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साधना क्या है ?मन में सदा विवेक विचार करना चाहिए :-

साधना के बगैर जीवन अधूरा होता है। परमानन्द की प्राप्ति से हम वंचित रह जाते हैं। साधन के भी अनेक सोपान है। साधना के पथ पर यदि मनुष्य चले तो उससे जीवन को समझने का सही ज्ञान मिलता है। यह सजग और सचेतन होकर परमात्मा प्राप्ति का अपना मार्ग दृढ कर सकता है। साधक आध्यात्मिक दिव्यता से परिपूर्ण होता है। साधक भोगी नही, योगी होता है। साधक अंर्तमुखी होता है। सबसे पहले वह अपने मन को साधता है। इन्द्रियों पर नियंत्रण रखता है। जीव्न में शांति का मार्ग भी इन्द्रिय नियंत्रण से ही निकलता है। सिकन्दर के भीतर एक राज्य को जीतने के बाद भी दूसरे राज्य को जीतने की कामना बनी रहती थी। साधना से हमारा ऊध्र्व गमन होता है। जीवात्मा उस " गुरु"को प्राप्त कर आनन्द युक्त होती है। गुरु का साक्षात्कार सिर्फ आत्मज्ञान से सम्भव है। और वह एक साधक से ज्यादा भला किसके पास हो सकता है। साधक प्रेम, करुणा और सेवा की भावना से पूर्ण वह शक्ति है जिससे व्यक्ति धीरे धीरे आसक्ति व रसों के मोह को छोडता चला जाता है और एक समय आता है जब वह स्वयं को गुरु के साथ एकीकृत करता है। साधना में व्यक्ति अंदर से मजबूत होता है। धार्मिक बनना सरल है, लेकिन एक सच्चा साधक बनना कठिन।

महात्मा बुद्ध ने करुणा को और महावीर ने अहिंसा को साधा। नानकदेव जी ‘सर्वजन हिताय’ का संकल्प लेकर ख्बुशबू बिखरते रहे। स्वामी रामकृष्ण परमहंस अंतर्मन के सजग प्रहरी थे। साधक सुविधा में नहीं, बल्कि दुविधा में भी सजग व तत्पर रहता है। अच्छा साधक बनने के लिए जीवन में शौर्य , गुरु की शक्ति ,और गुरु का सामर्थ को जरुर साधे। साधना से जीवन में नियम बनता है और जो नियम में रहता है- प्रकृति उसका संरक्षण करती है। ‘एकहि साधै सब सधै’ का भाव रखते हुए जब हम निर्भीक होकर, सबके सुख की कामना करते हुए जीवन-यापन करते है, तभी हम पूर्ण रुप से सफल होते हैं। जो साधक है वह आत्म कल्याण के साथ साथ सर्व कल्याण करता है।

गुरु तो प्रदान करने के लिए हर क्षण तत्पर हैं परन्तु वह स्वयं से कुछ प्रदान कर नहीं सकता जब तक की शिष्य स्वयं आगे बढ़कर अपने आप को समर्पित न कर दे.

द्वारा - पूज्य सदगुरुदेव डॉo नारायण दत्त श्रीमाली जी
जीवन की प्रत्येक क्रिया तन्त्रोक्त क्रिया है॰यह प्रकृति,यह तारा मण्डल,मनुष्य का संबंध,चरित्र,विचार,भावनाये सब कुछ तो तंत्र से ही चल रहा है;जिसे हम जीवन तंत्र कहेते है॰जीवन मे कोई घटना आपको सूचना देकर नहीं आता है,क्योके सामान्य व्यक्ति मे इतना अधिक सामर्थ्य नहीं होता है के वह काल के गति को पहेचान सके,भविष्य का उसको ज्ञान हो,समय चक्र उसके अधीन हो ये बाते संभव ही नहीं,इसलिये हमे तंत्र की शक्ति को समजना आवश्यक है यही इस ब्लॉग का उद्देश्य है.

