Join Free | Sign In | Blog

कुंजीका स्त्रोत सप्तशती , षटकर्म kunjika stotra durga sapsati path satkarm कुंजीका स्त्रोत सप्तशती , षटकर्म, kunjika stotra durga sapsati path satkarm

MTYV Sadhana Kendra -
Saturday 6th of April 2019 03:14:26 PM



कुंजीका स्त्रोत वास्तव में सफलता की कुंजी ही है, सप्तशती का पाठ इसके बिना पूर्ण नहीं माना जाता है। षटकर्म में भी कुंजिका रामबाण कि तरहकार्य करता है। परन्तु जब तक इसकी ऊर्जा को स्वयं से जोड़ न लिया जाए तब तक इसके पूर्ण प्रभाव कम ही दिख पाते है। आज हम यहां कुंजिका स्त्रोत को सिद्ध करने कि विधि तथा उसके अन्य प्रयोगों पर चर्चा करेंगे। सर्व प्रथम सिद्धि विधान पर चर्चा करते है। साधक किसी भी मंगलवार अथवा शुक्रवार से यह साधना आरम्भ करें। समय रात्रि 10 बजे के बाद का हो और 11:30 बजे के बाद कर पाये तो और भी उत्तम होगा। लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर पूर्व अथवा उत्तर कि और मुख कर बैठ जाये। सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दें और उस पर मां दुर्गा का चित्र स्थापित करें। अब मां का सामान्य पूजन करें, तेल अथवा घी का दीपक प्रज्वलित करें। किसी भी मिठाई को प्रसाद रूप मे अर्पित करें,

और हाथ में जल लेकर संकल्प लें, कि मैं आज से सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का अनुष्ठान आरम्भ कर रहा हुं, मैं नित्य 9 दिनों तक 51 पाठ करूंगा, मां मेरी साधना को स्वीकार कर मुझे कुंजिका स्तोत्र की सिद्धि प्रदान करें तथा इसकी ऊर्जा को मेरे भीतर स्थापित कर दें। जल भूमि पर छोड़ दें और साधक 51 पाठ आरम्भ करें। इसी प्रकार साधक 9 दिनों तक यह अनुष्ठान करें। प्रसाद नित्य स्वयं खाए,
इस प्रकार कुंजिका स्तोत्र साधक के लिये पूर्ण रूप से जागृत हो जाता है

आसन, स्वयं के वस्त्र, पूजा के वस्त्र, लाल चुनरी सब कुछ लाल, कुमकुम, लाल अक्षत, लाल पुष्प, धूप, घी का दीपक, लाल अनार काट के प्रसाद

अब दाहिने हाथ में जल,कुंकुम, अक्षत ले कर निम्न कुंजिका विनियोग करें :-

अस्य श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्र मन्त्रस्य सदा शिव ऋषि : अनुष्टुप छन्द : श्री त्रिगुणात्मिका देवता ॐ ऐं बीजं ॐ ह्रीं शक्ति : ॐ क्लीं कीलकं मम् सर्व अभीष्ट सिद्धयर्थे विनियोगः

https://mtyv.poweredindia.com/blog/kunjika-utkilan-mantra.html

Kunjika utkilan mantra. कुंजिका उत्कीलन प्रयोग. कुंजिका उत्कीलन मंत्र, कुंजिकाप्रयोग , कुंजिका

अब बीज मंत्र का 51 बार उच्चारण करें:-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे ज्वल हं सं लं क्षंं फट् स्वाहा।।

कुंजिका स्तोत्र ( दुर्गा सप्तशती से ) 51 पाठ करें।

अंतिम रात्रि 10 बजे के बाद बीज मंत्र से ( स्तोत्र से नहीं)

85 बार आहुति हवन सामग्री से,

11 बार आहुति बिल्व पत्र से,

11 बार आहुति गुलाब पुष्पों से,

अंतिम पूर्णाहुति नारियल गोले को ऊपर से जरा सा काट कर पुरा शक्कर भर के फिर नारियल को पूर्ण करके लाल वस्त्र में लपेट कर आहुति कर दें।

अंत मे कुंजिका स्तोत्र का पुनः एक पाठ करें।

देवी आरती कर के साधना को पूर्णता दें।

( यह सिद्ध कुंजिका का विशेष क्रम है जिसे किसी भी कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

