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गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र

गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र

परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः

...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........
यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
तीन लाख मंत्र का पुरस्चरण होगा.
नित्य जाप निश्चित संख्या में करेंगे .
रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
जाप के बाद वह माला गले में धारण कर लेंगे.
यथा संभव मौन रहेंगे.
किसी पर क्रोध नहीं करेंगे.
यह साधना उन लोगों के लिए है जो आध्यात्मिक उच्चता के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं.
यह साधना आपके अन्दर शिवत्व और गुरुत्व पैदा करेगी.
यह साधना वैराग्य की साधना है.
यह साधना जीवन का सौभाग्य है.
यह साधना आपको धुल से फूल बनाने में सक्षम है.
चूँकि यह गुरु साधना है इसलिए इस साधना से श्रेष्ट कोई और साधना नहीं है.

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