गुरु आज के समय में लोग अपनी भौतिक आवश्यकताओं के लिए खोजते हैं ।गुरु उसे बनाना चाहते हैं जो उनके षट्कर्म सिद्ध करा सके ।उन्हें वशीकरण ,मोहन आकर्षण ,अभिचार सिखा सके या खुद कर दे ।अप्सरा ,यक्षिणी ,भूत ,प्रेत सिद्ध करा सके ,सिद्धियां दिला सके ,शक्तिपात कर दे ।भूत ,प्रेत से मुक्ति दिला दे धन सम्पत्ति ,सुंदर पुरुष या कन्या दिला सके ।कुछ दिनों में महाविद्या सिद्ध करा दे मोक्ष अथवा मुक्ति के लिए

अब लाखों में कोई एक गुरु बनाता है या खोजता है पंथों ,संप्रदायों में भी यही स्थिति है तो सामान्य सामाजिक गुरु शिष्यों की तो बात ही क्या ।आज जो अधिकतर गुरु बने बैठे हैं अक्सर वह खुद ऐसे शिष्य रहे हैं ।वास्तव में गुरु का कार्य भौतिक जीवन की समस्याओं में रहकर भी मुक्ति अथवा मोक्ष का मार्ग दिखाना है न की षट्कर्म की सिद्धि कराना ।

वास्तविक गुरु मुक्ति का मार्ग दिखाता है ।सहन ,संतुष्टि और कर्म का रास्ता दिखाता है ।जो पूर्व के कर्मानुसार भाग्य है उसे तो भुगतना ही होता है ,गुरु तो उसकी पूर्णता और उसके बाद ऐसे कर्म का रास्ता दिखाता है जिससे कर्म से उतपन्न भाग्य ही मुक्ति प्रदान कर दे ।

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*एकोही निखिलम् द्वितीयोनास्ति*

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*ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरूभ्यो नमः 🙏🙏🙏🙏*

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वारुणी पर्व योग 18 मार्च 2015

Wednesday 18th of March 2015 05:18:28 AM


वारुणी पर्व योग 18 मार्च 2015 ======================= कल होगी ग्रहो की कृपा और एक येसा पर्व है जो किसी भी ग्रहण से ज्यादा सौ गुना फलदायी है. वारुणी पर्व योग मे किये जाने वाले मंत्र जाप का फल सौ ग्रहण से अधिक महत्वपूर्ण है.येसे समय का लाभ उठाये वैसे तो यह योग सायं 5.38 से रात 10.28 तक है परंतु मंत्र...

होली विशेष साधना-2 Holi Bandha Visesh sadhana

Tuesday 9th of December 2014 10:41:04 AM


होली विशेष साधना-2 -------------------------------------- इस साधना से किसी प्रकार की विपत्ती और बाधा जीवन मे व्याप्त नही होती है और होली के पर्व पर यह साधना सभी को करना ही चाहिये.मै इस बार साधना के ज्यादा लाभ नही लिखुगा सिर्फ इतना जानना जरुरी है इस साधना से पती-पत्नी मे मतभेद हो तो समाप्...

मोहिनी मंत्र: Mohani Siddhi sadhana

Tuesday 9th of December 2014 10:41:04 AM


मोहिनी मंत्र:- ॐ नमो आदेश गुरु का । मोहिनी मोहिनी कहा चली । बाहर खुदाई काम कन चली । फलानी फलाने को देखै,जरै मरै । मेरे को देखकर पायन पडै । छु मंत्र काया ,आदेश ,गुरु की शक्ती ,मेरी भक्ति ,फूरो मंत्र ईश्वरो वाचा ॥ ये मंत्र आज तक कभी खाली नही गया सिर्फ इससे काम लेने का ग...

महाकाली साधना. Mahakal Sadhana साधना विधान

Saturday 19th of April 2014 06:42:00 AM


महाकाली साधना. अघोरी हो या तांत्रिक हो सब की आराध्या महाकाली ही है, जिसने काल को सेवा मे रखा हुआ है.जहा महाकाली है वही महाकाल है और जो साधक महाकाली साधना करता है उस पर महाकाल की तो कृपा करते ही है. व्यर्थ का चिंता छोड दो और आप  महाकाली साधना संपन्न कर लो. तो जीवन आ रह...

Vachan Siddhee Saadhana, वचन सिद्धी साधना, siddhi Words Sadhana

Wednesday 2nd of April 2014 12:14:08 PM


वचन सिद्धी साधना ------------------------------- जो बोलेगे वह सत्य होगा क्युके वचन सिद्धी एक प्रकार की वाणी सिद्धी हि है और बहोत समय बाद यह साधना करने का मुहूर्त आया है.कल से साधना प्रारंभ करना है,माला रुद्राक्ष का हो,आसन वस्त्र कोई भी चलेगे परंतु लाल रंग के रहे तो ठिक है,दिशा उत्तर के तर...

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