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श्री बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् | SHREE BAGALA ASHTOTAR SHATNAM STOTRA

श्री बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् | SHREE BAGALA ASHTOTAR SHATNAM STOTRA

श्री बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् 

श्री बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्  | SHREE BAGALA ASHTOTAR SHATNAM STOTRA


 ।। श्रीनारद उवाच ।। 
 भगवन्, देव-देवेश ! सृष्टि-स्थिति-लयात्मकम् । 
 शतमष्टोत्तरं नाम्नां, बगलाया वदाधुना ।। 
 ।। श्रीभगवानुवाच ।। 
 श्रृणु वत्स ! प्रवक्ष्यामि, नाम्नामष्टोत्तरं शतम् । 
 पीताम्बर्या महा-देव्याः, स्तोत्रं पाप-प्रणाशनम् ।। 
 यस्य प्रपठनात् सद्यो, वादी मूको भवेत् क्षणात् । 
 रिपूणां स्तम्भनं गाति, सत्यं सत्यं चदाम्यहम् ।। 

 विनियोगः- 
 ॐ अस्य श्रीपीताम्बरायाः शतमष्टोत्तरं नाम्नां स्तोत्रस्य, श्रीसदा-शिव ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीपीताम्बरा देवता, श्रीपीताम्बरा प्रीतये जपे विनियोगः । 

 ऋष्यादिन्यासः- 
 श्रीसदा-शिव ऋषये नमः शिरसि, 
 अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे, 
 श्रीपीताम्बरा देवतायै नमः हृदि, 
 श्रीपीताम्बरा प्रीतये जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे । 

 ।।अष्टोत्तर-शत-नाम-स्तोत्र ।। 

 ॐ बगला विष्णु-वनिता, विष्णु-शंकर-भामिनी । 
 बहुला वेद-माता च, महा-विष्णु-प्रसूरपि ।।1।। 

 महा-मत्स्या महा-कूर्मा, महा-वाराह-रूपिणी । 
 नरसिंह-प्रिया रम्या, वामना वटु-रूपिणी ।।2।। 

 जामदग्न्य-स्वरूपा च, रामा राम-प्रपूजिता । 
 कृष्णा कपर्दिनी कृत्या, कलहा कल-कारिणी ।।3।। 

 बुद्धि-रूपा बुद्ध-भार्या, बौद्ध-पाखण्ड-खण्डिनी । 
 कल्कि-रूपा कलि-हरा, कलि-दुर्गति-नाशिनी ।।4।। 

 कोटि-सूर्य-प्रतिकाशा, कोटि-कन्दर्प-मोहिनी । 
 केवला कठिना काली, कला कैवल्य-दायिनी ।।5।। 

 केशवी केशवाराध्या, किशोरी केशव-स्तुता । 
 रूद्र-रूपा रूद्र-मूर्ति, रूद्राणी रूद्र-देवता ।।6।। 

 नक्षत्र-रूपा नक्षत्रा, नक्षत्रेश-प्रपूजिता । 
 नक्षत्रेश-प्रिया नित्या, नक्षत्र-पति-वन्दिता ।।7।। 

 नागिनी नाग-जननि, नाग-राज-प्रवन्दिता । 
 नागेश्वरी नाग-कन्या, नागरी च नगात्मजा ।।8।। 

 नगाधिराज-तनया, नग-राज-प्रपूजिता । 
 नवीन नीरदा पीता, श्यामा सौन्दर्य-कारिणी ।।9।। 

 रक्ता नीला घना शुभ्रा, श्वेता सौभाग्य-दायिनी । 
 सुन्दरी सौभगा सौम्या, स्वर्णभा स्वर्गति-प्रदा ।।10।। 

 रिपु-त्रास-करी रेखा, शत्रु-संहार-कारिणी । 
 भामिनी च तथा माया, स्तम्भिनी मोहिनी शुभा।।11।। 

 राग-द्वेष-करी रात्रि, रौरव-ध्वसं-कारिणी । 
 यक्षिणी सिद्ध-निवहा सिद्धेशा सिद्धि-रूपिणी ।।12।। 

 लंका-पति-ध्वसं-करी, लंकेश -रिपु-वन्दिता । 
 लंका-नाथ – कुल-हरा, महा-रावण-हारिणी ।।13।। 

