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Shree Chandika Mala Mantra Experiment | श्री चण्डिका माला मंत्र प्रयोग Shree Chandika Mala Mantra Experiment, shree chandika maala mantr prayog

MTYV Sadhana Kendra -
Thursday 23rd of May 2024 01:05:59 PM


इसके बाद तेल का दीपक और घी का दीपक जलाकर चित्र का संक्षिप्त पूजन करें, अर्थात् चित्र को कुंकुम अर्पित करें, चावल चढ़ावें, पुष्प समर्पित करें और दूध का बना हुआ प्रसाद अर्पित करें, इसके बाद निम्न मंत्रों से हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें –
 

आचमन
 

ॐ ह्रीं आत्म तत्वाय स्वाहा
ॐ ह्रीं विद्या तत्वाय स्वाहा
ॐ ह्री शिव तत्वाय स्वाहा
गुरु ध्यान
 

इसके बाद गुरुदेव को अपने सिर के भीतर स्थित सहस्रदल कमल के बीच में स्थापित जानकर, ध्यान करें और निम्न स्तोत्र का उच्चारण करें –
 

ब्रह्मानन्दं परम-सुखदं केवलं ज्ञान-मूर्तिम्
द्वन्द्वातीतं गगन सृदशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्व धी साक्षि भूतम्
भावातीतं त्रिगुण रहितं सद्गुरुं तं नमामि॥
इसके बाद सामने ‘त्रिपुर सुन्दरी यंत्र’ को जल से स्नान कराकर अपने सामने स्थापित करें। यंत्र पर कुंकुम, अक्षत, अर्पित करें। यंत्र के सामने ही ‘त्रिपुर सुन्दरी माला’ को भी स्थापित करें एवं उस पर कुंकुम अर्पित करें।




श्रीचण्डिकामालामन्त्र_प्रयोगः
          विनियोगः-ॐ अस्य श्रीचण्डिका माला मंत्रस्य मार्कण्डेय ऋषिः अनुष्टप् छंदः  श्रीचण्डिका देवता ॐ ह्रः बीजम्  ॐ सौं शक्तिः ॐ कीलकम् मम श्रीचण्डिका प्रसाद सिद्ध्यर्थं सकलजन वश्यार्थं श्रीचण्डिका मालामंत्र जपे विनियोगः। 

ऋष्यादिन्यासः- 
ॐ मार्कण्डेय ऋषये नमः शिरसि ॥१॥ 
ॐ अनुष्टप्छंदसे नमः मुखे ॥ २ ॥ 
ॐ श्री चण्डिका देवतायै नमः हृदि॥३॥ 
ॐ ह्रः बीजाय नमः गुह्ये ॥ ४ ॥ 
ॐ सौं शक्तये नमः पादयोः ॥ ५ ॥ 
ॐ ह्रौं कीलकाय नम: नाभौ ॥ ६ ॥ 
ॐ विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे ॥ ७ ॥ इति 

ऋष्यादिन्यासः । 
करन्यासः- 
ॐ ह्रां फां अंगुष्ठाभ्यां नमः । 
ॐ ह्रीं फीं तर्जनीभ्यां नमः । 
ॐ ह्रूं फूं मध्यमाभ्यां नमः । 
ॐ ह्रैं फैं अनामिकाभ्यां नमः । 
ॐ ह्रौं फौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । 
ॐ ह्रः फः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः । 

हृदयादिन्यासः- 
ॐ ह्राँ फाँ ह्रदयाय नमः ॥ १ ॥ 
ॐ ह्रीं फीं शिरसे स्वाहा ॥ २ ॥ 
ॐ ह्रूं फूं शिखायै वषट ॥ ३ ॥ 
ॐ ह्रैं फैं कवचाय हुँ ॥ ४ ॥ 
ॐ ह्रौं फौं नेत्रत्रयाय वौषट् ॥ ५ ॥ 
ॐ ह्रः फः अस्त्राय फट् ॥ ६ ॥ 
इति हृदयादिषडंगन्यासः। एवं न्यासं कृत्वा ध्यायेत्। 

                    ॥ अथ ध्यानम् ॥ 
ॐ कल्याणी कमलासनस्थशुभदां गौरी घनश्याम लामाविर्भावित भूषणामभयदामार्द्रैकरक्षैः शुभैः । 
श्रीं ह्रीं क्लीं वरमंत्रराजसहितामानंद पूर्णात्मिकां श्रीशैले भ्रमराम्बिकां शिवयुतां चिन्मात्रमूर्तिं भजे ॥१॥ इति 

ध्यात्वा मानसोपचारैः संपूज्य सुवासिन्याः कुमार्याः पूजां कृत्वा पश्चाज्जपं कुर्यात् । अस्य पुरश्चरणं नित्यमेकविंशत्यधिकशतम् ॥ 

जपेन स्त्री पुरुषो वा वश्यो भवति । 
तथा च एकविंशत्यधिकशतजाप्येन वशमानयेत् । 
स्त्री वापि पुरुषो वापि सत्यं सत्यं न संशयः ॥१॥ 

