावीर, शिव..... किसी को भी गुरु रुप में धारण कीजिए, अपना समर्पण कीजिए और साधना कीजिए ।


तब जाकर साधना में सफलता मिलने की बात कीजिए । अगर इतना नहीं कर सकते तो बाकी सब भी व्यर्थ ही है ।

अब बात करते हैं कार्य सिद्धि की तो किसी भी कार्य में सफलता तब तक नहीं मिल सकती जब तक कि काल का सहयोग न प्राप्त हो । आपने बहुत बार सुना होगा कि मेहनत तो बहुत की पर शायद समय ठीक नहीं चल रहा है । बहुधा ऐसा होता है कि हम बहुत मेहनत करते हैं पर प्रारब्ध की वजह से या मेहनत की कमी से, या फिर कहिये कि आत्मविश्वास की कमी से हम बहुत से ऐसे कार्यों में भी असफलता प्राप्त करतेे हैं जहां हमें सफलता की पूरी उम्मीद थी । फैक्टर तो बहुत सारे होते हैं पर मुख्य रुप से दो ही चीजें हमारे भाग्य को दुर्भाग्य में बदल देती हैं ।


पहली चीज है चैतन्यता की कमी और दूसरा है काल शक्तियों का सहयोग न मिलना ।


तो अगर जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो हमें अपनी चैतन्यता के स्तर को ऊपर उठाना ही पड़ेगा

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