-

कुंजिका स्तोत्र और कुछ आवश्यक नियम―
-

1)― साधना काल मे ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक है, केवल देह से ही नहीं अपितु मन से भी आवश्यक है।
-
2)― साधक भूमि शयन कर पाये तो उत्तम होगा।
-
3)― कुंजिका स्तोत्र के समय मुख में पान रखा जाये तो इससे मां प्रसन्न होती है। इस पान में चुना, कत्था और ईलायची के अतिरिक्त और कुछ ना डालें, कई साधक सुपारी और लौंग भी कुछ डालते हैं पर इतनी देर पान मुख में रहेगा तो सुपारी से जिह्वा कट सकती है तथा लौंग अधिक समय मुख में रहेगा तो छाले कर पैदा कर देते है, अतः ये दो वस्तु ना डालें।
-
4)― अगर नित्य कुंजिका स्तोत्र समाप्त करने के बाद एक अनार काटकर मां को अर्पित किया जाये तो इससे साधना का प्रभाव और अधिक हो जाता है, परन्तु ध्यान रहें यह अनार साधक को नहीं खाना चाहिए इसको नित्य प्रातः गाय को खिला देना चाहिए।
-
5)― यदि आपका रात्रि में कुंजिका का अनुष्टान चल रहा है तो नित्य प्रातः पूजन के समय किसी भी माला से 3 माला नवार्ण मंत्र की करें, इससे यदि साधना काल में आपसे कोई त्रुटि हो रही होगी तो वो त्रुटि समाप्त हो जायेगी। वैसे ये आवश्यक अंग नहीं है फिर भी साधक चाहें तो कर सकते हैं।
-
6)― साधना गोपनीय रखे गुरु तथा मार्गदर्शक के अतिरिक्त किसी अन्य को साधना समाप्त होने तक कुछ न बताएं, ना ही साधना सामाप्त होने तक किसी से कोई चर्चा करें।
-
7)― जहां तक सम्भव हो साधना में सभी वस्तुए लाल ही प्रयोग करें।
-
जब साधक उपरोक्त विधान के अनुसार कुंजिका को जागृत कर लें, तब इसके माध्यम से कई प्रकार के काम के प्रयोग किये जा सकते हैं। यहां कुछ प्रयोग दिये ज रहे है।
-

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के प्रयोग―

-

धन प्राप्ति―

-
किसी भी शुक्रवार की रात्रि में मां का सामान्य पुजन करें, इसके बाद कुंजिका के 9 पाठ करें इसके पश्चात, नवार्ण मन्त्र से अग्नि में 21 आहुति सफेद तिल से प्रदान करें। नवार्ण मंत्र में “श्रीं” बीज आवश्य जोड़े। “श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः स्वाहा”, आहुति के बाद पुनः 9 पाठ करें, इस प्रकार 9 दिनों तक करने से धनागमन के मर्ग खुलने लगते है।
-

शत्रु मुक्ति―
-

शनिवार रात्रि में काले वस्त्र पर एक निम्बू स्थापित करें तथा इस पर शत्रु का नाम काजल से लिख दें, और इस निम्बू के समक्ष ही सर्व प्रथम 11 बार कुंजिका का पाठ करें, इसके बाद “हुं शत्रुनाशिनी हुं फट” इस मन्त्र का 5 मिनट तक निम्बू पर त्राटक करते हुए जाप करें, फिर पुनः 11 पाठ करें, इसके बाद निम्बू कहीं भूमि में गाड़ दें, शत्रु बाधा समाप्त हो जायेगी।
-

रोग नाश―

-
नित्य कुंजिका के 11 पाठ करके काली मिर्च अभिमंत्रित कर लें, इसके बाद रोगी पर से इसे 7 बार घुमाकर घर के बाहर फेंक दें। कुछ दिन प्रयोग करने से सभी रोग शांत हो जाते है।
-

आकर्षण―

-
कुंजिका का 9 बार पाठ करें तत्पश्चात “क्लीं ह्रीं क्लीं” मन्त्र का 108 बार जाप करें तथा पुनः 9 पाठ कुंजिका के करें और जल अभीमंत्रित कर लें, इस जल को थोड़ा पी जाएं और थोड़े से मुख धो लें, सतत करते रहने से साधक में आकर्षण शक्ति का विकास होता हैं।
-

स्वप्न शांति―

-
जिन लोगों को बुरे स्वप्न आते है उनके लिए ये प्रयोग उत्तम है, किसी भी समय एक सिक्का लें और थोड़े काले तिल लें, 3 दिनों तक नित्य 21 पाठ कुंजिका के करें और इन्हे अभिमंत्रित करें, इसके बाद दोनों को एक लाल वस्त्र मे बांध कर तकिये के निचे रखकर सोये। धीरे-धीरे बुरे स्वप्न आना बन्द हो जायेंगे।
-

तंत्र सुरक्षा―

-
बुधवार के दिन एक लोहे कि कील लें और इसके समक्ष कुंजिका के 21 पाठ करें प्रत्येक पाठ की समाप्ति पर कील पर एक कुमकुम कि बिंदी लगाये इसके बाद इस कील को लाल वस्त्र मे लपेट कर घर के मुख्य द्वार के बाहर भूमि में गाढ़ दें, इससे घर तंत्र क्रियायों से सुरक्षित रहेगा।
-
उपरोक्त सभी प्रयोग सरल है परन्तु ये तभी प्रभावी होंगे जब आप स्वयं के लिए कुंजिका को जागृत कर लेंगे। अतः सर्वप्रथम कुंजिका को जागृत करें इसके बाद ही कोई प्रयोग करें।




Guru Sadhana News Update

Blogs Update

<