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AGHOR SHIV SADHANA अघोर मंत्र अघोर शिव साधना

AGHOR SHIV SADHANA अघोर मंत्र अघोर शिव साधना

AGHOR SHIV SADHANA


कितना भी लिखने का प्रयास करू परंतु मेरे इष्ट शिव जी का स्तुति मेरे लिये संभव नहीं, क्योंकि  उनका हर रूप निराला है उनकी पुजा किसी भी समय कीजिये अनुभूतिया तो ऐसा ऐसा मिलेगा के सम्पूर्ण जीवन उनके गुण-गान गाने मे ही निकल जायेगा,ऐसा  समय आज तक शिवभक्तों के जीवन मे नहीं आया होगा जिस दिन उन्हे शिव कृपा प्राप्त ना हुआ हो, आज एक दिव्य साधना दे रहा हु जो मेरा ही बल्कि बहुत से शिव साधक या भक्तो का अनुभूतित साधना है | और एक बात इस साधना को किए बिना चाहे कितना भी महाविद्या साधना कर लीजिये प्रत्यक्ष अनुभूतिया शीघ्र नहीं मिलेगा, इसलिये "अघोर शिव साधना" प्रत्येक साधक के जीवन मे लक्ष्य प्राप्ति के और बढ़ने का एक आसान सा मार्ग है,जिसने अघोरत्व प्राप्त कर लिया वह तो जीवन मे सब कुछ प्राप्त कर लेता है अन्यथा जीवन जीने का हर एक अंदाज व्यर्थ ही इच्छा पूर्ति हेतु गवा ही  देता है,यह साधना सिर्फ महाशिवरात्रि के महापर्व पर ही किया जाता है अन्य दिवस इस साधना के लिये उपयोगी नहीं है॰ इस साधना से सभी प्रकार के ग्रह दोषो से मुक्ति मिलता है, सभी साधना मे पूर्ण सफलता है, सभी प्रकार के तंत्र से रक्षा प्राप्त होता है अगर पुराना कोई मंत्र-तंत्र दोष किसी साधक के जीवन मे हो चाहे वह इस जन्म का हो या पूर्वजन्म को हो तो समाप्त हो जाता है, चाहे साबर मंत्र हो, वैदिक हो या अघोर मंत्र हो इनमे इस साधना को सम्पन्न करने के बाद  पूर्ण सफलता मिलता है, साधना के समय शरीर मे बहोत ज्यादा गर्मी महसूस होगा ऐसे  समय मे घबराना नहीं चाहिए और साधना को अधूरा नहीं छोड़ना है,ऐसे समय मे दुर्गंध या डरावना आवाज आ सकता  है तो यह आपका साधना सफलता है जिसे आपको महसूस करना है, इस साधना के माध्यम से भोले बाबा भगवन शिव साधको या भक्तो को स्वप्न मे दर्शन भी प्रदान करते है और आशीर्वाद भी ..

ध्यान प्रार्थना:-
जय शम्भो विभो अघोरेश्वर स्वयंभो जय शंकर ।
जयेश्वर जयेशान जय जय सर्वज्ञ कामदं ॥

मंत्र-

॥ ॐ ह्रां ह्रीं हूं अघोरेभ्यो सर्व सिद्धिं देही देही अघोरेश्वराय हूं ह्रीं ह्रां ॐ फट ॥

॥ Om hraam hreem hoom aghorebhyo sarv siddhim dehi dehi aghoreshwaray hoom hreem hraam om phat ॥


इशान्य दिशा के और मुख हो, आसान-वस्त्र काले रंग के उत्तम होते है परंतु आपके पास जो भी हो उसे ही इस्तेमाल करे, माला रुद्राक्ष या काले हकीक का हो,पारद शिवलिंग हो तो ठीक  है या फिर जो भी शिवलिंग का पूजन आप करते है उसी पर साधना सम्पन्न करे, साधना से पूर्व गुरु गणेश पूजन करे और लोहे के कील से अपने आसन को गोल-गोल  "ॐ रं अग्नि-प्रकाराय नम:" मंत्र बोलकर घेरा बनाये,जिससे आपका अदृश्य शक्ति से रक्षा हो,माथे पर महामृत्युंजय मंत्र बोलकर भस्म + चन्दन से तिलक करिये,साधना समाप्ती के बाद पाच बिल्वपत्र + दुग्ध युक्त जल,अक्षत(चावल), गंध,वस्त्र,पुष्प,लड्डू का भोग,दक्षिणा मुख्य मंत्र बोलकर चढ़ाये,इस साधना मे 11 माला मंत्र जाप करना है, साधना एक दिवसीय है परंतु तीन दिन तक करने का प्रयास कीजिये ताकि सर्व कार्य नीर्वीघ्न पूर्ण हो॰ आपको भोले बाबा भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हो यही कामना करता हु.........

शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं 

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