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॥प्राण प्रतिष्ठा विधानम्‌॥ Basic Pran pratistha vidhan shree yantra sadhana

MTYV Sadhana Kendra -
Friday 17th of April 2015 03:08:39 PM


॥प्राण प्रतिष्ठा विधानम्‌॥

ये विधान सदगुरुदेव की पुस्तक ऐश्वर्य महा लक्ष्मी से लिया है

इस विधान के अंत मे "ॐ" के आगे 15 लिखा है इस प्रकार सूक्ष्म रूप से विग्रह के पंच दस संस्कार सम्पन्न किया जा रहा है। इसका मतलब है की आपको ॐ को कुल 15 बार बोलना है। कृपया ज्यादा दिमाग लगाते हुए ये संख्या 15 से 16 न करें क्योंकि सोलहवां अंतिम संस्कार होता है। वैसे भी गुरुदेव की पुस्तक मे 15 ही है.इससे किसी भी चीज की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं

विनियोग-


ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रम्हा विष्णु महेश्वरा: ऋषयः। ऋग्यजु: सामानि छंदांसि। क्रियामय वपु: प्राण शक्ति देवता। ऐं बीजम्‌। ह्रीँ शक्ति:। क्रीँ कीलम्‌। प्राण प्रतिष्ठापने विनियोगः।


ऋष्यादि न्यास-


ॐ ब्रम्हा विष्णु महेश्वरा: ऋषिभ्यो नमः शिरसि।

ऋग्यजुः सामच्छन्देभ्यो नमः मुखे।

प्राणशक्त्यै नमः ह्रदये।

ऐँ बीजाय नमः लिँगे।

ह्रीँ शक्तये नमः पादयोः।

क्रीँ कीलकाय नमः सर्वाँगेषु।


कर न्यास-


ॐ अं कं खं गं घं ङं आं पृथिव्यप्तेजो वाय्वाकाशात्मने अंगुष्ठाभ्यां नमः।

ॐ इं चं छं जं झं ञं ईँ शब्दस्पर्श रुप-रस-गंधात्मने तर्जनीभ्यां नमः।

ॐ उं टं ठं डं ढं णं ऊं त्वक्‌ चक्षुः श्रोत्र जिह्वाघ्राणात्मने मध्यमाभ्यां नमः।

ॐ एं तं थं दं धं नं ऐँ वाक्‌ पाणि पाद पायूपस्थात्मने अनामिकाभ्यां नमः।

ॐ ओँ पं फं बं भं मं औँ वचनादान गति विसर्गा नंदात्मने कनिष्ठिकाभ्यां नमः।

ॐ अं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं अः मनो बुद्धयहंकार चित्त विज्ञानात्मने करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः।

हृदयादि न्यास-


ॐ अं कं खं गं घं ङं आं पृथिव्यप्तेजो वाय्वाकाशात्मने हृदयाय नमः।

ॐ इं चं छं जं झं ञं ईँ शब्दस्पर्श रुप-रस-गंधात्मने शिरसे स्वाहा।

ॐ उं टं ठं डं ढं णं ऊं त्वक्‌ चक्षुः श्रोत्र जिह्वाघ्राणात्मने शिखायै वषट्‌।

ॐ एं तं थं दं धं नं ऐँ वाक्‌ पाणि पाद पायूपस्थात्मने कवचाय हुं।

ॐ ओँ पं फं बं भं मं औँ वचनादान गति विसर्गा नंदात्मने नेत्रत्रयाय वौषट्‌।

ॐ अं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं अः मनो बुद्धयहंकार चित्त विज्ञानात्मने अस्त्राय फट्‌।

ॐ ऐँ इति नाभिमारभ्य पादान्तं स्पृशेत्‌।

ॐ ह्रीँ इति हृदयमारभ्य नाभ्यन्तम्‌ स्पृशेत।

ॐ क्रीँ इति मस्तकमारभ्य हृदयांतं च स्पृशेत।


ध्यान-


रक्ताम्भोधिस्थ पोतोल्लसदरुण सरोजाविरुद्धा कराब्जैः,

पाशं कोदण्ड भिक्षुद्‌भवमथ गुण मप्यं अत्य कुशं पँच बाणान्‌।

बिभ्राणांसृक्कपालं त्रिनयन लसिता पीन वक्षोरुहाढ्‌याः,

देवी बालार्क वर्णा भवतु सुखकरी प्राणशक्तिः परा नः॥

राणशक्तिः परा नः॥


प्राण प्रतिष्ठा मंत्र-


ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहम्‌ प्राणा इह प्राणाः।

ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः जीव इह जीव स्थितः।

ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः सर्वेंद्रियाणि इह सर्वेंद्रियाणि।

वाङ्‌मनस्त्वक्‌ चक्षुः श्रोत्र जिह्वा घ्राण वाक्प्राण पाद्‌पायूपस्थानि इहैवागत्य सुखं चिरं तिष्ठंतु स्वाहा।

ॐ (15 बार) मम देहस्य पंचदश संस्काराः सम्पद्यन्ताम्‌ इत्युक्त्वा।

विधि- जिस विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा करना हो पहले उसका षोडषोपचार पूजन करें फिर हाथ मे जल लेकर संकल्प करें फिर उपरोक्त विधि से प्राण प्रतिष्ठित करें फिर षोडषोपचार पूजन करें इस प्रकार प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न होगा।


NOTE:1- सम्बंधित देवता का ध्यान करना चाहिए ये ध्यान श्री यंत्र के संदर्भ मे है

2- ये विधान सदगुरुदेव की पुस्तक ऐश्वर्य महा लछ्मी से लिया है

3-  इससे किसी भी चीज की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं

4- इस विधान के अंत मे "ॐ" के आगे 15 लिखा है इस प्रकार सूक्ष्म रूप से विग्रह के पंच दस संस्कार सम्पन्न किया जा रहा है। इसका मतलब है की आपको ॐ को कुल 15 बार बोलना है। कृपया ज्यादा दिमाग लगाते हुए ये संख्या 15 से 16 न करें क्योंकि सोलहवां अंतिम संस्कार होता है। वैसे भी गुरुदेव की पुस्तक मे 15 ही है

5- ye basic vidhan hai pran pratistha ka hai

6-  isse yantra siddh hoga ya murti aur dhyan ke alawa sari vidhi ek si hi rahegi kya??? yes..

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