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तंत्रोक्त नवग्रह कवच, Navagraha Kavacham Stotra, Navagraha Kavacham, NavGraha Ka तंत्रोक्त नवग्रह कवच, Navagraha Kavacham Stotra, Navagraha Kavacham, NavGraha

MTYV Sadhana Kendra -
Thursday 4th of May 2017 04:57:19 AM


तंत्रोक्त नवग्रह कवच

तंत्रोक्त नवग्रह कवच, Navagraha Kavacham Stotra, Navagraha Kavacham, NavGraha Kavacha

मानवी जीवन पर ग्रह मंडल में स्थित नवग्रहों का क्या परभाव पड़ता है इससे कोई भी साधक अनजान नहीं है ...समय समय पर ये ग्रह हमारे जीवन में अपना अपना अच्छा -बुरा परभाव डालते ही हैं..इन सभी ग्रहों की अपनी अपनी महत्ता हैं..यह अपनी कृपा द्रिशटी से किसी को राजा तो किसी को रंका बना सकने की क्षमता रखते हैं..सूर्य देव की अगर कृपा द्रिशटी हो जाये तो व्यक्ति को राज्याभिषेक से लेकर आत्म ज्ञान तक की प्राप्ति हो सकती है..मंगल की द्रिशटी से व्यक्ति में साहस का भरपूर संचार हो जाता है..बुध की दृष्टि से साधक में विवेक जागरण होता है,गुरु की द्रिशटी अध्यात्मिक उन्ती पर्दान करती है,शुक्र की शुभ द्रिशटी से व्यक्ति को समस्त भौतिक शुख सुविधा सौन्दर्य भोग विलास आदि प्राप्त होते हैं,शनि की द्रिशटी उसे न्यायक क्षमता , उच्च स्तारिये सफलता पर्दान करती है तो राहू और केतु उसे उसे तंत्र ज्ञान में मुहारत और वीरता आदि पर्दान करते हैं...इसलिए इन सभी ग्रहों का हमारे जीवन से एक गहरा नाता है..और समय समय पर इनकी कुंडली में स्थिति के हिसाब से इनके उपाय भी करते रहना चाहिए ताकि हम सरलता से निर्विघन अपने जीवन में आगे बढ़ सके ...इन सभी ग्रहों की स्थिति हमरे शरीर के अन्दर भी होती ही है इसकी जानकारी भी अछी तरह से हमे होनी ही चाहिए...सूर्य की स्थिति नाभि चक्र मेंचन्द्र की बिंदु चक्र मेंमंगल नेत्र मेंबुध हृदय मेंगुरु उदर मेंशुक्र वीर्य मेंशनि नाभि मेंराहू मुख मेंकेतु दोनों हाथों में और पैरों में....


गोचर में यह ग्रह और नक्षत्र अपनी स्थिति अनुसार सम्न्बंदित शरीरक अंग में विशेष परभाव दिखाते हैं...इन सभी ग्रह की शांति के लिए हमारे परम पूज्निये सदगुरुदेव जी ने समय समय पर हमे अनेक साधनाए दी है जिनमे " जिनमे नवग्रह साधना भी शामिल है" और इसके इलावा हमे बहुत कम समय की " चाद्रमोलिश्वर साधना " और महारिशी शुक्राचार्य परनीत "हेल्तव साधना " आदि उच्कोती की साधना भी दी हैं...लेकिन इनके साथ साथ उन्होंने हमरे लिए एक और आसान सा उपाय बहुत पहले पत्रिका में दिया था जिसे मैं यहाँ पेश कर रहा हूँ...आप सभी इसका लाभ उठाये.....यह बहुत आसान है इसमें समय भी बहुत कम लगता है मुश्किल से २० मिनट...यह पर्योग उस समय विशेष में बहुत लाभकारी है जब हमारे पास समय का आभाव हो जा हम ग्रह बाधा के शमन के लिए कोई विशेष अनुष्ठान न कर पाए....


यह एक अत्यंत सरल पर्योग है अपने सामने तंत्रोक्त नवग्रह यंत्रा स्थापित करे और उसका पूजन केवल सिंधूर,सरसों ,काली मिर्च तथा तिल से करे...यह नवग्रह कवच का तंत्रोक्त पाठ विशेष रक्षा कारक सर्वोतम विधान है..नित्य इसके केवल ११ पाठ इस महायंत्र के सामने करे..इस कवच के जप मात्र से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं...


विनियोगॐ अस्य जगन मंगल कारक ग्रह कवचस्य श्री भैरव ऋषि:अनुष्टुप छनद:श्री सूर्यादि ग्रहा: देवतासर्व कामार्थ संसिद्धये पठे विनियोग..


तंत्रोक्त नवग्रह कवच


ॐ ह्रीं ह्रीं सौ: में शिर:पातु श्री सूर्य गृह -पति:ॐ घौं सौं औं में मुखं पातु श्री चन्द्रो गृहराजक:ॐ ह्रां ह्रीं ह्रां स: करो पातु गृह-सेनापति:कुज:पायादथ पम ह्रों ह्रों स: पादौ नृप बालक:ॐ त्रौम त्रौम त्रौम स: कटिं पातु पातुपायादमर पूजित:ॐ ह्रौं ह्रीं सौ: दैत्य पूज्यो हृदयं परिरक्षतुॐ शौं शौं स: पातु नाभिं में गृह प्रेषयं शनैश्चर:ॐ छौं छौं स: कंठ देशं श्री राहुदेव मर्दक:ॐ फौं फां फौं स: शिखो पातु सर्वांगमभितोवतुग्रहाशतचैते भोग देहा नित्यास्तु स्फुटित -ग्रहा:एतदशांश -सम्भूता:पान्तु नित्यं तु दुर्जनातअक्षयं कवचम पुण्यं सूर्यादि -गृह-देवतंपठेद व पाठयेद वापि धारयेद यो जन: शुची:स सिद्धिं प्राप्युयादिष्टाम दुर्लभां त्रिदशैसतु यामतव स्नेहवशादुकतं जगनमंगल कारकमग्रहयंत्रानिवतंकृत्वा भीषटमक्षय माप्नुयात

इस कवच का पाठ करने से दारिद्र्य दूर होता है .अशुभ ग्रहों की बाधा शांत होने से शुभ ग्रह अपना परभाव देते हैं .जिससे विपतियों का नाश होता है और समस्त सुखों की प्राप्ति होती है....जय निखिल...........

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