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क्या है जीवन का असली लक्ष्य what is life aim

MTYV Sadhana Kendra -
Friday 12th of June 2015 06:50:46 AM


क्या है जीवन का असली लक्ष्य
जीवन का एक मात्र लक्ष्य सत्य को उपलब्ध हो जाना है… आत्मा को जान लेना है। धन पा जाना, नाम पा जाना, बड़ा आदमी बन जाना… ये जीवन के लक्ष्य नहीं हैं। इनका नाता तो शरीर से है और शरीर छूटने के साथ ही इन सबको छूट जाना है। सत्य को उपलब्ध होना कठिन नहीं है। सिर्फ सत्य को समझ लेना है। हम पूरी जिंदगी झूठ में जी रहे हैं। सद्गुरुदेव से भी झूठ ही बोल रहे हैं। प्रार्थना में कहते हैं कि तुम ही माता, तुम ही पिता, तुम ही बंधु, तुम ही सखा… फिर संसार में पिता के पैर पड़ते हैं और कहते हैं ये पिता हैं। सच क्या है? जो अभी कहा… या जो सद्गुरुदेव के सामने कहा। इस झूठ से जब मुक्त होंगे, तो सत्य को उपलब्ध होंगे।
एक सत्य यह भी है कि एक दिन सबको मरना है, पर मौत से पहले जो मर जाए, समझो वो अमर हो गया। मरने पर जो चीज खत्म होती है, वो है अहंकार… न कोई बेटा रहता है, न घर, न दौलत, न शोहरत… सब छूट जाते हैं। यदि ये सारी चीजें जीते जी छोड़ दो, तो समझो तुम जीते जी मर गए, फिर मौत का कोई मतलब नहीं रह गया… तुम अमर हो गए। इसके उलट हमारा हाल ये है कि हम मुत्यु शैया पर पड़े-पड़े भी वासनाओं और अहंकार से मुक्त नहीं हो पाते।
जीवन में शांति का उपाय है- इंद्रियातीत हो जाना। ऐसा होने के लिए एक रास्ता है विचारों से पूरी तरह मुक्त होना। अनहद नाद के श्रवण से ये संभव है। दूसरा रास्ता उनके लिए है, जो इंद्रियों को वश में रखने की ताकत रखते हैं। फिर संसार के भोग उन्हें डिगा नहीं पाते। इन दो उपायों से मन पर काबू होता है और जब हम अमनी हो जाते हैं, तो वो आनंद और शांति मिलती है कि हम नाच उठते हैं। एक मिनट भी इस अवस्था में रह सकें, तो उस आनंद को महसूस किया जा सकता है। कई बार सवाल उठते हैं कि हम विचारों से मुक्त होने के लिए क्या करें… दरअसल इस मुक्ति के लिए कुछ नहीं करना है। कुछ करने की जरूरत ही नहीं। मौन में जाना है। मौन…तन और मन का.. यही सत्य है, क्योंकि बोलना झूठ हो जाता है।

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