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Kamdev Rati mantra for beauty in Hindi

Kamdev Rati mantra for beauty in Hindi

गुरु पूजन

किसी भी साधना में बैठने से पूर्व गुरु पूजन और गणेश जी के पूजन की संक्षिप्त विधि –


पवित्रीकरणः अपने उलटे हाथ की हथेली में थोड़ा सा जल लेकर निम्न मंत्र बोलते हुए जल अपने चारों ओर छिड़कें –

।। ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोSपि वा यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं सः वाह्याभ्यंतरः शुचि ।।


आचमनः आंतरिक तत्वों की शुद्धि के लिए यह प्रक्रिया अत्यंत ही आवश्यक है । सीधे हाथ में जल लेकर चार बार यह मंत्र पढ़ें और उस अभिमंत्रित जल को स्वयं पी लें ।


  • ॐ आत्मतत्वं शोधयामि नमः
  • ॐ विद्यातत्वं शोधयामि नमः
  • ॐ शिवतत्वं शोधयामि नमः


इसके बाद दिग्बंधन का स्थान आता है । दसों दिशाओं में से विघ्न आपकी साधना में बाधा न डालें, इसके लिए अपने हाथ में जल या अक्षत लेकर निम्न मंत्र पढ़ते हुये दसों दिशाओं में बिखेर दें –


ॐ अपसर्पंतु ये भूता ये भूताः भूमि संस्थिता ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यंतु शिवाज्ञा ।

अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचाः सर्वतो दिशम सर्वेषाम विरोधेन पूजाकर्म समारंभे ।।


संकल्पः हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि हे गुरुदेव महाराज, मैं ... (अमुक नाम) मेरे पिता/पति का नाम ...(अमुक) है और.... अमुक स्थान का निवासी .... अमुक गोत्र उत्पन्न आपकी शरणागति में हूं । मैं ... अमुक साधना... अमुक कार्य के लिए .... 3  दिन की साधना का संकल्प लेता हूं । आप मुझे इस साधना को करने की आज्ञा प्रदान करें और मुझे वह साहस और शक्ति प्रदान करें जिससे मैं इस साधना को संपन्न कर सकूं । आप मुझे अपनी कृपा दृष्टि प्रदान करें जिससे मैं अपने अभीष्ट मनोरथ में पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकूं ।

इतना कहकर जल को जमीन पर छोड़ दें ।
इसके बाद निम्न मंत्र से सभी देवताओं को नमस्कार करें -


।। श्रीमन् महागणाधिपतये नमः लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः उमा महेश्वराभ्यां नमः शची पुरंदराभ्यां नमः मातृ पितृ चरण कमलेभ्यो नमः इष्ट देवताभ्यो नमः कुल देवताभ्यो नमः ग्राम देवताभ्यो नमः स्थान देवताभ्यो नमः वास्तु देवताभ्यो नमः वाणी हिरण्यगर्भाभ्यां नमः शची पुरंदराभ्यां नमः सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः सर्वेभ्यो ऋषिभ्यो नमः ।।


गणपति पूजनः


।। ॐ सुमखश्चैकदंतश्च कपिलो गज कर्णकः


लंबोदरश्चविकटो विघ्ननाशो विनायकः


धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचंद्रो गजाननः


द्वादशै तानि नामानि यः पठेच्छ्रणुयादपि


विद्यारंभे विवाहे च प्रवेश निर्गमे तथा


संग्रामे संकटेचैव विघ्नस्तस्य न जायते ।।


जब भी कोई व्यक्ति किसी संकट में होता है तब उसे संकट नाशन श्री गणेश स्तोत्र का भी पाठ करना चाहिए -



संकटनाशन श्री गणेश स्तोत्र


प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् । भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु कामार्थसिद्धये ।।


प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् । तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।


लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टकम् ।।


नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।


द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नर । न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरो प्रभु ।।


विद्यार्थी लभते विद्या धनार्थी लभते धनम् । पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।



जपेद् गणपतिस्तोत्रं षडभिर्मासेः फलं लभेत् । संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ।।


अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखत्वा यः समर्पयेत । तस्य विद्यां भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ।।


गुरु ध्यान

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् पर ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ।।

