मनुष्य जन्म का अवसर मिलना बड़ा दुर्लभ है । जो इसका दुरूपयोग करता है, उसे फिर यह मौका नहीं मिलेगा ।
शास्त्र में आया है ---
अमन्त्रमक्षरम नास्ति नास्ति मुलमनौषधम ।
अयोग्य: पुरुषो नास्ति योजक्स्त्र दुर्लभ: ।।
'ऐसा कोई अक्षर नहीं है जो मन्त्र न हो । ऐसी कोई वनस्पति नहीं है जो औषधि न हो । ऐसा कोई पुरुषनहीं है जो योग्य न हो । परन्तु इनका संयोजक दुर्लभ है ।' परमात्म प्राप्ति में देरी का कारण लगन की कमी है । जैसे फल तैयार होता है तो उसके पास तोता स्वयं आता है, ऐसे ही आप तैयार हो जाएंगे तो सन्त-महात्मा स्वत्: आयेंगे ।
साधना सफलता की सात बाधा
साधना का अभ्यास किसी गुरु के सानिध्य में रहकर ही किया जाता है। विभिन्न योगाचार्यों अनुसार अभ्यास के समय कुछ आदतें साधक के समक्ष बाधाएँ उपस्थित कर सकती हैं, जिससे साधना में विघ्न उत्पन्न होता हैं। ये आदतें निम्न हैं:-
1 अधिक आहार,
2 अधिक प्रयास,
3 दिखावा
4 नियम विरुद्ध,
5 लोक-संपर्क
6 चंचलता।
साधना सफलता के लिए हमें आपने रोगों को दूर करना आती आवश्यक होता है
ये रोग हो सकते है
१ मानसिक रोग
२ शारीरिक रोग
३ आत्मिक रोग
ये रोग पूर्व जन्म कृत होते है।
दीक्षा से कुंडली जागरण होने लगता है और समय भी कम लगता है . जब कुंडली जागरण होता है तो ये रोग समाप्त होने लगते है .साधना मैं सफलता के असर बढ जाता है।
जीवन बहुत ही कम है आप के पास और साधना मार्ग बहुत बड़ा है। उस के सूत्रों को एक ,एक कर के आपने अन्दर धारण करना होगा। समय तो लगता ही है और समय जो भी दे रहे है आप एक ,एक कदम आगे जा ही रहे है।
Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimaliji
मनुष्य को अपने जीवन में विकास करने के लिए प्रयत्न तो करना ही पड़ता है। प्रयत्न करने का पूरा साहस चाहिए, खाली बातों से विकास नही होता। पहले अपने जीवन का लक्ष्य तय करें, कि मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है, मुझे क्या खोजना है, क्या पाना है कहा जाना है ?
क्रमश भाग २
पाप नाश एवं साधना सफलता रहस्य
बालक, मनुष्य को ब्रम्हचार का पालन करवाना सिर्फ गुरु साधना से ही संभव है जिस हम पाप दोस से मुक्त हो कर साधना मैं सफलता मिल सके
गुरु साधना ही एक है जो ब्रम्हचार के साथ आप पाप दोस ख़तम कर सकेगे तभी आप सभी विकारो से मुक्त हो पायेगे
ब्रम्हचार का अर्थ है जो ब्रम्ह जेसे व्यवहार करे
सत्य और धर्म का पालन कर सके
पालन केवल केवल गुरु ही करा सकता है
और कोई नहीं
एस का ये अर्थ नहीं की शादी सुधा लोग ब्रम्हचार नहीं हो सकते है
आप एक बार पाप नाश साधना कर लो
खुद ही अनुभव हो जायेगा
की आप के अन्दर क्या अनुभव हूया
विकारो को रोकने का कोई सरल उपाय है तो वो है आपने पाप दोस को ख़तम कर सको दीक्षा से साधना से .....
शक्ति ही विकारो को जन्म देती है
मनुष्य देवता बन सकता है राक्षस भी
उसी शाक्ति से गुरु उस शक्ति का नियंत्रण करते है जिस हम विकारो से मुक्त बन जाते है और देवता बन जाते है............
आप त्रिमूर्ति गुरु देव से दीक्षा ले लो
या साधना का मंत्र जाप करो
जो ८ गुरूवार किया जाता है
Mantra Tantra Yantra Vigyan
Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimaliji
क्रमश
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