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शांकरी महा लक्ष्मी कवच

शांकरी महा लक्ष्मी कवच

शांकरी महा लक्ष्मी कवच -

लक्ष्मी के 108 गुप्ततम स्वरूपों में जो संसार में धन प्रदायक अन्यतम शक्तियां है उनमें शांकरी देवी का गणना प्रथम तीन स्वरूपों में होता हैं।

काफी समय पूर्व संभवतः 90 के पहले के किसी शिविर में पूज्य सदगुरुदेव जी महाराज ने शांकरी लक्ष्मी का रहष्योद्घाटन किए थे इनकी मूल साधना पद्धति के साथ में...

यह विद्या उस व्यक्ति को भी धन देती है जिसके भाग्य में ब्रह्मा जी ने दरिद्रता का ही भोग लिख रखा हैं।

आज उसी देवी के तांत्रोक्त कवच निर्माण की क्रिया लिख रहा हूँ

इनकी साधना की एक विशेषता है कि यदि एक बार साधना आरम्भ किया तो एक मात्रा में धन की नित्य प्राप्ति होता हैं।

लेकिन अनेक बार साधक खीझ (लालच के कारण) जाता है कि धन की यह मात्रा दूना या चारगुना क्यों नहीं हो रहा हैं। और यदि इस लोभ में पड़कर उसने साधना खंडित किया तो शनैः शनैः लाभ कम हो जाता है ।

और वही दूसरी तरफ दुबारा यह मंत्र उसको लाभ भी नहीं देगा जब तक की उसको विशेष क्रियाओं से उत्कीलित नहीं कर देते जिसमें की समय और श्रम काफी व्यय होता हैं।

इसके लिए चांदी की एक ताबीज एक भोजपत्र का टुकड़ा एक चांदी की शलाका या एक अनार की कलम कुमकुम की स्याही की आवश्यकता होगी ।

सर्व प्रथम उत्तराभिमुख हो नित्य पूजन कर्म ( आचमन पवित्रीकरण गणपति गुरु शिव जगदम्बा स्मरण अभिषेक आदि...) करके भोजपत्र पर कुमकुम की स्याही से अनार या चांदी (या स्वर्ण) की कलम से निम्न यन्त्र अंकित करें ।

इसके पश्चात उसको देवी स्वरूप मानकर धुप दिप दिखाकर ताबीज में डाल दें और एक तांमे की प्लेट पर एक मध्यम आकार का "श्रीं" लिख कर उस पर ताबीज स्थापित करके उसपर निम्न मंत्र का 13500 जाप (adhiktam 3 dino me) करें और 1100 आहुतियां बेल के गूदे में पंचमेवा और घी मिलाकर के दें

तत्पश्चात इसको धारण कर लें और अगले कुछ दिनों (हफ्ते दस दिन) तक इसी मंत्र की 3 माला जप नित्य प्रातः करें ।

प्रयोग को तब तक गुप्त रखें जब तक उससे धनलाभ मिलने / पाने की आकांछा हो।

|| ॐ ह्रीं श्रीं हूं हूं शांकरी लक्ष्म्यै कोश वर्धिनी स्वाहा ||

यन्त्र की ग्राफिक Dekh le

जय शिव शम्भू

Santosh Kumar Gupta

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