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दु:ख और गहन व्यथा का रसास्वदन किये बिना व्यक्ति जीवन की ऊचाइया' नही छू सकता

दु:ख और गहन व्यथा का रसास्वदन किये बिना व्यक्ति जीवन की ऊचाइया' नही छू सकता

सद्गुरुदेव वाणी

दुश्चिताओ, दु:ख और गहन व्यथा का
रसास्वदन किये बिना व्यक्ति जीवन की
ऊचाइया' नही छू सकता ... संकटो से जूझना
भी एक विचित्र आनन्द है....

हारिये न हिम्मत : बिसारिये न राम
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यह हमारा सौभाग्य है कि हमे प्रभु की
कृपा से मानव जीवन मिला है, और प्रभु ने
हमारे इस शरीर मे असीम सम्भावनाए भर दी
है, इस काया मे इतनी अधिक छमता और
शक्ति है कि हम चाहे तो असम्भव कार्य को
भी सम्भव कर सकते है, प्रश्न इतना ही है कि
सम्भावनाओ को पहिचाने, और अपने मे निहित
उन विशेषताओ को जगाने का प्रयत्न करे,
जिससे कि हम पूर्णता तक पहुच सके |

संसार मे और हमारे आसपास सैकडो
उदाहरण बिखरे पडे है , जिन्होने सर्वथा विपरीत
परिस्थितियो मे भी उन ऊचाइयो को छुआ है ,
जो सर्वथा असम्भव प्रतीत होती थी, परन्तु
इसके पीछे उनकी अटूट आस्था, असीमित
लगन और शरीरिक सम्भावनाओ का उपयोग
किया था |

प्रतिकूलता देखकर साहस छोड़ने की
जरुरत नही है , धैर्यवान और विवेकशीलो की
मनःस्थिति ऐसी होती है कि वे न तो
अनुकूलता मे जरुरत से ज्यादा हर्षोन्मत होते
है और न प्रतिकूलता मे पछता-पछता कर रोते
है , वे जीवन की प्रतेक विपरीत परिस्थिति से
एक नया पाठ पढ़ते है, और दूने जोश से फिर
आगे की ओर बढ़ जाते है|

संयोग-वियोग , लाभ- हानि , सुख-दुख,
सफलता-असफलता , जैसे विरोधी अवसर
मानव जीवन मे रात-दिन की तरह आते और
जाते है, परन्तु इससे उच्चकोटि का व्यक्तित्व
विचलित नही होता, अपितु अपने ही लछ्य की
ओर निरन्तर बढ़ता रहता है, साधारण मनुष्य
तो क्या अवतारी पुरूष भी इससे प्रभावित रहे
है, राम का वनवास , सीता का हरण, व्याध के
बाण से कृष्ण की मृत्यु , पाण्डवो का
अग्यातवास, ईशा मसीह को सूली , सुकरात को
जहर पीने के लिए बाध्य होना, गाधी जी को
गोलियो से मृत्यु , शंकराचार्य को भगन्दर रोग ,
रामतीर्थ की जलसमाधि जैसे घटनाचक्र देखकर
लगता है कि धर्मात्मा ओर बुध्दिमान व्यक्तिययो
के जीवन मे भी उतार -चढाव आये है, परन्तु वे
महान इसलिए कहलाए कि इन विपरीत
परिस्थितियो का सामना करने का साहस था,
उनमे यह छमता थी कि वे प्रतिकूल परिस्थितियो
मे भी डटे रहे, और इतना होने पर भी उन्होने
धैर्य और नम्रता नही छोडी , भारी भरकम चट्टाने,
पानी के वेग से टूट जाती है, पर नम्र घास झुक
कर ऊपर से पानी के वेग को जाने देती है, और
वह वेग कम होने पर पुनः सिर उठा कर खडी
हो जाती है |

अमेरिका का ब्लुमिच पीटर संसार का
श्रेष्ठ कार चालक माना जाता था, उसने कार
चलाने का कीर्तमान कायम किया था , परन्तु एक
मोटर दुर्धटना मे उसकी कार का इतना बडा
एक्सीडेन्ट हुआ कि उसकी शरीर की तेईस
हड्डिया टूट गयी और अनथक प्रयत्न करने के
बाद भी उसके दोनो हाथ और एक पैर काटना
पडा, वह लगभग एक साल अस्पताल मे जीवन
ओर मृत्यु के बीच जूझता रहा , परन्तु उसने
हिम्मत नही हारी और दोनो हाथो के ठूठो से ही
कार चलाने का अभ्यास किया और एक वर्ष
बाद दोनो हाथो के ठूठ तथा एक पैर के सहारे
से पुनः संसार की कार रेस मे प्रथम स्थान
प्राप्त किया |

