प्रचंड भगवती धूमावती तंत्र की सातवीं महाविद्या के रूप में जगत प्रसिद्ध हैं। दतिया (म. प्र.) के बगलामुखी सिद्ध पीठ महादेवी के समीप ही भगवती धूमावती का भी सिद्ध स्थान है।
-मां भगवती धूमावती की साधना विधि इस प्रकार है।
मंत्रा: ऊँ धूं धूं धूं धूमावती स्वाहा
श्यामांगी रक्तनयनां श्याम वस्त्रोत्तरीयकां ।
वामहस्ते शोधनं च दक्षिणहस्ते च सूर्पकम्।।
धृत्वा विकीर्ण केशांश्च धूलि धूसर विग्रहा।
लम्बोष्ठी शुभ्र-दशनां लंबमान पयोधराम्।।
संलग्न- भू्र-युग-युतां कटु दंष्ट्रोष्ठ वल्लभां।
कृसरस्तु कुलल्थोत्थं भग्न भांड तले स्थितिम्।।
तिल पिष्ट समायुक्तं मुहुर्मुहुश्च भक्षितं।
महिषी शंृंग ताटकी लंब कर्णाति भीषणाम्।।
मंत्र जप संख्या: सवा लाख
दिशा: दक्षिण
स्थान: श्मशान, शिवालय, सिद्धदेवी पीठ या निर्जन स्थान
समय: रात्रि दिन: शनिवार अथवा धूम्रावती जयंती के दिन
आसन: काले रंग का
वस्त्र: काली धोती और काला कंबल
हवन: दशांश यज्ञ हवन सामग्री: नमक, राई, सरसों, जौ
साधना सामग्री: सिद्ध अधेर मंत्रों से अभिषिक्त धूमावती यंत्र, काले अकीक की या रुद्राक्ष की माला, गुड़हल के फूल, तेल का दीपक, नैवेद्य, कपूर एवं पूजन की अन्य आवश्यक सामग्री।
भय रहित हृदय से नदी या तालाब में स्नान आदि से निवृत्त होकर पूर्ण विधि-विधान से एकाग्र भाव से साधना करें। मंत्र जप की समाप्ति पर दशांश यज्ञ हवन करना चाहिए। किसी विशेष प्रयोजन हेतु यदि आप यह धूमावती साधना अनुष्ठान करने के इच्छुक हैं तो अपनी मनोकामना का स्पष्ट शब्दों में संकल्प करें।
यह देवी साधक के सभी शत्रुओं को समाप्त कर देती है। इस देवी का सिद्ध साधक निर्भय हो जाता है।