१६-१०-२०१४ का दिवस बहोत ही खास दिन है जैसे इस दिवस पर गुरुपुष्यामृत योग है और काली जयंती भी है तो अब इससे अच्छा दिन क्या होगा। ये दिवस तंत्र साधक के लिए आती उत्तम है। यह साधना कलयुग मे कामधेनु की तरह है। ज्यहा इस साधना से सभी इच्छाये पुर्ण होती है वही यह साधना सभी तरहा का पीडा,कष्ट,दुख,भय ओर दुर्भाग्य से मुक्ती दिलाता है।
इस साधना को संपन्न करने का एक और खास महत्व है यह सर्व सिद्धिदायनी साधना है। इस साधना से साधक को अन्य साधना मे भी सफलता मिलती है। जीवन का गती थम गया हो तो उस साधक की गती मे बहोत सुधार आता है।
साधक साधना तो हजारो करते है परन्तु ऐसी साधनाये नही कर पाते है क्यूकी गुरूकृपा प्राप्ती के बीना ये सम्भव नही है। किसीको गुरु कहने से वह गुरु नही बन जाता है,अगर ऐसे ही किसीको गुरु बनाना संभव होता तो अंबानी को भी बाप बनाना आसान कार्य हो जाता और अंबानी का पुत्र बनने के बाद क्या जीवन मे कभी धन का कोई कमी होता? गुरु पूर्ण ह्रदय भाव से बनाना चाहिये गुरु दीक्षा लेनी चाहिये गुरु मंत्र का जप भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिससे गुरु के आत्मा से जुड़ सके गुरु के प्राणो से जुड़ सके। गुरु कार्य करके गुरु की कृपा प्राप्त करना चहिये। यह सब कुछ साधना की सफलता है और यही एक ऐसा कार्य होता है शिष्य के जीवन मे जिससे शिष्य आनंद का अनुभूति ले सकता हैं।
गुरु से दिक्षित होना साधारण सी बात है परन्तु गुरु की आज्ञा पूर्ण करना एक श्रेष्ठ साधना है और ऐसी साधनाये दुर्लभ मानी जाती है क्युके गुरु आज्ञा पूर्ण करने के बाद अपने शिष्य को चरणो से उठकर गले लगा लेता है और उसे अनुग्रह देता है। यह सब कुछ सच्ची गुरुसेवा का फल है जो प्रत्येक शिष्य को अपने गुरु से प्राप्त करना चाहिये। यहा बहोत साधक है जो कहते है हमने साधना संपन्न की परंतु हमे अनुभति नही हुवी
ऐसा क्यू मित्रो? इस बात को समजिये,मंत्र देवता का आत्मा होता है और जब वह मंत्र गुरुमुख से प्राप्त हो जाये तो उसमे गुरु की शक्ति भी जुड़ जाती है। वह मंत्र गुरु के आत्मा से भी जुड़ जाता है। इस क्रिया से साधक कभी भी किसी भी मंत्र मे असफल नही हो सकता है। परन्तु ऐसे कितने साधक है जिन्हे गुरुमुखी मंत्र प्राप्त होता हैं ?
यह साबर साधनाये है जिनमे " गुरु तत्व " का बहोत महत्व है। मे जब नाथ पंथ से जुड़ा था तब मैंने इस महत्वपूर्ण बात को समजा और गुरूजी के आज्ञा से ही अब तक इस क्षेत्र मे अनुभूतिया प्राप्त कर पाया हु। यह तो गुरु का महत्व है प्रत्येक साधना मे।
अब बात करते है साबर महाकाली मंत्र की जो आपके जीवन मे सुधार लायेगी यह विधान बहोत ही सरल है और आसान है।
साधना विधि :-
१)आसन वस्त्र लाल रंग के हो
२)माला रुद्राक्ष की होनी चाहिये
३)दिशा दक्षिण
४)समय रात्रि ९ बजे बाद जो आपके लिए उपयोगी है।
५)साधना ५ दिन का है
६)रोज ११ माला जाप करे
७)काली चौदस के दिन हवन करे हवन सामग्री :-
काले तिल,लौंग,काली मीर्च ,काले किशमिश,थोडासा चंदन पाऊडर और मधु
ये सब मिलाकर रात्रिमे हवन करे और हवन बाद के बाद एक अनार का बली दीजिये
साधना मे महाकालीजी का चित्र और कलश स्थापना आवश्यक है,ये एक अनुष्ठान है ६ दीन का,कलश का नित्य पूजन करना ही है।
इस साधना मे कलश को देवी स्वरुप मानकर अपनी कामनाये बोलनी है
मंत्र :-
॥ ॐ कंकाली कंकाली,ॐ जन्म भुमि नासिका नदी तहा भये वीर हनुवन्त का जन्म,कवने नक्षत्र,कवने वार?भादो महीना,मंगल वार,भरणी नक्षत्र,ज्ञान गुरु, पढना स्वामी अर्ध्द रोर चलै,निल चलै,अष्ट कुली नाग चलै,नव कोटि इच्छा चलै,पश्चात कष्ठ कलिका चलै,न चलै, तो माता अंजनी का दूध मिथ्या- मिथ्या,पुरो मंत्र ईश्वरो वाच ॥
एक बात और काली चौदस के दिन रात्रि मे सूर्य ग्रहण है जो भारत मे अदृश्य है परन्तु ग्रहण का असर तो ब्रम्हांड मे भी पड़ता है तो भारत मे क्यू नही?
इसलिये यह साधना ज्यादा महत्वपूर्ण है,वैसे भी काली चौदस का महत्व साबर मंत्र को सिद्ध करने के लिए ज्यादा माना जाता है। काली चौदस २२-१०-२०१४ को है।
आदेश आदेश आदेश.……………………