हरमिन बीस करोड़ का मालिक था ,
उसके कई जहाज थे, जो तेल की सप्लाई करते
थे, उसका जीवन ऐश्वर्यपूर्ण था, परन्तु द्वितीय
महायुध्द मे उसके १९ जहाज एक साथ पानी मे
डुबा दिये , वह करोड़पति से सड़क पर खडा होने
वाला व्यक्ति बन गया परन्तु उसने इस विपत्ति को
भी धैर्यपूर्वक सहा और दुकान का सेल्समैन के
रुप मे नौकरी प्राप्त की | कल्पना करे कि एक
अरबपति व्यक्ति एक छोटे से स्टोर पर सेल्समैन
की नौकरी करे, परन्तु उसने सब कुछ होने के
बाद भी हिम्मत नही हारी और धीरे- धीरे प्रयत्न
कर उसने वह स्टोर खरीद लिया , अब पूरे
अमेरिका मे उसके सौ से ज्यादा डिपार्टमेन्टल
स्टोर है, और वह अरबपति बना है| कलपना करिये
कि यदि वह उस समय हताश होकर टूट गया तो
आज भी वह सड़क पर भीख मागने को ही
स्थिति मे होता |

कालीदास नितान्त मूर्ख और विद्याहीन था ,
परन्तु पत्नी से प्रताडित होने पर साधु के द्वारा
दिये हुए मन्त्र के द्वारा अविचलित भाव से पुरे
वर्ष तक एक आसन पर बैठकर उसने काली
साधना की, और उसे प्रसन्न कर वरदान प्राप्त
किया , जिसके फलस्वरुप वह भारतवर्ष का
अभ्यतम विद्वान बन सका , केवल द्दढ़ इच्छा-
शक्ति के ही बल पर चारक्य ने पूरे नन्दवंश
का नाश कर दिया था, और आज उस वंश का
नामोनिशान इतिहास मे नही है, प्रबल आस्था और
द्दढ़ विश्वास के बल पर चण्डीगढ़ के नेकीराम ने
रा'क गार्डन बनाकर विश्व मे अपना नाम कमा
लिया है, अस्सी घावो से भरे हुए शरीर को लेकर
महाराणा प्रताप विक्रमसिह इतिहास के अजेय
योध्दा बन सके , ये उदाहरण है, जो इस बात को
स्पष्ट करते है, कि जीवन का चक्र बराबर घूमता
रहता है , उत्थान के बाद पतन , दिन के बाद
रात्रि , सुख के बाद दुख, आता ही रहता है, कायर
लोग इस विपरीत परिस्थियो मे टूटकर बिखर जाते
है, परन्तु धैर्यवान व्यक्ति इन विपरीत परिस्थियो मे
भी अडिग बने रहते है ,और द्दढ़ संकल्प शक्ति के
सहारे वे उन आयामो को छू पाने मे समर्थ होते
है, जो उनका लछ्य होता है |

उज्जवल भविष्य के लिए निरन्तर प्रयत्न-
शील होना चाहिए, इसके लिए प्रबल पुरषार्ध की
जरुरत है , आज की अपेछा कल का दिन ज्यादा
सुखद और साधन सम्पन्न होगा इसके लिए उत्साह
पूर्वक प्रयत्न करते रहना चाहिए , निरन्तर दुख और
असन्तोष से व्यक्ति टूट जाता है, बुध्दिमानी इसी मे
है कि जो कुछ उपलब्ध है , उसका आनन्द लिय
जाय , जो कुछ प्रभू ने हमे दिया है ,उसके प्रति
संतुलित रहा जाय और ऊची आकाछाओ' को प्राप्त
करने के लिए प्रयत्नशील बने रहे |

हम इसके लिए सन्नध्द हो कि हमारे जीवन
के छण उच्च आदर्शो के लिए समर्पित हो, हम
जीवन मे गृहस्थ के कर्त्तव्यो का निर्वाह करते हुए
भारतीय संस्कृति को अछुण्ण बनाये रखने मे
भागीदार बने , हमारे पूर्वजो की जो थाती, जो
ग्यान है, उसे संवर्ध्दित करे, उसके लिए प्रयत्नशील
हो, और जीवन के प्रतेक छण को प्रसन्नता के
साथ जीये' , ऐसा ही जीवन मानव जीवन कहा
जाता है, यह आवश्यक नही है , कि हमे बार
सफलता ही मिलेगी, असफलता भी मिल सकती
है, परन्तु असफलताओ से विचलित होने की
जरुरत नही है, हिम्मत हारने की आवश्यकता
नही है |

काहिली , आलस्य और अकर्मण्यता को इसी
छण छोड़कर हमे दूने जोश और साहस के साथ
आगे कदम बढाना है, और अपने प्रयत्न पुरुषार्थ
और जीवट से उन लछ्यो को प्राप्त करना है, जो
जीवन का ध्येय है, लछ्य है|


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