8 अप्रैल (गुरु माँ पराम्बा श्रीभगवती जन्मोत्सव) से 21 अप्रैल (परमेष्ठि गुरु परमहंस श्रीनिखिलेश्वरानन्द जन्मोत्सव) के “भगवती-नारायण महाकल्प” में सम्पन्न करें :
|| श्री भगवतीनारायण अर्धनारीश्वर स्वरूप पूर्णत्व साधना ||
इसके अंतर्गत 8 अप्रैल से 21 अप्रैल तक प्रतिदिन “श्रीगुरु रहस्य माला” या अपनी गुरुमंत्र जापमाला से 21 माला “श्रीगुरुमंत्र” का जाप करते हुए प्रतिदिन अपने हृदय चक्र में द्वादश-दल (12 पंखुड़ियों का) कमल पर विराजमान भगवती-नारायण की युगल छवि का ध्यान करते हुए 24 मिनट तक “श्रीअर्धनारीश्वरमंत्र” का अनुसंधान करें। यह मंत्र श्रीअर्धनारीश्वरस्तोत्रम् (श्रीमत् शंकरभगवत्पादविरचित) के एक दिव्य श्लोक का एक भाग है।
इसके उपरांत यदि साधक गृहस्थ जीवन में है, तो उसको “श्रीभगवतीनारायण पाणिग्रहण संस्कार जागरण मंत्र” का सतत अनुसंधान भी अवश्य करना चाहिए। यों तो कोई भी साधक इस दिव्य मंत्र का अनुसंधान कर सकता है। रात्रि को शयन से पूर्व “निं श्रीं निं” का मानसिक जाप करते हुए सो जाएँ।
श्रीगुरुमंत्र :
|| ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ||
श्रीअर्धनारीश्वरमंत्र :
|| ॐ निरीश्वरायै निखिलेश्वराय, नमः शिवायै च नमः शिवाय ||
(अ क्षर अर्थ प्रकाश : “निरीश्वरा” अर्थात् माँ भगवती का जगज्जननी स्वरूप, जिससे ऊपर कोई नहीं)
(इस अर्धनारीश्वरमंत्र हेतु कोई माला नहीं, कोई आसान नहीं, कोई विनियोग, न्यास, कुल्लुका, ध्यान, तर्पण, पुरश्चरण इत्यादि की आवश्यकता नहीं, शिवशक्ति के द्वैताद्वैत-युगल स्वरूप को हृदय में धारण करते हुए)
श्रीभगवतीनारायण पाणिग्रहण संस्कार जागरण मंत्र :
|| ॐ नृं भगवती सहिताय नारायणाय प्रसीद प्रसीद नृं ॐ ||
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निखिल प्रणाम,
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