लीलावती साधना करने से जीवन मेँ प्रेम सौँदर्य रस और अंनद प्राप्त होता है।कितने ही रुषि राजा तंत्रिक वेदिक कल से ए साधना करते आ रहे है।लीलावती अप्सरा साधना प्रमिका रुप मेँ सिद्धी किया जाता है।सिद्धी मिलने पर लीलावती अप्सरा प्रतक्ष रुप मे दर्शन देती है और हर मोनकामना पुर्ण करती है।सिद्धी प्राप्ति के बाद साधक का मुख देखने मे काम देव समान सुंदर देखने लगता है। हर सुख मिलाता है ।सिद्धी के बाद चाहे नौकरी पैसा या घर कुछ भी हो लीलावती अप्सरा साधक का कामना कुछ ही समय मेँ पुर्ण कर देती है।साधना रात मेँ 10 बजे से करना है।स्नान करके सुंदर हलदी रंग का कापडा परिधान करके उत्तर मुखी हो कर बैठना है।धुप दिप जालाकर स्थान को पवित्र करना है।पहले दिन जीस स्थान पर साधना आरंभ कर दिया बस उस स्थान पर प्रतिदिन साधना कारना है।स्थान परिवर्तन ना करे वरना सिद्धी नही मिलेगा। स्फटिक माला से प्रतिदिन 21 माला जाप करना है।जीस दिन अप्सरा दर्शन देगी उस पल एक गुलाब का फुल माला उसके गले पर पहना दे दुसरा माला अप्सरा अपको पहनाईगी।
ईसके बाद कुछ भी माँग ले।सिद्धी के बाद लीलावती अप्सरा को जब भी बुलाना है तो बस 11 बार मंत्र जाप कर ले वह तुरन्त आपके सामने होगी।एक बात चद्रग्रहण आरंभ के समय मंत्र जाप किया जाए तो चंद्रग्रहण खातम होते होते अपसरा दर्शन देगी।नोट-गुलाब का दो माला,मिठाई और कुछ फल अप्सरा चित्र के सामने रख कर प्रतिदिन साधना करे।अगर प्रतिदिन दस हजार जाप किया जाए तो साधना 21 दिन के अंदर पुर्ण होजाता है।
मंत्र-ॐ हुं लीलावती कामेश्वरि अप्सरा सिद्धी हुं हुं॥
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