हिन्दू धर्म एक मात्र ऐसा धर्म है जिसमें जितना सम्मान और महत्व देव पूजा को दिया जाता है उतना ही सम्मान देवी पूजन को भी दिया जाता है | माँ दुर्गा को सबसे बड़ी शक्ति के रूप में पूजा जाता है | माँ दुर्गा के अनेक रूप है जिनका विस्तार से वर्णन मार्कण्डेय पुराण के अंतर्गत देवी महात्यम में किया गया है | माँ दुर्गा की पूजा -आराधना और उनकी विशेष कृपा पाने हेतु दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सर्वोतम माना गया है |दुर्गा सप्तशती का पाठ करने में पूजा-विधान बहुत बड़ा होने के साथ-साथ समय भी अधिक लगता है | इसलिए जो भक्त इस पाठ के लिए समय नहीं निकाल पाते उनके लिए सिद्ध कुंजिका स्त्रोत/Siddha Kunjika Stotram का पाठ भी सप्तशती पाठ के समान ही फल देने वाला है |
Siddha Kunjika Stotram/सिद्ध कुंजिका स्त्रोत :-
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत , दुर्गा सप्तशती पाठ का सार माना गया है | इसलिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मिलने वाला सम्पूर्ण फल आपको सिद्ध कुंजिका स्त्रोत/Siddha Kunjika Stotram पाठ के करने मात्र से प्राप्त हो जाता है | दुर्गा सप्तशती का सम्पूर्ण पाठ करने में जहाँ 2 से 3 घंटे का समय लगता है वहीं सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कुछ मिनट में ही पूर्ण हो जाता है | यदि आप संकल्प लेकर सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र का नियमित जप करते है तो माँ दुर्गा के आशीर्वाद से आपकी सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है और साथ ही इस मंत्र का प्रयोग दूसरों की भलाई के लिए भी किया जा सकता है |
siddha kunjika stotram
kunjika strot kese sidh kare?
सिद्ध कुंजिका मंत्र को सिद्ध करने की सरल विधि : –
आज हम आपको सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र को सिद्ध करने की सरल विधि के विषय में जानकारी देने वाले है |
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र / Siddha Kunjika Stotram Mantra :-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ।।
मंत्र सिद्ध करने की विधि : – पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल कपडा बिछाकर माँ दुर्गा की फोटो की स्थापना करें | अब इस मंत्र को एक कागज पर लिखकर फोटो के नीचे रख दे | चौकी के बायीं तरफ एक घी का दीपक जलाये और गणेश जी की स्थापना करें | ( गणेश जी की स्थापना के लिए – एक मिट्टी की डली लेकर इस पर लाल धागे को लपेट ले और अब इसे एक कटोरी में थोड़े चावल डालकर चौकी पर स्थापित कर दे |
अब आप आसन बिछाकर चौकी के सामने बैठ जाये और सबसे पहले गणेश जी का आव्हान करे | गणेश जी के साथ -साथ सभी देवों का आव्हान करें और संकल्प लेकर माला का जप आरम्भ कर दे | किसी भी मंत्र को सिद्ध करते समय पूजा करने की सरल पूजा विधि और संकल्प किस प्रकार से ले इसके लिए आप इस post को पढ़े :- जानिए, मंत्र सिद्धि व पूजा -पाठ के समय पूजा करने की सरल विधि |
इस साधना को करने के लिए सुबह 11 बजे से पहले का एक समय सुनिश्चित कर प्रतिदिन उसी समय पर पूजा करें | इस प्रकार से माँ दुर्गा की इस साधना को 41 दिन तक करने से यह सिद्ध कुंजिका मंत्र सिद्ध हो जाता है | 41 दिन पूरे होने के बाद जितने मंत्र जप आपने इन दिनों में किये है उनका दशांश(10वां भाग ) मंत्र की आहुति द्वारा हवन करें | और हवन के पश्चात् 5 या 9 कन्याओं को भोजन कराएँ व अपने सामर्थ्य अनुसार उन्हें वस्त्र और दक्षिणा दे | ♣ पूजा -पाठ का सम्पूर्ण फल पाने के लिए , इस प्रकार संकल्प लेना है जरुरी ♣
मंत्र सिद्ध करते समय ध्यान देने योग्य बातें :-
मंत्र सिद्ध करते समय जितने मंत्र जाप आप पहले दिन करते है उतने ही मन्त्रों का जाप प्रतिदिन करें | यदि आप चाहे तो मंत्र जप की संख्या बढ़ा सकते है किन्तु कम कदापि न करें | उदाहरण के लिए : यदि आप पहले दिन 2 माला का जाप करते है तो प्रतिदिन 2 माला का ही जप करें |
