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सद्गुरुदेव जी का प्यार हम सब के लिए है

MTYV Sadhana Kendra -
Monday 18th of May 2015 02:38:23 PM


सद्गुरुदेव जी का प्यार हम सब के लिए है ..हम रोज़ नयी नयी तरकीबें सोचते हैं की किस तरह गुरूजी का प्यार हमें मिल पाए ...ये सेवा ,श्रधा .दान पुण्य आदि सारी विधाएं गुरूजी का प्यार पाने के ही रास्ते हैं .पर यहाँ एक बात हम समझ नहीं पा रहे हैं ..कि गुरूजी का प्यार तो हमेशा से ही हमारे लिए है ..ये शाश्वत चला आ रहा है ..चाहे हम किसी भी योनी में हों ... हम हैं तो उनका ही अंश ...फिर क्यूँ नहीं करेंगे हमसे प्यार ..

हम गुरूजी का प्यार तब पहचान पाते हैं ..जब हम खुद भी उनसे प्यार करना शुरू कर देते हैं ....जितना ज्यादा हमारे अंदर प्यार बढेगा ...उतना ही हम सद्गुरुदेव जी से खुद को निकट महसूस करेंगे ..इंसानी प्यार हो या भगवन से प्यार ..प्यार तो प्यार है ..बिना शर्त प्यार जहाँ भी होगा ..परमात्मा वहां नज़र आयेंगे ...हम कह तो देते हैं गुरूजी हम आपको प्यार करते हैं ..साथ में शर्त भी डाल देते हैं ..हमारी ये मनोकामना पूरी कर दो ..हम हमेशा तुम्हारे चरणों में रहेंगे ....जैसे आज के समय में ज्यादातर प्यार के रिश्ते पति-पत्नी ..भाई -बहन .प्रेमी-प्रेमिका आदि आदि ...शर्त पर ही टिके होते हैं ..जैसे अहंकार की पूर्ति हो रही है तो प्यार टिकेगा ..सांसारिक या शारीरिक जरूरत की पूर्ति हो रही है ..तो प्यार रहेगा ...जैसे ही कहीं इनमें रुकावट आयी ...प्यार को बिखरते देर नहीं लगती .....हम गुरूजी से भी ऐसा ही प्यार करते हैं ..मनोकामना पूरी हो गयी तो गुरूजी प्यारे हैं ..नहीं तो ..................

ऐसा ही हम करते हैं ..विपतियों का पहाड़ टूट पड़ा हो ..कह रहे हैं ..गुरूजी आपकी शरण में हैं ....पर अपनी चालाकी को नहीं छोड़ पाते हैं ..शर्त के साथ गुरूजी बचा लो ...आपकी शरण में रहूँगा .... यह कह हम जैसे गुरूजी पर अहसान करनेवाले हों .. ..कैसा समर्पण है हमारा ....विपति बड़ी हो सकती है ..पर गुरूजी से बड़ी नहीं ..यदि कृपा नहीं दिख रही है ..तो इसका मतलब है की हमारी श्रधा को और बढ़ाने का अवसर मिल रहा है ..कभी भी ईश्वर हमें वो कार्य नहीं देते जो हम नहीं कर सकते ....यानि हमारे तरफ से ही कमी है कहीं ...उसे पहचानकर दूर किया जा सकता है ...और कुछ समझ नहीं आ रहा हो तो गुरूजी से दया की भीख तो हमेशा मांगी जा सकती है ..

हमें करना क्या है ऐसे प्यार की ऊँचाई को पाने के लिए ....हमें कुछ करना ही नहीं है ...जो भी हो रहा है ..उसे सरल भाव से हो जाने देना है ...अपना दिमाग नहीं लगाना है .. उसने ऐसा किया तो हम भी ऐसा करेंगे की उसे भी हमारे प्यार की कमी महसूस हो......ऐसा कर हम खुद को ही तकलीफ में रखते हैं .... दिल से जब हम किसी को प्यार करते हैं ..तो उसकी ख़ुशी से ही खुश होते हैं ....यदि हमसे अलग रहने से उसे ख़ुशी मिलती है ..तो उसकी ख़ुशी को मान लें ...प्यार हमें करना है ..बदले में प्यार पाने की उम्मीद रखना आम इंसानी चाह है ..पर यदि नहीं मिला ..तो हमें कोई प्यार करने से रोक तो नहीं रहा ...हमें लगता है कि हमरी ख़ुशी इस बात पर निर्भर करती है कि हमें कितना प्यार मिलता है ..जबकि सच तो ये है...हम उतना ही खुश रहते हैं जितना ज्यादा प्यार हम करते हैं ...चाहे इंसान से ..भगवान् से... प्रकृति से ..पशु-पक्षी आदि से ..

प्यार अपना असर छोड़ता ही है ....ये ऐसी उर्जा है ..जो ब्रह्माण्ड की कोर शक्ति है ...इसके बिना न ही किसी का अस्तित्व है ..न ही रहेगा.. यदि सद्गुरुदेव जी का प्यार चाहिए तो हमें दिव्य प्यार करना सीखना ही पड़ेगा

सद्गुरुदेव जी हम सबके अंदर ऐसे दिव्य प्यार का प्रकाश भर दें जिससे हम सबसे प्यार कर पायें....................

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