अतिविशिष्ट श्री "विश्वगुरु" महाशताक्षरी महामंत्र :
|| ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं क्रीं क्रीं क्रीं ऐं क्लीं सौः हंस: सोsहं नमो भगवते जगन्नाथाय आं आं आं ईं ईं ईं सर्वकारणकारणाय हं ग्लौं ह्रीं ॐ ह्रौं महामंत्रराजरूपाय श्रीमहाभैरवी चक्राधीश्वराय हसक्षमलवरयूं सहक्षमलवरयीं क्ष्रों क्ष्रों क्ष्रों कएईलह्रीं हसकहलह्रीं सकलह्रीं हसकरीं ह्लीं ह्लीं ह्लीं हंस: सोsहं ॐ महाज्वालामालिने त्रिगुणात्मकाय परमगुरवे महापुरुषाय नमः ||
-- गुप्तावतार बाबा श्री जी की कृपा से यह महामंत्र विश्व को प्राप्त हुआ है।
प्रयोग विधि : अपने गुरु या उनकी "प्राण-प्रतिष्ठित" छवि के नेत्रों का दर्शन करते हुए, अपने आप में पूर्ण त्राटक-भाव से गुरु के नेत्रों से मानसिक शक्तिपात ग्रहण करते हुए नित्य त्रिकाल संध्याकाल में इस महामंत्र का अनुसंधान करें ।