महत्वपूर्ण प्रश्न
1- "सर्वोच्च विद्या क्या है ?"
"श्रीसद्गुरुदेव जी की भक्ति !"
2- "सबसे बड़ा यशस्वी कार्य क्या है ?"
"श्रीसद्गुरुदेव जी का सेवक बनना !"
3- "सर्वोच्च धन क्या है ? "
" श्री सद्गुरुदेव जी के प्रति सहज प्रेम !"
4- "सबसे भारी दुःख क्या है ?"
"श्रीसद्गुरुदेव जी भक्तो के संग से दूर होना !"
5- "परम मुक्ति क्या है ?"
"श्रीसद्गुरुदेव जी के प्रति प्रेम !"
6- " कोन - सा गीत सर्वोत्तम है " वह जो सद्गुरुदेव जी
की लीलाओं से युक्त हो !"
7- जीवो का परम मंगल किसमे है ?"
" श्री सद्गुरुदेव जी भक्तों का संग !"
8- ध्यान योग्य एकमात्र वस्तु क्या है ? "
श्र सद्गुरुदेव जीके चरणकमल !"
9- "श्रवण योग्य सर्वोत्तम विषय क्या है ? "
"श्री सद्गुरुदेव जी की मधुर लिलाये; !"
11- सबसे उपास्य वस्तु क्या है?
"श्री सद्गुरुदेव जी का नाम "।।
सद्गुरुदेव जी कहते है-
मेरे पास सब कुछ है,केवल मन मेरे पास नहीं है।
मुझे तुम्हारी आँख नहीं चाहिए, नाक नहीं चाहिए,दाँत,ओंठ नहीं चाहिए, मुझे तुमसे कुछ भोजन नहीं चाहिए,अशन-वसन नहीं चाहिए,सदन नहीं चाहिए।
लेकिन तुम्हारे ही हित में, तुम्हारी ही भलाई के लिए मैं तुमसे कहता हूँ कि यदि कभी कुछ देने का मन हो तो अपना "मन" मुझे दे देना।'
▪भक्त ने पूछा "तुम्हें क्यों दे दें?"
सद्गुरुदेव जी जी ने कहा-
तुमने दुनिया में जिसको मन दिया है,उसने तुम्हारे मन को तोड़ दिया है।
उसने तुम्हारे मन के भीतर अपनी कामना, वासनाओं का विष भर के पी करके उसको बुढ़ापे के घूरे पर जलने के लिए फेंक दिया है।
तुम वह मन मुझे दो, मैं उसको अपने माथे का मुकुट बनाकर रखूँगा ।
धरती पर जब मोर मेघ से प्यार करने की कामना करता है तो मेघ उमड़ता है, घुमड़ता है, बिजली गिराता है, गरजता, तरजता है, पानी की बूंद बरसाता है, इठलाता है, इतराता निकल जाता है।
लेकिन यदि तुम मुझे प्यार करोगे और मन दोगे तो मैं कृष्ण रूपी मेघ नीचे हो जाऊँगा और मन रूपी मोर मेरे ऊपर खड़ा होकर नाचेगा।'
अगर तुमको जिंदगी में दु:खी नहीं होना है तो मन मुझे देना, क्योंकि मुझे ही देने के बाद तुम आनन्दित हो सकते हो, पुलकित हो सकते हो।