मंत्र सिद्धि के समय जिस स्थान पर बैठकर आप पूजा करते है उस स्थान में कोई बदलाव न करें |
साधना को 41 दिन तक प्रतिदिन करें | ध्यान रहें : – साधना बीच में छूटनी नहीं चाहिए |
साधना काल में शाकाहारी भोजन ही करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें |
Siddha Kunjika Stotram Mantra/सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र सिद्ध करने के लाभ : –
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत/Sidddha Kunjika Stotram मंत्र को सिद्ध करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और पीडाएं अपने आप दूर होने लगती है | माँ दुर्गा की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है | समाज में मान -सम्मान मिलता है | घर में घन -लक्ष्मी की वृद्धि होती है | ऐसा व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है |सिद्ध कुंजिका मंत्र के सिद्ध होने पर इसे दुसरे लोगों की भलाई के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है |जब किसी प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा हो, समस्या का समाधान नहीं हो रहा हो, तो सिद्ध कुंजिकास्तोत्र का पाठ करिए।
Kunjika utkilan mantra. कुंजिका उत्कीलन प्रयोग. कुंजिका उत्कीलन मंत्र, कुंजिकाप्रयोग , कुंजिका
इस का प्रयोग आप को पाठ के पहले और बाद में नर्वाण मंत्र १ माला जाप करे फिर १ माला ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं का जाप
करे गुंजारन विधि से उस के बाद ५१ बार इस उत्कीलन मंत्र का जाप भगवन शिव शक्ति से आज्ञा ले की मैं अमुक कामना के इच्छा पूर्ति के लिए जाप कर रहा हूँ आप मुझ पर कृपा करके सिद्धी प्रदान कर मेरी रक्षा करे
"ॐ ऐं क्रीं चामुंडे सर्व मंत्र पाठ उत्कीलाम कुरु कुरु क्रीं फट ||"
Om aim kreem chamunde sarva mantra paath utkilam kuru kuru kreem fatt
siddh kunjika aur kuch avshyak bate
सिद्ध कुंजिका और कुछ आवश्यक बाते
कुंजीका स्त्रोत वासतव मे सफलता की कुंजी हि है,सप्तशती का पाठ इसके बिना पूर्ण नहीं माना जाता है.षटकर्म में भी कुंजिका रामबाण कि तरह कार्य करता है.परन्तु जब तक इसकी ऊर्जा को स्वयं से जोङ न लीया जाए तबतक इसके पूर्ण प्रभाव कम हि दिख पाते है.आज हम यहा कुंजिका स्त्रोत को सिद्ध करने कि विधि तथा उसके अन्य प्रयोगो पर चर्चा करेंगे।सर्व प्रथम सिद्धि विधान पर चर्चा करते है.साधक किसी भी मंगलवार अथवा शुक्रवार से यह साधना आरम्भ करे.समय रात्रि १० के बाद का हो और ११.३० के बाद कर पाये तो और भि उत्तम होगा।लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर पूर्व अथवा उत्तर कि और मुख कर बैठ जाये।सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दे और उस पर माँ दुर्गा का चित्र स्थापित करे.अब माँ का सामान्य पूजन करे तेल अथवा घी का दीपक प्रज्वलित करे.किसी भी मिठाई को प्रसाद रूप मे अर्पित करे.और हाथ में जल लेकर संकल्प ले,कि माँ मे आज से सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का अनुष्ठान आरम्भ कर रहा हु.में नित्य ९ दिनों तक ५१ पाठ करूँगा,माँ मेरी साधना को स्वीकार कर मुझे कुंजिका स्तोत्र कि सिद्धि प्रदान करे तथा इसकी ऊर्जा को मेरे भीतर स्थापित कर दे.जल भूमि पर छोड़ दे और साधक ५१ पाठ आरम्भ करे.इसी प्रकार साधक ९ दिनों तक यह अनुष्ठान करे.प्रसाद नित्य स्वयं खाए.इस प्रकार कुञ्जिका स्तोत्र साधाक के लिये पूर्ण रूप से जागृत तथा चैतन्य हो जाता है.फिर साधक इससे जुड़ी कोइ भि साधना सफलता पूर्वक कर सकता है.
कुंजिका स्तोत्र और कुछ अवश्यक नियम
१. साधना काल मे ब्रह्मचर्य क पलन करने आवशयक है.केवल देह से हि नहि अपितु मन से भी आवश्यक है.
