अघोर लक्ष्मी प्रयोग
मित्रो यह साधना आपको दिपावली कि रात्री ११ बजे करना है।सर्व प्रथम स्नान कर उत्तर की और मुख कर बैठे।आसन वस्त्र का कोई बंधन नही है।भुमि पर हल्दि के घोल से एक उधर्वमुखी त्रिकोण का निर्माण करे।त्रिकोण मे उपर वाले कोण पर एक सुपारी हल्दि से रंजित करके रखे।अब त्रिकोण के निचे के दो कोने खाली है।वहाँ आपके दाई और वाले कोने पर ५ कमलगट्टे तथा बाये और वाले कोने पर एक हल्दि कि गाँठ रखे।अब त्रिकोण के मध्य हल्दि से ही बीज मंत्र " श्रीं " का अंकन करे। अब ईसके उपर एक अक्षत की ढ़ेरी बना दे और उस पर एक सुपारी स्थापित कर दे।यह पुरा मंडल निर्माण करने के पश्चात, मध्य मे रखी स्पारी का लक्ष्मी मान सामान्य पुजन करे।तिल तेल का दिपक प्रज्जवलित करे।खीर का भोग अर्पित करे।यह सब मंडल के अंदर ही रखे बाहर कुछ भी न रखे।लक्षमी पुजन के बाद। कोण के उपर जो सुपारी रखी है उस पर निम्न मंत्र पड़ते हुए थोडा़ सिंदुर डाल दे।
हूं श्रीं हूं फट् मणिभद्राय हूं
ईसके बाद निम्न मंत्र पड़ते हुए कमलगट्टो पर सिंदुर डाल दे।
ओम ह्रीं श्रीं ह्रीं धनदायै नमः
अब निम्न मंत्र से हल्दि कि गाँठ पर सिंदुर डाले।
ओम यक्ष राजाय नमः
अब महालक्ष्मी से धन वृद्धि के लिये प्रार्थना करे, तथा निम्न मंत्र का रूद्राक्ष माला से २१ माला दाप करे।
ओम हूं ह्रीं श्रीं हूं ओम अघोर लक्ष्म्यै नमः दारिद्रय नाशिनी धन वर्षिणी तारा स्वरूपिणी धन लक्ष्म्यै नमः
साधना के बाद मंडल मे रखी सभी सामग्री किसी वृक्ष के निचे रख दे।खीर गाय को खिला दे।यदी साधना के बाद भी नित्य २१ बार ईस मंत्र का उच्चारण कर लिया जाये तो।धन वृद्धि होती हि है।अतः ईस दिव्य प्रयोग को करे अवश्य