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MTYV Sadhana Kendra -
Tuesday 21st of April 2015 01:34:47 PM


लक्ष्मी के जितने भी स्वरुप होते है, उन सभी स्वरूपों का आवाहन व विशेष पूजा की जाती है, प्राण प्रतिष्ठा प्रक्रिया संपन्न की जाती है, दशों दिशाओं का कीलन किया जाता है जिससे किसी भी बाहरी बाधा से साधना में विघ्न ना पड़े और जो भी संकल्प साधक करें, उसका फल साधक को तत्काल अवश्य ही प्राप्त हो |

प्राण प्रतिष्ठा से हि शक्तियां चैतन्य होती है | प्राण प्रतिष्ठा का विधान अत्यंत गुह्तम रहा है व इस महान तांत्रोक्त साधना में प्राण प्रतिष्ठा आवश्यक है |

रुद्रयामल तंत्र  में स्पष्ट वर्णित है कि यदि यह तंत्र साधना पूर्ण विधि विधान से संपन्न कि जाय, तो ऐसा हो हि नहीं सकता कि देवि तत्काल आकर साधक का मनोरथों को पूर्ण ना करे |

इस तांत्रोक्त साधना का मूल विधान तो एक ही है, परंतु आगे प्रत्येक आर्थिक समस्या के सम्बन्ध में अलग अलग मन्त्र जप है |

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सदगुरुदेव द्वारा प्रदत्त--

तांत्रोक्त धनदा रतिप्रिया यक्षिणी साधना

अब साधक सबसे पहले कुबेर पूजन सम्पन्न करें, अपने सामने कुबेर यंत्र स्थापित कर उसका चन्दन से पूजन कर एक माला निम्न कुबेर मन्त्र का जप करें

कुबेर मन्त्र
|| ॐ यक्षाय कुबेराय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ||
तत्पश्चात् सर्वप्रथम एक थाली में “ॐ ह्रीं सर्वशक्ति कमलासनाय नमः” लिखें और उस पर पुष्प की पंखुड़ियां रखें, तत्पश्चात् इस पर धनदा रतिप्रिया यक्षिणी यंत्र,    या  अप्सरा यक्षिणी मण्डल यंत्र स्थापित कर चन्दन लेपन करें और सुगंधित पुष्प अर्पित कर संकल्प विनियोग संपन्न करें |


विनियोग में अपने हाँथ में जल लेकर निम्न विनियोग मन्त्र पढ़ कर जल भूमी पर छोड़ दें –

ॐ अस्य श्रीधन्देश्वरीमंत्रस्य कुबेर ऋषिः पंक्तिश्छंदः श्रीधन्देश्वरी देवता धं बीजं स्वाहा शक्तिः श्रीं कीलकं श्रीधन्देश्वरीप्रसादसिद्धये समस्तदारिद्रयनाशाय श्रीधन्देश्वरीमन्त्रजपे विनियोगः ||


प्राण प्रतिष्ठा प्रयोग –

प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा जीव स्थापना की जाती है व साक्षात यक्षिणी का आवाहन किया जाता है, इसमें अपने चारो ओर जल छिड़के तथा निम्न मन्त्रों द्वारा आवाहन करें-

ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहं श्रीधन्देश्वरीयंत्रस्य प्राणा इह प्राणाः |
ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहं श्रीधन्देश्वरीयंत्रस्य जीव इह स्थितः |

ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहं श्रीधन्देश्वरीयंत्रस्य सर्वेंद्रीयाणि इह स्थितानि |

ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहं श्रीधन्देश्वरीयंत्रस्य वाङमनस्त्वक्चक्षु श्रोत्रजिव्हाघ्रापाणिपादपायूप्स्थानी इहैवागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा ||

श्रीधान्देश्वरी इहागच्छेहतिष्ठ||

यह प्राण प्रतिष्ठा प्रयोग साधना का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, यह अपनी साधना में प्राण प्रतिष्ठा में प्राण तत्व भरने कि प्रक्रिया है |