 देव-दानव-सिद्धौघ-पूजिता परमेश्वरी ।
 पराणु-रूपा परमा, पर-तन्त्र-विनाशिनी ।।14।। 

 वरदा वरदाऽऽराध्या, वर-दान-परायणा । 
 वर-देश-प्रिया वीरा, वीर-भूषण-भूषिता ।।15।। 

 वसुदा बहुदा वाणी, ब्रह्म-रूपा वरानना । 
 बलदा पीत-वसना, पीत-भूषण-भूषिता ।।16।। 

 पीत-पुष्प-प्रिया पीत-हारा पीत-स्वरूपिणी । 
 शुभं ते कथितं विप्र ! नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ।।17।। 

 ।।फल-श्रुति।। 

 यः पठेद् पाठयेद् वापि, श्रृणुयाद् ना समाहितः । 

 तस्य शत्रुः क्षयं सद्यो, याति वै  संशयः ।। 

 प्रभात-काले प्रयतो मनुष्यः, पठेत् सु-भक्त्या परिचिन्त्य पीताम् । 

 द्रुतं भवेत् तस्य समस्त-वृद्धिर्विनाशमायाति च तस्य शत्रुः ।। 

 ।। श्रीविष्णु-यामले श्रीनारद-विष्णु-सम्वादे। श्रीबगलाऽष्टोत्तर-शत-नाम-स्तोत्रं ।।

गरी का गोला+501/,पीले कपडे से लपेट कर पूजा स्थान पर रख कर संकल्प का जल इसी गोले पर डाले।
संकल्प-- भगवती पीताम्बरा की प्रसन्नता हेतु मै बगलाअष्टोत्तर शतनाम का एक हजार पाठ करने का संकल्प ले रहा हू।

बगला विष्णु विनता  से 17 मे पीतस्वरूपणी  । 
तक ही पाठ  करे,यह एक पाठ  हुआ ऐसे 100 या अधिक पाठ कर कुल1000 पाठ  के बाद  हवन करे।

अन्त मे 10 ब्राम्हण  को भोजन करा कर101/ दक्षिणा दे।
या
गुरूभोज कर दे
एक थाल खाना+2मीठा+ 501/
पीले कपडे से ढक कर
ऊॅ गुरूवे नमः का एक माला जप कर कहे गुरूजन भोजन ग्रहण करे।
फिर 
आॅख बन्द कर10माला ऊॅ गुरूवे नमः करेऔर देखे कितने गुरूजन भोजन ग्रहण कर रहे है।
अवश्य बताए

अन्त मे गोला खोल कर किसी मंदिर मे रख दे तथायह पैसा+गुरूभोज का पैसा मेरे एकाउंट मेभेज दे।इस प्रकार 
अनुष्ठान पूरा होता है।

हवन सामग्री
बूरा(पिसी शक्कर) 1kg
काला तिल 1kg
कमल बीज या कमलगट्टा200 ग्राम
गूगल 200ग्राम 
शहद 50ग्राम
देशी घी100ग्राम
पिसी हल्दी 1चम्मच
सेधां नमक1चम्मच
सबको मिलाकर 10पाठ का हवन करदे।

1 से 7 तक आहुति  देकर हवन प्रारम्भ कर दे
ऊॅ--नाम-- नमः स्वाहृः। जैसे
1 ऊॅ बगला नमः स्वाहः। 
2 ऊॅ विष्णु-वनिता नमः स्वाहः। 
ऐसे ही108नामो की आहुति दे।

हवन से पहले 8आहुतियाॅ दे--
1- ऊॅ वक्रतुण्डाय हुम् फट् स्वाहः। 
2-ऊॅ मृत्युजय  भैरवाय नमः स्वाहः। 
3- ऊॅ ब्रम्हाय नमः स्वाहः। 
4-ऊॅ विष्णुयाय नमः स्वाहः।
5-ऊॅ शिवाय नमः स्वाहः।
6-ऊॅ क्षेत्र पालाय नमः स्वाहः।
7-ऊॅ दिक्पालय नमः स्वाहः।
8-ऊॅ सप्त ऋषिये नमः स्वाहः।

#Bagalamukhishatnam

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