शनि जयंती एक महत्त्वपूर्ण दिवस है शनि साधना के लिए, और आज के दिन हम शनि साधना का लघु प्रयोग दिन में किसी भी समय सम्पन्न कर सकते हैं।
इसके लिए स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र धारण करें तत्पश्चात *१० मिनट तक गुरु मंत्र जप करें*
।। ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरु भ्यो नमः।।
।। om Param Tatvaay Naaraayannaay Gurubhyo Namah।।
*फिर निम्न शनि मंत्र का १० मिनट तक जाप करें*
।। ॐ शं शनौश्चराय सशक्तिकाय सूर्यात्मजाय नमः ।।
।। Om sham shanaishchray sshaktikay suryatmjay namah ।।
*इसके बाद १० मिनट फिर गुरु मंत्र जप करें*।
।। ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरु भ्यो नमः।।
।। om Param Tatvaay Naaraayannaay Gurubhyo Namah।।
*साधना के पश्चात् शनि की प्रार्थना इन दस नामों से करनी चाहिए*-
कोणस्य: पिंगलो वभ्रुः कृष्णो रौद्रान्तको यमः सौरिः शनिश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः।
एतानि दश नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत शनिश्चर कृता पीड़ा न कदाचित भविष्यति।।
*हिन्दी में इस शनि स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है*
1. कोणस्थ, 2. पिंगल, 3. वभ्रु, 4 कृष्ण, 5. रौद्र, 6. अन्तक, 7. यम:, 8. सोरि, 9.
शनिश्चर, 10. मंद
- *इन दसों नामों का उच्चारण जो व्यक्ति प्रात:काल करता है, उसे शनिदेव पीड़ा नहीं देते। इसका ग्यारह बार पाठ करना चाहिए* ।
आस्था हो समर्पण हो तभी साधना और दीक्षा मे सफलता मिल सकती है।
*गुरुदेव आपकी मनोकामना पूर्ति हेतु ओर गुरु के प्रति आपकी पूर्ण आस्था हो, पूर्ण विश्वास हो, जो मंत्र गुरु दें उसके प्रति आस्था हो और आप साधनाओं में पूर्णता प्राप्त करते हुए जीवन में भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त कर सकें, ऐसा ही गुरुदेव आपको हृदय से आशीर्वाद और आप के कल्याण की कामना करते हैं।*