अब धनदा यक्षिणी लक्ष्मी के ३६ स्वरूपों की पूजा कर उनका आवाहन किया जाता है, प्रत्येक स्वरुप का आवाहान कर ‘ एक तांत्रोक्त लक्ष्मी फल ‘ (लघु नारियल) “जो कि किसी भी पूजा सामग्री की दूकान में प्राप्त हो जाता है”  स्थापित करें, धनदा यक्षिणी के ३६ स्वरूपों पर चन्दन चढ़ाएं,(यंत्र पर हि चन्दन का तिलक करें), प्रत्येक तांत्रोक्त लक्ष्मी फल के आगे एक-एक दीपक जलाएं तथा पुष्प कि एक-एक पंखुड़ी रखें, आवाहन क्रम निम्न प्रकार से है-

ॐ धनदायै नम :
ॐ दुर्गायै नम :
ॐ चंचलायै नम :
ॐ मंजुघोषायै नम :
ॐ पद्मायै नम :
ॐ महामायै नम :
ॐ सुन्दर्यै नम  :
ॐ रुद्राण्यै नम :
ॐ वज्रायै नम :
ॐ कमलायै नम :
ॐ अभयदायै नम :
ॐ उमायै नम :
ॐ कामदायै नम :
ॐ महाबलायै नम :
ॐ कामप्रियायै नम :
ॐ चपलायै नम :
ॐ सर्वशक्तयै नम :
ॐ सर्वेश्वर्यै नम :
ॐ मंगलायै नम :
ॐ त्रिनेत्रायै नम :
ॐ त्वरितायै नम :
ॐ सुगन्धायै नम :
ॐ वाराह्यै नम :
ॐ ॐ कराल भैरव्यै नम :
ॐ सरस्वत्यै नम :
ॐ चामर्यै नम :
ॐ हरिप्रियायै नम :
ॐ वरदायै नम :
ॐ सुपट्टिकायै नम :
ॐ महालक्ष्म्यै नम :
ॐ क्षुधायै नम :
ॐ धनुर्धरायै नम :
ॐ गुह्याश्वर्ये नम :
ॐ लीलायै नम :
ॐ भ्रामर्यै नम :
ॐ माहेश्वर्यै नम :

इस प्रकार पूजन कर साधक यक्षिणी का ध्यान करे, तथा यक्षिणी यन्त्र व चित्र के सामने खीर का भोग लगाये, इसके अतिरिक्त घी, मधु तथा शक्कर का भोग लगायें |
कुछ ग्रंथों में यह भी वर्णित है कि साधक धनदा रतिप्रिया यंत्र के नीचे अपना फोटो अथवा अपना नाम अष्टगंध से कागज़ पर लिख कर रख दे |

अब साधक धनदा रतिप्रिया यंत्र का वीर मुद्रा में बैठ कर मन्त्र जप तांत्रोक्त यक्षिणी माला से प्रारम्भ करे व मंत्रजाप सम्पूर्ण होने के पश्चात हि आसन से उठे |

मन्त्र-
|| ॐ रं श्रीं ह्रीं धं धनदे रतिप्रिये स्वाहा ||

यह धनदा साधना का मूल मन्त्र है, १०० माला मन्त्र जप करना है, यदि आसन सिद्धा नहीं है अर्थात एक ही दिन में साधना यदि संपन्न न कर सकें तो ,
इस साधना का ११ दिन का संकल्प लें और इसे प्रतिदिन १००८ मन्त्रों का जप यानी ११ माला जप करते हुए ११ दिन में साधना संपन्न करें, इस तरह सम्पूर्ण प्रयोग कुल ११ दिन का हो जायेगा |  तो साधना करने का दृण संकल्प लें और--
धनदा रतिप्रिया यक्षिणी प्रयोग (भाग २)