निखिल ध्यान के पश्चात् गुरु चित्र/विग्रह/यंत्र/पादुका को जल से स्नान करावें

ॐ निखिलम् स्नानम् समर्पयामि।।

इसके पश्चात् स्वच्छ वस्त्र से पौंछ लें निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए कुंकुम, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, धूप-दीप से पंचोपचार पूजन करें

ॐ निखिलम् कुंकुमं समर्पयामि।

ॐ निखिलम् अक्षतान समर्पयामि।

ॐ निखिलम् पुष्पम् समर्पयामि।

ॐ निखिलम् नैवेद्यम् निवेदयामि।

ॐ निखिलम् धूपम् आघ्रापयामि, दीपम् च दर्शयामि।

(धूप, दीप दिखाएं)

पंचोपचार पूजन के पश्चात् तीन आचमनी जल गुरु चित्र/विग्रह/यंत्र/पादुका पर घुमाकर छोड़ दें। इसके पश्चात् गुरु माला से गुरु मंत्र की एक माला मंत्र जप करें -

ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः


कामदेव सम्मोहन  साधना

शरीर को आकर्षक, सुन्दर, सम्मोहक तथा वीर्य स्तंभन और नारी रमण में पूर्णता प्राप्त करने के लिए इस मंत्र की साधना का विधान शास्त्रों में बताया है।

विनियोग

ॐ काम बीज मंत्रस्य सम्मोहन ऋषिः, गायत्री छन्दः, सर्व सम्मोहन मकर देवता, सर्व सम्मोहने विनियोगः ।

ध्यान मंत्र

जापरुणं रक्तविभूषणाढ्यं मीनध्वजं चारुकृत्तांगरागम् । करांबुजैरंकुशभिक्षु चाप पुष्पास्त्र पाशौ दधतं भजामि ।।
लाल

सुपारी पान के पत्ते पर रख कर मौली बांध दे एक रति के लिए एक कामदेव के लिए
फिर पंचोपचार पूजा करे

ॐ काम देवाय विद्महे पुष्पवाणाय धीमहिः तत्नो अनंग प्रचोदयात् स्नानम् समर्पयामि।।
ॐ काम देवाय विद्महे पुष्पवाणाय धीमहिः तत्नो अनंग प्रचोदयात् कुंकुमं समर्पयामि।।
ॐ काम देवाय विद्महे पुष्पवाणाय धीमहिः तत्नो अनंग प्रचोदयात् अक्षतान समर्पयामि।।
ॐ काम देवाय विद्महे पुष्पवाणाय धीमहिः तत्नो अनंग प्रचोदयात् पुष्पम् समर्पयामि।।
ॐ काम देवाय विद्महे पुष्पवाणाय धीमहिः तत्नो अनंग प्रचोदयात् नैवेद्यम् निवेदयामि।।


कामदेव मन्त्र गायत्री का १ या अधिक माला जाप करे अनाहत चक्र और मणिपुर का ध्यान कर

ॐ काम देवाय विद्महे पुष्पवाणाय धीमहिः तत्नो अनंग प्रचोदयात् ।


मूल मंत्र 42  माला जप प्रति दिन होना चाहिए ३ दिन १२५ माला हो जाये

ॐ क्लीं कामदेवाया सर्व सम्मोहने अनंग हूं ॐ फट ।


11  माला हवन सामग्री में गूगल मिला कर  और अंत  में  १ माला कामदेव गायत्री मंत्र से

लघु अनुष्ठान 125  हजार मंत्र जप करने से यह मंत्र सिद्ध होता है। जो व्यक्ति यह मंत्र सिद्ध कर लेता है वह स्वयं कामदेव के समान सुन्दर होकर प्रत्येक प्रकार की रमणी को आकर्षित एवं सन्तुष्ट कर सकता है।


ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा.

ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा.



पूजन और मंत्र जप के उपरांत क्षमा प्रार्थना अवश्य करें -


आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे

यदक्षरं पदं भ्रष्टं मात्रा हीनं च यद भवेद तत्सर्वं क्षम्यतां देव क्षमस्व परमेश्वर

गुह्यातिगुह्य गोप्ता त्वं गृहाणास्मत कृतं जपत सिद्धिर्भवतु मे देव त्वत्प्रसादातमहेश्वरः


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