इस विधि से श्राद्ध करने की विशेषता यह है, कि जिस मृतात्मा के निमित्त यह साधना सम्पन्न की जाती है, उसे पूर्ण शांति प्राप्त होती है चाहे, वह किसी भी योनि में हो, उसे मुक्ति प्राप्त होती है और निकट भविष्य में ही वह आत्मा किसी अच्छे गृह में जन्म भी ले लेती है। इस प्रकार इस साधना विधान द्वारा पितृात्मा की मुक्ति के साथ ही साथ उसकी विशेष कृपा भी साधक को प्राप्त होती है, जिसके कारण उसके घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस साधना में आवश्यक सामग्री 'सर्व पितृ वाधा निवारण यंत्र', 'शांति प्रदायक गुटिका' तथा 'पीली हकीक माला' है साधक इसे दिन में सम्पन्न करें, यह एक दिवसीय साधना है।
साधक स्नान कर स्वच्छ पीली धोती धारण करें। साधक पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर काले तिल बिछाये, फिर उस पर सर्व पितृ बाधा निवारण यंत्र स्थापित करें तथा काले व सफेद तिल मिलाकर उस पर शांति प्रदायक गुटिका स्थापित करें। फिर घी का दीपक तथा धूप जलावें। यंत्र के समक्ष माला रखकर यंत्र, माला व गुटिका का पूजन करें।
फिर गुरु चित्र स्थापित करें और दैनिक साधना विधि पुस्तक के अनुसार गुरु पूजन करें।
गुरु माला से एक माला गुरु मंत्र जप करें
फिर पीली हकीक माला से निम्न मंत्र की 11 माला मंत्र जप करें।
।। ॐ मम सर्व पितृ प्रसन्नो भव मुक्ति भव ॐ ।।
मंत्र
|| OM MAM SARV PITR PRASANNO BHAV MUKTI BHAV OM ||
मंत्र समाप्त होने पर इतर योनियों को सम्पूर्ण थाली में परोसा हुआ भोजन भोग लगायें।
अगले दिन यंत्र, गुटिका व माला जल में प्रवाहित कर दें। साधना प्रारम्भ करने से पूर्व यह संकल्प अवश्य लें कि मैं यह साधना अपने पितरों की शांति एवं मुक्ति के लिए