राजद्वारे श्मशाने च विवादे शत्रुसंकटे । शत्रोरुच्चाटने चैव सर्वकार्याणि साधयेत्। 

इस प्रकार ध्यान करके मानसोपचारों से पूजन करे और सुवासिनी कुमारी की पूजा करने के बाद जप करे । 

इसका पुरश्चरण प्रतिदिन 121 होता है, इसके जप से स्त्री या पुरुष वश में होते है । यह सत्य है यह सत्य है, इसमें कोई संशय नहीं । राजद्वार में या श्मशान में, विवाद में शत्रुसंकट में तथा शत्रु के उच्चाटन में यह सब कार्यों को सिद्ध करता है ।

॥ श्री चण्डिका मालामन्त्र प्रयोगः ॥ 

 “ॐ ह्रः ॐ सौं ॐ ह्रौं ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीर्जयजय चण्डिका चामुण्डे चण्डिके त्रिदश-मुकुट-कोटि-संघट्टित-चरणारविंदे गायत्रि सावित्रि सरस्वति अहिकृताभरणे भैरव-रूप-धारिणि प्रकटित-दंष्ट्रोग्र-वदने घोरानन-नयने ज्वलज्ज्वाला-सहस्र-परिवृते महाट्टहास-धवलीकृत-दिगन्तरे सर्वयुग-परिपूर्णे कपाल-हस्ते गजाजिनोत्तरीय भूतवेताल-परिवृते अकंपित-धराधरे मधुकैटभ महिषासुर-धूम्रलोचन चण्डमुण्ड रक्तबीज शुम्भनिशुम्भदैत्यनिकृन्ते कालरात्रि महामाये शिवे नित्ये ॐ ऐं ह्रीं ऐन्द्रि आग्नेयि याम्ये नैर्ऋति वारुणि वायवि कौबेरि ऐशानि ब्रह्मविष्णुशिव स्थिते त्रिभुवन-धराधरे वामे ज्येष्ठे रौद्रि अम्बिके ब्राह्मी-माहेश्वरी-कौमारी वैष्णवी-वाराहींद्राणी-ईशानी-महालक्ष्मीः इति स्थिते महोग्रविषमहाविषोरग फणामणि मुकुटरत्न महाज्वालामल मणिमहाहिहार बाहुकहोत्तमांग नवरत्न निधि कोटितत्व-बाहु-जिह्वा-वाणी शब्द स्पर्श रूप रस गंधात्मिके क्षितिसाहस मध्यस्थिते महोज्ज्वलमहाविषोपविष गंधर्व-विद्या-धराधिपते ॐ ऐंकारा ॐ ह्रींकारा ॐ क्लींकारा हस्ते ॐ आँ ह्रीं क्रौं अनग्नेनग्नेपाते प्रवेशय प्रवेशय ॐ द्राँ द्रीं शोषय शोषय ॐ द्राँ द्रीं मोहय मोहय ॐ क्लाँ क्लीं दीपय दीपय ॐ ब्लूं ब्लूं संतापय संतापय ॐ सौं सौं उन्मादय उन्मादय ॐ म्लैं म्लैं मोहय मोहय ॐ खाँ खाँ शोधय शोधय ॐ द्याँ द्याँ उन्मादय उन्मादय ॐ ह्रीं ह्रीं आवेशय आवेशय ॐ स्त्रीं स्त्रीं उच्छादय उच्छादय ॐ स्त्रीं स्त्रीं आकर्षय आकर्षय ॐ हुँ हुँ आस्फोटय आस्फोटय ॐ त्रूँ त्रूँ त्रोटय त्रोटय ॐ छाँ छाँ छेदय छेदय ॐ कूँ कूँ उच्चाटय उच्चाटय ॐ हूँ हूँ हन हन ॐ ह्राँ ह्राँ मारय मारय ॐ घ्रीं घ्रीं घर्षय घर्षय ॐ स्वीं स्वीं विध्वंसय विध्वंसय ॐ प्लूँ प्लूँ प्लावय प्लावय ॐ भ्रां भ्रां भ्रामय भ्रामय ॐ ॐ म्रां म्रां दर्शय दर्शय ॐ दां दां दिशां बंधय बंधय ॐ दीं दीं वर्तिनामेकाग्रचित्ता विशिकुरुतेंगये ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः ॐ फ्राँ फ्रीं फ्रूं फ्रैं फ्रौं फ्रः ॐ चामुण्डायै विच्चे स्वाहा मम सकल मनोरथं देहि सर्वोपद्रवं निवारय निवारय अमुकं वशे कुरु कुरु भूत-प्रेत पिशाच ब्रह्मपिशाच ब्रह्मराक्षस यक्ष यमदूत शाकिनी डाकिनी सर्वश्वापदतस्करादिकं नाशय नाशय मारय मारय भंजय भंजय ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वाहा”।। 

॥ इत्यथर्वणागमसंहितोक्त श्री चंडिका मालामंत्रविधानम्।। 

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