POWER OF TANTRIK SADHANA
तंत्र क्या है, तंत्र विज्ञान के फायदे, What is Tantra in hindi - तंत्र को ज्यादातर लोग या तो अंधविश्वास मानकर नकार देते हैं, या फिर कोई डरावनी चीज़ मानकर उससे दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन यह एक विज|्ञान है, जीवन की प्रत्येक क्रिया तन्त्रोक्त क्रिया है॰यह प्रकृति,यह तारा मण्डल,मनुष्य का संबंध,चरित्र,विचार,भावनाये सब कुछ तो तंत्र से ही चल रहा है;जिसे हम जीवन तंत्र कहेते है॰जीवन मे कोई घटना आपको सूचना देकर नहीं आता है,क्योके सामान्य व्यक्ति मे इतना अधिक सामर्थ्य नहीं होता है के वह काल के गति को पहेचान सके,भविष्य का उसको ज्ञान हो,समय चक्र उसके अधीन हो ये बाते संभव ही नहीं,इसलिये हमे तंत्र की शक्ति को समजना आवश्यक है यही इस ब्लॉग का उद्देश्य है.MTYV Sadhna Kendra
भैरव साधना Bhairav Sadhana || Bhairav Teevra Vashikaran Sammohan Prayog
Saturday 9th of May 2015 06:30:35 AM
कामना पूर्ति भय बाधा निवारण बटुक भैरव साधना जीवन में सुख और दुःख आते ही रहते हैं। जहां आदमी सुख प्राप्त होने पर प्रसन्न होता है, वहीं दुःख आने पर वह घोर चिन्ता और परेशानियों से घिर जाता है, परन्तु धैर्यवान व्यक्ति ऐसे क्षणों में भी शांत चित्त होकर उस समस्या का...
कालसर्प दोष निवारण हेतु तीव्र राहु शांति साधना (Remedy for KalaSarp Dosh Intense Rahu Shanti Sadhana)
Saturday 9th of May 2015 06:18:46 AM
कालसर्प दोष निवारण हेतु तीव्र राहु शांति साधना अमावस्या को आध्यात्मिक एवं दिव्य अनुभूतियों के लिए श्रेष्ठ माना गया है… इस दिन चंद्र, सूर्य के अन्दर विलीन होता है, उसकी तरंगें सूर्य की तरंगों में समाहित होती हैं… चन्द्रमा मन का देवता है एवं सूर्य आत्मा का, अ...
भैरव विवेचन bhairav-interpretation
Saturday 9th of May 2015 06:15:23 AM
जिनसे काल भी भयभीत रहता है भैरव रक्षाकारक देव भय का नाश करने वाले देव रोग-शोक दूर करने वाले देव तांत्रिक बाधाओं से रक्षा देने वाले देव शनि कुप्रभाव को समाप्त करने वाले देव मंगल दोष को समाप्त करने वा...
Dasha-Mahavidyas bhairav भैरव-विवेचन-bhairav-interpretation
Saturday 9th of May 2015 06:12:52 AM
1. कालिका – महाकाल भैरव 2. त्रिपुर सुन्दरी – ललितेश्वर भैरव 3. तारा – अक्षभ्य भैरव 4. छिन्नमस्ता – विकराल भैरव 5. भुवनेश्वरी – महादेव भैरव 6. धूमावती – काल भैरव 7. कमला – नारायण भैरव 8. भैरवी – बटुक भैरव 9. मातंगी – मतंग भैरव 10. बगलामुखी – मृत्युंजय भैरव श्री भैरव के अन...
तुम मुझसे न कभी अलग थे और ना ही हो सकते हो
Friday 8th of May 2015 12:49:22 PM
तुम मुझसे न कभी अलग थे और ना ही हो सकते हो ! दीपक की लौ से प्रकाश को अलग नहीं किया जा सकता और ना ही किया जा सकता है पृथक सूर्य की किरणों को सूर्य से ही ! तुम तो मेरी किरणें हो, मेरा प्रकाश हो, मेरा सृजन हो, मेरी कृति हो, मेरी कल्पना हो, तुमसे भला मैं कैसे अलग हो सकता हूँ वं...
भक्ति और ज्ञान, निराकार और साकार के झगड़ों में न पड़ो
Friday 8th of May 2015 12:32:11 PM
भक्ति और ज्ञान, निराकार और साकार के झगड़ों में न पड़ो भक्ति और ज्ञान के सम्बन्ध में परस्पर लोगों में बहुत सी बातें चला करती हैं। किसी के मत से ज्ञान बहुत बड़ा है और किसी के मत से भक्ति बहुत बड़ी है। जिनको न भक्ति का कुछ बोध है और न ज्ञान को ही कुछ समझते हैं, वे लोग ही भक्ति और...
What is the difference between Punya and Paap ?
Friday 8th of May 2015 12:31:54 PM
what is the difference between punya and paap ? punya is a debit card - pay first and enjoy later. paap is a credit card - enjoy first and pay later. ...
About Dkshinawrti दक्षिणाव्रती महत्वता
Friday 8th of May 2015 12:23:25 PM
दक्षिणाव्रती :- आज दिल किया की इस शब्द की महत्वता को कहने का .अक्सर यह शब्द सुनने में तो आता है कई ग्रंथों में में इसका उल्लेख भी मिलता है कई दक्षिणा व्रती वस्तुएं भी मिल जाती है लेकिन इस शब्द का तात्पर्य और व्याख्या क्या है यह शायद आज तक नहीं की गयी ..कम से कम मेने तो नहीं ...
लक्ष्य तक या सिद्धि तक पहुचने में समस्या To Target Your Aim Found difficulties
Friday 1st of May 2015 09:11:46 AM
लक्ष्य तक या सिद्धि तक पहुचने में समस्या to target your aim found difficulties गुरुदेव,अपने लक्ष्य तक या सिद्धि तक पहुचने में पति-पत्नी,पुत्र ,स्वजन बाधक है,अवरोधक है,अगर है तो फिर क्या करना चाहिए?,क्योकि यह जीवन तो अकारण गवाना नहीं है,फिर सामाजिकता का भी ध्यान रखना पड़ता है,बड़ी उलझन रह...
यदि तुम्हें सदगुरु मिल गये हैं, तो सब कुछ छोड़कर उनके चरण क्यूँ नहीं पकड़ लेते
Monday 27th of April 2015 02:37:37 PM
अनंत देवी देवता हैं, अनंत उपासना पद्धति है, कहाँ कहाँ जाकर सिर झुकाओगे, किन किन दरवाज़ों पर जाकर नाक रगडोगे, जीवन के दिन तो थोड़े से ही हैं, गिनती के हैं. वे तो ऐसे ही समाप्त हो जायेंगे, फिर क्या मिलेगा? जीवन यूँ ही भटकते हुए मंदिरों में , तीर्थों में, साधू सन्यासियों के पास...