अहम् चिन्त्यं मनः चिन्त्यं प्राणा चिन्त्यं गुरौश्वर |
सर्व सिद्धि प्रदातव्यंतस्मै श्री गुरुवे नमः ||

हे इश्वर सिर्फ आपसे एक प्रार्थनाहै कि सदैव मेरा शरीर और जीवन सदैव गुरुदेव का ही स्मरण करता रहे, मेरा मन प्रत्येक क्षण गुरु चरणों में लीन रहे, मेरे प्राण गुरु स्वरुप इश्वर में अनुरक्त रहें, ब्रह्माण्ड में केवल गुरु ही है जो मुझे समस्त प्रकार कि सिद्धियाँ प्रदान कर सकतें हैं | अतः ऐसे सदगुरुदेव को शत् शत् नमन है |

रुद्रयामल तंत्र में वर्णित है कि धनदा रतिप्रिया यक्षिणी के साथ यदि काम देव का पूजन किया जाये (जो कि आप सबने किया ही है) तो देवि अत्यंत प्रसन्न होती हैं व साधक के सांसारिक जीवन के सभी मनोरथों को पूर्ण करती है | चाहे वो कन्याओं द्वारा श्रेष्ट पति कि प्राप्ति हेतु हुए हो या किसी भी रोगी के द्वारा शारीरिक दोषों और दुर्बलताओं का नाश करने हेतु हो | कामदेव ओर रतिप्रिया यक्षिणी के समिल्लित पूजन से साधक स्वयं कामदेव के सामान सौन्दर्य व पूर्णता भी प्राप्त कर सकता है |

लक्ष्मी तंत्र कि सर्वोत्तम साधना मानी जाती है | भाइयों बहनों हम यदि प्राचीन ग्रंथों में भारत कि वैभवता व श्रेष्टता के बारे में पढ़ते हैं तो आश्चर्य लगता है लेकिन यह पूर्ण सत्य है ओर इसका कारण यह है कि उस समय लोगों के द्वारा किया जाने वाला आचार विचार और साधनाओं के प्रति पूर्ण आस्था, तांत्रिक ज्ञान की पूर्ण प्रमाणिक जानकारी की प्रमुखता | जैसे जैसे धर्म अर्थात प्राचीन विद्याओं को लोग भूलते चले गए वैसे वैसे दरिद्रता का आगमन होता चला गया |

अतः आवश्यकता है इस विशेष ज्ञान को पूर्ण प्रमाणिकता के साथ समझे, परखें, स्वयं प्रत्यक्ष क्रियाओं को संपन्न करें और अपने जीवन को समृद्ध, सुसंपन्न व वैभवशाली बनायें |

इसी क्रम में इस साधना के तीन प्रमुख प्रयोग-

·        ऋण मोचन प्रयोग
·        आकास्मिक धन प्राप्ति हेतु
·        व्यापार एवं कार्य वृद्धि हेतु

इस साधना को संपन्न करने के बाद साधक को आवश्यकतानुसार प्रयोग संपन्न करना चाहिए

1.     ऋण मोचन हेतु
||ॐ ह्रीं श्रीं मां देहि धनदे रतिप्रिये स्वहा ||
Aum hreem shreem maam dehi dhanade ratipriye swaha

2.     आकस्मिक धन प्राप्ति हेतु
||ॐ ह्रीं ॐ माम ऋणस्य मोचय मोचय स्वाहा ||

Aum hreem aum maam rinasy mochay mochay swaha


3.     व्यापार एवं कार्य वृद्धि हेतु
|| ॐ धं श्री ह्रीं रतिप्रिये स्वाहा ||

Aum dham shreem hreem ratipriye swaha

इन प्रयोगों को संपन्न करने के लिए जो नियम मूल साधना के हैं उन्ही को संपन्न करना चाहिए तथा मूल मन्त्र की एक माला करने के बाद सम्बंधित मन्त्र की 125 माला एक दिन में ही सपन्न करके प्रयोग पूर्ण करें |

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