२. साधक भूमि शयन कर पाये तो उत्तम होगा
३. कुंजिका स्तोत्र के समय मुख मे पान ऱखा जाएं तो ईससे माँ प्रसन्न होती है.इस पान मे चुना,कत्था और ईलायची के अतिरिक्त और कुछ ना ड़ाले।कई साधक सुपारी और लौंग भि डालतें है पर इतनी देर पान मुख मे रहेगा तो सुपाऱी से जिव्हा कट सकती है तथा लौंग अधिक समय मुख मे रहे तो छाले कर देति है.अतः ये दो वस्तु ना ड़ाले।
४ अगर नित्य कुंजिका स्तोत्र समाप्त करने के बाद एक अनार काटकर माँ को अर्पित किया जाये तो इससे साधना का प्रभाव और अधिक हो जाता है.परन्तु ये अनार साधक को नहीं ख़ाना चाहिए ये नित्य प्रातः गाय को दे देना चाहिए।
५. यदि आपका रात्रि मे कुंजिका का अनुष्टान चल रहा है तो नित्य प्रातः पूजन के समय किसी भि माला से ३ माला नवार्ण मंत्र की करे.इससे यदि साधना काल मे आपसे कोइ त्रुटि हो रही होंगी तो वो समाप्त हो जायेगी।वैसे ये आवश्यक अंग नहीं है फ़िर भी साधक चाहे तो कर सकते है.
६. साधना गोपनीय रखे गुरु तथा मार्गदर्शक के अतिरिक्त किसी अन्य को साधना समाप्त होने तक कुछ न बताए,ना हि साधना सामाप्त होने तक किसी से कोइ चर्चा करे.
७. जहा तक सम्भव हो साधना मे सभी वस्तुए लाल हि प्रयोग करे.
जब साधक उपरोक्त विधान के अनुसार कुंजिका को जागृत कर ले,तब इसकी मध्यम से काई प्रकार के काम्य प्रयोग किये ज सकते है.यहाँ कुछ प्रयोग दिये ज रहे है.
धन प्राप्ति
किसी भी शुक्रवार कि रात्रि मे माँ का सामान्य पुजन करे.इसके बाद कुंजिका के ९ पाठ करे इसके पश्चात, नवार्ण मन्त्र से अग्नि मे २१ आहुति सफ़ेद तील से प्रदान करे.नवार्ण मंत्र में श्रीं बिज आवश्य जोड़ें। श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः स्वाहा, आहुति के बाद पुनः ९ पाठ करे.इस प्रकार ९ दिनों तक करने से धनागमन के मर्ग खुलनी लगतें है.
शत्रु मुक्ति
शनिवार रात्रि मे काले वस्त्र पर एक निंबू स्थापित करे तथा इस पर शत्रु का नाम काजल से लिख दे.और इस निम्बू के समक्ष हि सर्व प्रथम ११ बार कुंजिका का पाठ करे.इसके बाद हूं शत्रुनाशिनी हूँ फट मन्त्र क ५ मिनट तक निम्बू पर त्राटक करते हुए जाप करे.फिर पुनः ११ पाठ करे.इसके बाद निम्बू कही भूमि मे गाङ दे.शत्रु बाधा समाप्त हो जायेगी।
रोग नाश
नित्य कुंजिका के ११ पाठ करके काली मिर्च अभिमंत्रित कर ले.इसके बाद रोगी पर से इसे ७ बार घुमाकर घर के बहार फैक़ दे.कुछ दिन प्रयोग करने से सभी रोग शांत हो जाते है.
आकर्षण
कुंजिका का ९ बार पाठ करे तत्पश्चात क्लीं ह्रीं क्लीं मन्त्र क १०८ बार जाप करे तथा पुनः ९ पाठ कुंजिका के करे और जल अभीमंत्रित कर ले.इस जल को थोड़ा पि जाएं और थोड़े से मुख धो ले.सतत करते रहने से साधक मे आकर्षण शक्ति का विकास होता है.
स्वप्न शांति
जिन लोगो को बुरे स्वप्न आते है उनके लिए ये प्रयोग उत्तम है.किसी भी समय एक सिक्का ले और थोड़े क़ाले तिल ले.३ दिनों तक नित्य २१ पाठ कुंजिका के कर और इन्हे अभिमंत्रित करे.इसके बाद दोनों को एक लाल वस्त्र मे बांध कर तकिये के निचे रखकर सोये।धीरे धीरे बुरे स्वप्न आना बन्द हो जायेंगे।
तंत्र सुरक्षा
बुधवार के दिन एक लोहे कि कील ले और इसकी समक्ष कुंजिका के २१ पाठ करे प्रत्येक पाठ कि समाप्ति पर कील पर एक कुमकुम कि बिंदी लगाये इसके बाद इस कील को लाल वस्त्र मे लपेट कर घर के मुख्य द्वार के बाहर भूमि मे गाढ़ दे.इससे घर तंत्र क्रियायों से सुरक्षित रहेगा।
उपरोक्त सभी प्रयोग सरल है परन्तु ये तभि प्रभावी होंगे जब आप स्वयं के लिए कुंजिका को जागृत कर लेंगे।अतः सर्वप्रथम कुंजिका को जागृत करे इसकी बाद हि कोइ प्रयोग करे.शीघ्र ही अन्य प्रयोग भि बतायेँगे। तब तक के लिए.