एक दिन - इस बात पर गर्व करोगे कि.....
-क्या यह संभव हैं कि एक हाड़मांस का अदना सा आदमी छोटी सी उम्र में ही पूरे हिमालय को छान मारे ?
-क्या यह संभव हैं की एक व्यक्ति के सामने सैकड़ो-सैकड़ो शक्तियां
महाशक्तियां हाथ बंधे खड़ी रहे ?
-क्या ऐसा हो सकता हैं की सामान्य मनुष्य आकाश में विचरण कर सके
समस्त ग्रह-नक्षत्र उसके आवास स्थल हो ,पूरा नभ -मंडल उसका विचरण स्थल हो ,और सम्पूर्ण ब्रम्हांड में उसकी अबाध संचरण गति हो?
-क्या एक साधारण व्यक्ति योग,दर्शन,मीमांसा ,शास्त्र ,पुराण ,ज्योतिष आयुर्वेद ,मंत्र ,तंत्र ,साधना एवं ध्यान- धारणा-समाधि ,सभी क्षेत्रो में पारंगत हो ,सर्वश्रेष्ठ हो ,अद्वितीय हो ?
-क्या एक व्यक्ति के लिए यह संभव हैं कि वह किसी भी विषय पर अचानक अबाध अजस्र गति से बोलने की क्षमता रखता हो ,और सटीक सम्मत बोले ?
-क्या एक सामान्य व्यक्ति को वेद,पुराण ,उपनिषद ,मीमांसा आदि हजारो ग्रन्थ कंठस्थ हो ?
-नहीं ! ये लक्षण ,यह पहचान तो अति मानव की हैं ,अद्वितीय युग पुरुष की हैं ,
-सिद्धाश्रम ब्रम्हांड का तेज पूंज
-अद्भुद अनिवर्चनीय ,,मृत्यु से परे जीवन ,जाग्रत ,चैतन्य ,तपस्थली
-जहाँ आज भी वेद-व्यास ,विश्वामित्र ,श्रीकृष्ण ,विशुद्धानन्द ,शंकराचार्य जैसे युग पुरुष ,समाधिरत देखे जा सकते हैं
-पर इन सबमे तेजस्वी व्यक्तित्व परमहंस निखिलेश्वरानंद जी का हैं
-जो सिद्धाश्रम में प्राण हैं ,उसकी ऊर्जा हैं ,धड़कन हैं ,चैतन्यता हैं सिद्धता हैं
-बिना निखिलेश्वरानंद के सिद्धाश्रम की कल्पना ही नहीं की जा सकती दोनों का सम्बन्ध ,शरीर और प्राण का हो गया हैं
-जो नित्य सूक्ष्म शरीर से सिद्धाश्रम जा कर ,उच्कोटि के योगियों का मार्ग दर्शन करते हैं
-जिनकी चरण धूलि लेने के लिए योगीजन मीलों दौड़े चले जाते हैं
-यदि किसी से निखिलेश्वरानंद जी एक क्षण के लिए बात कर लेते हैं तो वह धन्य-धन्य हो उठता हैं
-और एक दिन तुम सब शिष्य इस बात पर गर्व करोगे कि तुम परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के शिष्य रहे हो
-ऐसे गुरुवर ,परमहंस निखिलेश्वरानंद जी का शत-शत वंदन
।।जय श्री सद्गुरू देव निखिल जी।।