गुरु साधना सूत्र :-
गुरु मंत्र का कम से कम सवा लाख (१,२५,००० ) जाप करने के बाद ही अन्य साधनाओं
में प्रवृत्त हों| साथ में चेतना मंत्र और गायत्री मंत्र का भी जाप करे |
गुरु, इष्ट शिव और मंत्र को एक ही मानें.
गुरु कृपा से ही साधनाओं में सफ़लता मिलती है.| गुरु के सेवा ही शिस्य का धर्म है
गुरु एक अद्भुत सत्ता है.
गुरु शिव का स्वरूप है.|
गुरु सिद्धियों का इकलौता मार्ग है.|
गुरु के साथ छ्ल ना करें.|
गुरु आपकी हर बात जानने में समर्थ होता है , उसके साथ झूठ बोलने से, छ्ल करने से फ़िर भयानक अधोगति भोगनी पडती है.
कैसी भी गलती की हो गुरु के सामने स्वीकार करके चरण पकड के माफ़ी मांग लेनी चाहिये.
ऐसा भी हो सकता है कि आपको बेवजह डांट पड जाये, अपमानित होना पडे, ये सब गुरु का परीक्षण होता है, इसे सहज होकर स्वीकार करें, गुरु कृपा अवश्य होगी.
गुरु अपने आप में परमेश्वर सर्वश्रेष्ठ कृति है.?
गुरुत्व साधनाओं से, पराविद्याओं की कृपा और सानिध्य से आता है वह एक विशेष उद्देश्य के साथ धरा पर आता है और अपना कार्य करके वापस लौट जाता है.
बिना योग्यता के शिष्य को कभी गुरु बनने की कोशिश नही करनी चाहिये.
गुरु का अनुकरण यानी गुरु के पहनावे की नकल करने से या उनके अंदाज से बात कर लेने से कोई गुरु के समान नही बन सकता.
गुरु का अनुसरण करना चाहिये उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिये, इसीसे साधनाओं में सफ़लता मिलती है.
"शिष्य बने रहने में लाभ ही लाभ हैं जो शिस्य बन गया उसे गुरु से भी ज़ादा श्रेठ माना गया है | जबकि गुरु के मार्ग में परेशानियां ही परेशानियां हैं, जिन्हे संभालने के लिये प्रचंड साधक होना जरूरी होता है, अखंड गुरु कृपा होनी जरूरी होती है." शिस्य से साधक और साधक से शिस्य बन कर ही आप जीवन को सफल बना सकते है मानव का जीवन यु ही नहीं मिलता है | अगर आप आकांक्षा ले कर जीते रहे तो आप सेवा समर्पण कभी नहीं कर पाएंगे ये जीवन नस्ट हो जायेगा | फिर आप को यही फटक दिया जायेगा | फिर से वही मेहनत और यही तपस्या |? कब तक ये जारी रहेगा ये। .....