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हे सद्गुरुदेव ! तुम्हीं सबके स्वामी तुम ही सबके रखवारे हो

MTYV Sadhana Kendra -
Tuesday 9th of June 2015 06:47:55 AM


हे सद्गुरुदेव ! तुम्हीं सबके स्वामी तुम ही सबके रखवारे हो ।

तुम ही सब जग में व्याप रहे, विभु ! रूप अनेको धारे हो ।।

तुम ही नभ जल थल अग्नि तुम्ही, तुम सूरज चाँद सितारे हो ।

यह सभी चराचर है तुममे, तुम ही सबके ध्रुव-तारे हो ।।

हम महामूढ़ अज्ञानी जन, प्रभु ! भवसागर में पूर रहे ।

नहीं नेक तुम्हारी भक्ति करे, मन मलिन विषय में चूर रहे ।।

सत्संगति में नहि जायँ कभी, खल-संगति में भरपूर रहे ।

सहते दारुण दुःख दिवस रैन, हम सच्चे सुख से दूर रहे ।।

तुम दीनबन्धु जगपावन हो, हम दीन पतित अति भारी है ।

है नहीं जगत में ठौर कही, हम आये शरण तुम्हारी है ।।

हम पड़े तुम्हारे है दरपर, तुम पर तन मन धन वारी है ।

अब कष्ट हरो हरी, हे हमरे हम निंदित निपट दुखारी है ।।

इस टूटी फूटी नैय्या को, भवसागर से खेना होगा ।

फिर निज हाथो से नाथ ! उठाकर, पास बिठा लेना होगा ।।

हा अशरण-शरण-अनाथ-नाथ, अब तो आश्रय देना होगा ।

हमको निज चरणों का निश्चित, नित दास बना लेना होगा ।।

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!

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